प्रदर्शनों के बाद डिब्रूगढ़ में लगे कर्फ्यू में ढील दी गई है.
खास बातें
- अनशन के लिए चांदमारी क्षेत्र में बड़ी संख्या में लोग जमा हुए
- डिब्रूगढ़ में कर्फ्यू में ढील दी गई है
- असम के दस जिलों में इंटरनेट सेवाओं पर लगाई गई है रोक
गुवाहाटी: नागरिकता संशोधन विधेयक (Citizenship Amendment Bill) के पारित होने के विरोध में प्रदर्शनों के बाद डिब्रूगढ़ (Dibrugarh) में लगे अनिश्चितकालीन कर्फ्यू में शुक्रवार को पांच घंटे की ढील दी गई है. वहीं, गुवाहाटी (Guwahati) में छात्र संगठन अखिल असम छात्र संघ (All Assam Students' Union) द्वारा आहूत किए गए अनशन के लिए चांदमारी (Chandmari) क्षेत्र में बड़ी संख्या में लोग जमा हुए. अधिकारियों ने बताया कि डिब्रूगढ़ में सुबह आठ बजे से अनिश्चितकालीन कर्फ्यू में छूट दी गई है. सेना और सुरक्षा बल के जवान गुवाहाटी में फ्लैग मार्च कर रहे हैं क्योंकि यह क्षेत्र नागरिकता संशोधन विधेयक का विरोध करने का केंद्र बना हुआ है.
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आसू (AASU) की ओर से सुबह छह बजे से आहूत किए गए अनशन में बड़ी संख्या में लोगों ने हिस्सा लिया. इसमें कलाकार, गायक और फिल्म हस्तियां भी शामिल हुईं. आसू के प्रमुख सलाहकार समाजुल भट्टाचार्य ने कहा कि यह विरोध प्रदर्शन जारी रहेगा. उन्होंने कहा, ‘‘हम किसी दबाव में नहीं आएंगे और यह प्रदर्शन जारी रहेगा.'' बता दें कि गुरुवार को कर्फ्यू का उल्लंघन करते हुए हजारों लोग सड़क पर निकल आए थे और इस दौरान पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए गोलियां भी चलाईं जिनमें दो लोगों की मौत हो गई. इस बीच प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (Narendra Modi) ने लोगों से शांति बनाये रखने की अपील की थी. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार असम के लोगों के अधिकारों को सुरक्षित रखने के लिए प्रतिबद्ध है.
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अधिकारियों ने बताया कि डिब्रूगढ़, तेजपुर, धेकिअजुली के अलावा गुवाहाटी समेत कई शहरों में अनिश्चितकाल के लिए कर्फ्यू लगा हुआ है. वहीं जोरहाट, गोलाघाट, तिनसुकिया, चराईदेव जिलों में रात के समय कर्फ्यू लगा था. असम के दस जिलों में इंटरनेट सेवाओं पर लगाई गई रोक की अवधि को गुरुवार की दोपहर 12 बजे से 48 घंटे के लिए और बढ़ा दिया गया है. अधिकारियों ने बताया कि सोशल मीडिया का ‘‘दुरुपयोग'' रोकने और कानून एवं व्यवस्था की स्थिति बनाये रखने के लिए इंटरनेट सेवाओं पर रोक लगाई गई है.
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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने गुरुवार को नागरिकता संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी और अब यह कानून बन गया है. नागरिकता (संशोधन) विधेयक बुधवार को राज्यसभा में पारित हो गया. इससे पहले यह विधेयक सोमवार को लोकसभा में पारित हो चुका है. इसमें अफगानिस्तान, बांग्लादेश और पाकिस्तान से धार्मिक प्रताड़ना के कारण 31 दिसंबर 2014 तक भारत आए गैर मुस्लिम शरणार्थियों - हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी और ईसाई समुदायों के लोगों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान है.
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(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)