केंद्र सरकारी नौकरियों के लिए चयनित उम्मीदवारों का आवश्यक पुलिस सत्यापन खत्म करने के कदम पर विचार कर रहा है और इसके लिए ऐसे उम्मीदवारों से स्व-सत्यापन प्रमाणपत्र स्वीकार किए जा सकते हैं।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि सरकारी नौकरियों के लिए चयनित उम्मीदवारों के लिए और पासपोर्ट हेतु आवेदन करने के लिए पुलिस सत्यापन की आवश्यकता को खत्म करने का मुद्दा गृह मंत्रालय के विचाराधीन है।
उन्होंने बताया कि इस मुद्दे पर गृह मंत्रालय द्वारा राज्य सरकारों तथा अन्य पक्षों की राय लिए जाने की संभावना है।
कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन मंत्रालय ने भी अपने अवधारणा नोट में पासपोर्ट जारी करने और सरकारी नौकरियों सहित कई कार्यों के लिए पुलिस सत्यापन को बदलने का पक्ष लिया है।
नोट में कहा गया है कि इस पर विचार किए जाने की आवश्यकता है कि क्या इसे खत्म किया जा सकता है क्योंकि, (1) पुलिस जांच केवल किन्हीं आपराधिक मामलों के लिए होती है जिनके लिए संबंधित व्यक्ति आवश्यक घोषणाएं उपलब्ध कराते हैं और झूठी घोषणा के लिए जिम्मेदार रहते हैं। (2) पुलिस रिपोर्ट औपचाकिरता मात्र होती है क्योंकि इसमें निवास का केवल अंतिम स्थान शामिल होता है। (3) किसी मामले में, पड़ोसियों की अभिपुष्टि ज्यादा मायने नहीं रखती है।
जन सेवा प्रदाय प्रणाली में सुधार और शासन खामी को पाटने के अपने प्रयास के तहत सरकार से संबंधित अधिकतर कार्य के लिए केंद्र नोटरीकृत शपथपत्रों की जगह स्व सत्यापन को बढ़ावा दे रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आम आदमी को लाभ पहुंचाने के लिए हाल ही में शपथपत्रों के न्यूनतम इस्तेमाल और इसकी जगह स्व प्रमाणन लाने की बात कह चुके हैं।
'नागरिक हितैषी पहल के तहत, केंद्र सरकार के सभी मंत्रियों और विभागों तथा सभी राज्य सरकारों से हलफनामों की जगह दस्तावेजों के स्व प्रमाणन के लिए प्रावधान बनाने को कहा गया है।'
प्रधानमंत्री कार्यालय ने एक विज्ञप्ति में 'किसी राजपत्रित अधिकारी से दस्तावेजों को सत्यापित कराने की बजाय खुद नागरिकों द्वारा स्व सत्यापन करने की बात भी कही गई है।' द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग की 'नागरिक केंद्रित प्रशासन-शासन का हृदय' नामक 12वीं रिपोर्ट में भी स्व प्रमाणन प्रावधान के लिए प्रक्रियाओं को सरल बनाने की सलाह दी गई है।
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