सोनिया गांधी (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
राष्ट्रपति चुनाव की बढ़ती सुगबुगाहट के बीच बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह द्वारा नियुक्त तीन सदस्यीय टीम के राजनाथ सिंह और वेंकैया नायडू ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात की है. मीटिंग के बाद कांग्रेस ने कहा कि सरकार की तरफ से कोई नाम पेश नहीं किया गया. इसलिए जब तक सरकार की तरफ से नाम नहीं आएगा तब तक आम राय कैसे बनेगी. कांग्रेस ने कहा कि हमसे ही उम्मीदवार का नाम मांगा गया. मीटिंग में सोनिया गांधी के अलावा कांग्रेस के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद और मल्लिकार्जुन खड़गे भी मौजूद थे. इस मुलाकात के बाद बीजेपी नेताओं ने शुक्रवार दोपहर सवा तीन बजे माकपा नेता सीताराम येचुरी से भी मुलाकात की.
दरअसल विपक्ष की तरफ से आम सहमति वाला उम्मीदवार बनाए जाने की मांग हो रही है. विपक्ष की तरफ से इस काम की सारी जिम्मेदारी कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी के कंधों पर डाली जा चुकी है. उसी सिलसिले में बीजेपी के नेताओं ने कांग्रेस अध्यक्ष से मुलाकात की. अब सवाल उठता है कि सत्ताधारी दल के पास ऐसा कौन नेता है जिसके नाम पर विपक्ष को तोड़कर समर्थन जुटाया जा सकता है.
सरकार की तरफ से सूत्रों के मुताबिक इस पद के लिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के साथ सामाजिक न्याय मंत्री थावर चंद गहलौत, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन और झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू के नाम प्रमुख हैं. हालांकि अंतिम निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ही करना है. इस पर लालू प्रसाद यादव टिप्पणी भी कर चुके हैं कि राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का नाम प्रधानमंत्री के पेट में है, बाकी सब आंख में धूल झोंकने जैसा है.
बीजेपी द्वारा राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का नाम बीजेपी कोर ग्रुप और प्रधानमंत्री की बैठक के बाद ही तय किया जाएगा. हालांकि सत्तारूढ़ एनडीए ने नए राष्ट्रपति पद के लिए प्रत्याशी के नाम का ऐलान 23 जून को करने की बात कही है. विपक्ष ने शुरू में आरोप लगाया था कि सरकार इस मुद्दे पर आम सहमति के लिए कदम नहीं उठा रही है.
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के द्वारा गठित राजनाथ सिंह, अरुण जेटली और वेंकैया नायडू की इस कोर कमेटी में अलग-अलग दलों की सहमति जुटाने की जिम्मेदारी दी गई है. वेंकैया नायडू को दक्षिण भारत के दलों, वित्त मंत्री पर समाजवादी पार्टियों और राजनाथ सिंह पर शिवसेना, टीएमसी, उत्तरपूर्व के दलों से बात करने की जिम्मेदारी दी गई है. वेंकैया नायडू छह पार्टियों से बात कर चुके हैं.
टीडीपी प्रमुख एन. चंद्रबाबू नायडू पहले ही कह चुके हैं कि वे प्रधानमंत्री के निर्णय के साथ हैं. हालांकि विपक्ष पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि वह गैर संघी पृष्टभूमि और संविधान का सम्मान करने वाले उम्मीदवार का समर्थन करेगा. विपक्षी दलों का कहना है कि उम्मीदवार ऐसा होना चाहिए जिसके आदेश का सम्मान हो, आखिरकार राष्ट्रपति तीनों सेनाओं का प्रमुख भी तो होता है.
दरअसल विपक्ष की तरफ से आम सहमति वाला उम्मीदवार बनाए जाने की मांग हो रही है. विपक्ष की तरफ से इस काम की सारी जिम्मेदारी कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी के कंधों पर डाली जा चुकी है. उसी सिलसिले में बीजेपी के नेताओं ने कांग्रेस अध्यक्ष से मुलाकात की. अब सवाल उठता है कि सत्ताधारी दल के पास ऐसा कौन नेता है जिसके नाम पर विपक्ष को तोड़कर समर्थन जुटाया जा सकता है.
सरकार की तरफ से सूत्रों के मुताबिक इस पद के लिए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के साथ सामाजिक न्याय मंत्री थावर चंद गहलौत, लोकसभा अध्यक्ष सुमित्रा महाजन और झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू के नाम प्रमुख हैं. हालांकि अंतिम निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को ही करना है. इस पर लालू प्रसाद यादव टिप्पणी भी कर चुके हैं कि राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का नाम प्रधानमंत्री के पेट में है, बाकी सब आंख में धूल झोंकने जैसा है.
बीजेपी द्वारा राष्ट्रपति पद के उम्मीदवार का नाम बीजेपी कोर ग्रुप और प्रधानमंत्री की बैठक के बाद ही तय किया जाएगा. हालांकि सत्तारूढ़ एनडीए ने नए राष्ट्रपति पद के लिए प्रत्याशी के नाम का ऐलान 23 जून को करने की बात कही है. विपक्ष ने शुरू में आरोप लगाया था कि सरकार इस मुद्दे पर आम सहमति के लिए कदम नहीं उठा रही है.
भाजपा अध्यक्ष अमित शाह के द्वारा गठित राजनाथ सिंह, अरुण जेटली और वेंकैया नायडू की इस कोर कमेटी में अलग-अलग दलों की सहमति जुटाने की जिम्मेदारी दी गई है. वेंकैया नायडू को दक्षिण भारत के दलों, वित्त मंत्री पर समाजवादी पार्टियों और राजनाथ सिंह पर शिवसेना, टीएमसी, उत्तरपूर्व के दलों से बात करने की जिम्मेदारी दी गई है. वेंकैया नायडू छह पार्टियों से बात कर चुके हैं.
टीडीपी प्रमुख एन. चंद्रबाबू नायडू पहले ही कह चुके हैं कि वे प्रधानमंत्री के निर्णय के साथ हैं. हालांकि विपक्ष पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि वह गैर संघी पृष्टभूमि और संविधान का सम्मान करने वाले उम्मीदवार का समर्थन करेगा. विपक्षी दलों का कहना है कि उम्मीदवार ऐसा होना चाहिए जिसके आदेश का सम्मान हो, आखिरकार राष्ट्रपति तीनों सेनाओं का प्रमुख भी तो होता है.
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