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6 years ago
नई दिल्ली:

सीबीआई  (CBI vs CBI) में छिड़ी जंग में मोदी सरकार (Modi Govt) विपक्ष के निशाने पर है. सीबीआई के 55 सालों के इतिहास में एक अभूतपूर्व घटनाक्रम के तहत सीबीआई के निदेशक आलोक वर्मा (Alok Verma) और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना से रातोंरात उनकी जिम्मेदारियां पूरी तरह से वापस ले ली गईं. आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना के बीच मचे घमासान के और तेज होने से जांच एजेंसी में गंभीर होते हालात के बीच यह कदम उठाया गया. केंद्र सरकार ने स्थिति को संभालने की कोशिश के तहत 1986 के ओडिशा कैडर के आईपीएस अधिकारी और सीबीआई में संयुक्त निदेशक एम नागेश्वर राव को ‘अंतरिम उपाय' के तहत ‘‘तत्काल प्रभाव'' से निदेशक के ‘‘दायित्वों और कामकाज'' को देखने के लिये नियुक्त किया. आधीरात के करीब प्रभार लेने के फौरन बाद राव ने करीब एक दर्जन अधिकारियों के स्थानांतरण का आदेश दिया जिनमें से एक को पोर्ट ब्लेयर भेजा गया है. इसके साथ ही उन्होंने अस्थाना के खिलाफ घूस और जबरन वसूली के आरोपों की जांच के लिये नए सिरे से टीम का गठन किया है. जिन अधिकारियों का स्थानांतरण किया गया है उनमें से अधिकतर गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी अस्थाना के खिलाफ जांच कर रही टीम का हिस्सा थे. आलोक वर्मा ने हालांकि बुधवार को सरकार के फैसले को चुनौती देते हुए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया. उनकी याचिका पर न्यायालय शुक्रवार को सुनवाई के लिये सहमत हो गया है. वहीं कांग्रेस ने सीबीआई मुख्यालय के बाहर प्रदर्शन करने का आह्वान किया है.

 

CBI vs CBI LIVE Updates:


 
सीबीआई डायरेक्टर को हटाना संविधान का अपमान है, घोर अपराध है, राफ़ेल पर जांच के डर से पीएम ने रात दो बजे ये काम किया : राहुल गांधी

दिल्ली की एक अदालत ने मनोज प्रसाद की हिरासत पांच दिनों के लिए बढ़ाई. सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना को रिश्वत देने के आरोपों के मामले में प्रसाद को गिरफ्तार किया गया था.

सीबीआई के आधिकारिक प्रवक्‍ता ने कहा, 'आलोक वर्मा सीबीआई के निदेशक बने रहेंगे, राकेश अस्‍थाना विशेष निदेशक बने रहेंगे. एम नागेश्‍वर राव तब तक सीबीआई निदेशक का कामकाज देखते रहेंगे जब तक सीवीसी आरोपों की जांच कर रहा है.'

अभी तक आलोक वर्मा की तरफ़ से कोई आधिकारिक शिक़ायत नहीं दर्ज़ कराई गई है. 
न ही आई बी ने अपने अफ़सरों के साथ हुई खींचतान पर कोई शिकायत की है.

दिल्ली पुलिस ने आलोक वर्मा के घर के बाहर जासूसी कर रहे आईबी के चारों अफसरों से पूछताछ के बाद उसे छोड़ दिया है. 
आई बी सूत्रों ने कहा कि आई बी के उच्च अधिकारी अपने चार अफ़सरों के साथ हुए बर्ताव से बेहद नाराज़ हैं . उनका कॉलर पकड़ कर उन्हें घसीटते हुए ले जाना बिल्कुल ग़लत है. मीडिया में चल रही तस्वीरों को देख आई बी के दूसरे अफ़सरों का मोराल डाउन हो रहा है. चारों अफ़सरों की पहचान भी ज़ाहिर हो गई है जिससे नाराज़गी है . ये मामला बेहतर तरीके से संभाला जा सकता था. आलोक वर्मा के सुरक्षाकर्मियों को बताने के बावजूद कि वो दूसरी सुरक्षा एजेंसी से हैं फिर भी उनके साथ ग़लत बर्ताव किया गया.

आईबी सूत्रों ने कहा कि दिल्ली के हाई सिक्योरिटी जोन में रोजाना बेसिस पर पेट्रोलिंग के लिए आईबी यूनिट्स की रूटिन के अनुसार तैनाती होती है. हम चेक कर रहे हैं कि हकीकत में क्या है मामला. 

वकील प्रशांत भूषण की नई याचिका, जिसमें CBI के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना सहित CBI के अधिकारियों के खिलाफ SIT से जांच करवाने की मांग की गई है, पर सुनवाई के लिए सुप्रीम कोर्ट ने सहमति दे दी है.
देखें VIDEO: CBI निदेशक आलोक वर्मा के आवास के बाहर नज़र रखने के आरोप में गिरफ्तार किए गए चार लोगों में से दो को पकड़े जाने और पूछताछ के लिए ले जाए जाने की तस्वीरें...

आलोक वर्मा के घर के बाहर का दृश्य.
आलोक वर्मा के घर के बाहर से चार संदिग्ध लोगों को पकड़ा गया है. ऐसा कहा जा रहा है कि ये आलोक वर्मा पर नजर रख रहे थे. 


केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के निदेशक को छुट्टी पर भेजने के केंद्र सरकार के आदेश के खिलाफ कांग्रेस शुक्रवार को दिल्ली में सीबीआई मुख्यालय तथा राज्यों की राजधानियों में सीबीआई के कार्यालयों के सामने धरना- प्रदर्शन करेगी.

सीबीआई (CBI vs CBI) में छिड़ी जंग के बीच गुरुवार को सीबीआई डायरेक्टर अालोक वर्मा (Alok Verma) के घर के पास से दो संदिग्ध को गिरफ्तार किया गया है. इन दोनों को आलोक वर्मा के पीएसओ ने पकड़ा है और घर के अंदर ले गए हैं. शक है कि वे संदिग्ध हैं और ये दोनों आलोक वर्मा पर नजर बनाए हुए थे. फ़िलहाल पुलिस को बुलाया गया है अंदर पूछताछ जारी है.
कांग्रेस प्रवक्ता अभिषेक सिंघवी ने एक संवाददाता सम्मेलन में दावा किया कि सरकार ने ''राफेल-फोबिया' से उभरने वाली जवाबदेही से बचने और अग्रणी एजेंसी पर नियंत्रण करने के लिए वर्मा को हटाया है. अंतरिम सीबीआई प्रमुख ने अस्थाना के खिलाफ एफआईआर की जांच के लिये एक नई टीम बनाई है. 
राहुल गांधी ने एक ट्वीट में कहा, ''सीबीआई चीफ आलोक वर्मा राफेल घोटाले के कागजात इकट्ठा कर रहे थे. उन्हें जबरदस्ती छुट्टी पर भेज दिया गया.'

अरुण जेटली ने संवाददाताओं से कहा कि सीवीसी को दोनों अधिकारियों द्वारा एक दूसरे पर लगाए आरोपों की जानकारी मिली थी जिसके बाद उसने बीती शाम ये सिफारिश की थी क्योंकि आरोपियों या संभावित आरोपियों को उनके ही खिलाफ की जा रही जांच का प्रभारी नहीं होने दिया जा सकता. सरकार की ओर से एक विस्तृत बयान जारी कर कहा गया कि सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा द्वारा सीवीसी के कामकाज में इरादतन बाधा खड़ी की गई जो उनके खिलाफ की गई भ्रष्टाचार की शिकायतों को देख रहा था, और इसके साथ ही अपने अधीनस्थ राकेश अस्थाना के साथ "गुटबंदी वाले टकराव" की वजह से सरकार द्वारा दोनों अधिकारियों को उनकी जिम्मेदारियों से पूरी तरह मुक्त कर दिया गया. इसमें कहा गया कि वर्मा और अस्थाना के बीच मचे घमासान की वजह से एजेंसी में कामकाज का माहौल दूषित हुआ.



आलोक वर्मा ने दावा किया कि ''रातोंरात'' उन्हें दी गई जिम्मेदारियों को वापस ले लिया जाना एजेंसी की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप है। याचिका में उन्होंने कहा कि सीबीआई से अपेक्षा की जाती है कि वह पूरी तरह से स्वतंत्र और स्वायत्तता के साथ काम करे और ऐसी स्थिति में कुछ ऐसे अवसर भी आते हैं जब उच्च पदाधिकारियों के मामलों की जांच वह दिशा नहीं लेती जिसकी सरकार अपेक्षा करती हो. वर्मा ने कहा कि केन्द्र और केन्द्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) का कदम पूरी तरह से गैरकानूनी है और ऐसे हस्तक्षेप से इस प्रमुख जांच संस्था की स्वतंत्रता तथा स्वायत्तता का क्षरण होता है. सरकार का यह कदम सीवीसी की वर्मा और अस्थाना को छुट्टी पर भेजने और उनके खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच के लिये एक विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित करने की सिफारिश के कुछ घंटों बाद आया. के वी चौधरी की अध्यक्षता वाले सीवीसी के पास भ्रष्टाचार के मामलों में सीबीआई पर अधीक्षण होता है.

क्या है मामला:
जांच एजेंसी ने सतीश सना के बयान के आधार पर 15 अक्टूबर को यह प्राथमिकी दर्ज की थी. सना ने आरोप लगाया था कि उसने सीबीआई द्वारा की जा रही एक जांच में क्लीन चिट पाने के लिये एक बिचौलिये के जरिये घूस दी थी. सीबीआई के एक आदेश में कहा गया कि नई टीम में पुलिस अधीक्षक सतीश डागर और उनके वरिष्ठ डीआईजी तरूण गौबा होंगे जो संयुक्त निदेशक वी मुरुगेशन को रिपोर्ट करेगी. अस्थाना के खिलाफ मामले की जांच कर रहे ए के बस्सी को ''लोकहित'' में तत्काल प्रभाव से पोर्ट ब्लेयर भेज दिया गया.

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