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कर्नाटक सरकार सुप्रीम कोर्ट के आदेश को झटका मान रही है
केंद्र को पहले ही कावेरी मेनेजमेंट बोर्ड का गठन करना चाहिए था
सुपरवाइजरी कमेटी ने तीन हजार क्यूसेक पानी देने के आदेश दिए थे
अदालत ने बोर्ड का गठन करने के लिए 4 हफ्ते की समयसीमा निर्धारित करते हुए कहा कि केंद्र को पहले ही बोर्ड का गठन करना चाहिए था. बोर्ड ये निगरानी करेगा और सुनिश्चित करेगा कि ट्रिब्यूनल के राज्यों को पानी के बंटवारे के आदेश का पालन सही से हो. मामले में अगली सुनवाई 27 सितंबर को होगी.
कर्नाटक सरकार अदालत के आदेश को झटका मान रही है. उसका कहना है कि 'ये आदेश सही नहीं है. इससे राज्य में पीने के पानी को तमिलनाडू को देना होगा. हम तमिलनाडू को पानी देंगे तो राज्य में हालात बिगड़ेंगे.' वहीं तमिलनाडु ने कहा है कि राज्य में पानी की कमी है और अगर पानी नहीं मिलेगा तो फसल खराब हो जाएगी.
हालांकि सुपरवाइजरी कमेटी ने तीन हजार क्यूसेक पानी देने के आदेश दिए थे लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे दुगना कर दिया है.
पिछली सुनवाई में कोर्ट ने पांच सितंबर को दिए गए फैसले में बदलाव किया था. अदालत ने कर्नाटक को आदेश दिया था कि वह तमिलनाडु को 20 सितंबर तक रोजाना 12 हजार क्यूसेक पानी दे. अपने पहले के फैसले में उसने यह मात्रा 15 हजार क्यूसेक रखी थी. सुप्रीम कोर्ट ने कहा था यदि कोर्ट एक बार आदेश पारित कर देता है तो सरकार और लोगों के लिए इसे मानना अनिवार्य होता है. कोर्ट में कर्नाटक सरकार ने दलील दी कि तमिलनाडु को दिए जा रहे पानी का संग्रह किया जा रहा है जबकि कर्नाटक इस समय पीने के पानी की समस्या से जूझ रहा है.
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