
BSP प्रमुख मायावती ने पीएम मोदी के स्वतंत्रता दिवस पर दिए भाषण को चुनावी भाषण बताया.
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बसपा प्रमुख ने इसे राजनीतिक शैली का चुनावी भाषण बताया
लम्बे-चौड़े भाषण से देश को ना तो नई ऊर्जा मिली और ना ही कोई उम्मीद
भाषण को राजनीतिक स्वार्थ के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाता तो बेहतर होता
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मायावती ने कहा कि 'उन्हें ऐसा राजनीतिक भाषण संसद में देना चाहिये था ताकि वहां सरकार की जवाबदेही तय हो सके और उनकी सरकार के अनेकों प्रकार के दावों की सत्यता को कसौटी पर परखा जा सके. लाल किले से भाषण देश को नई उम्मीद जगाने व नया विश्वास दिलाने के लिये होना चाहिए.' उन्होंने कहा कि लाल किले के भाषण को राजनीतिक स्वार्थ के लिए इस्तेमाल नहीं किया जाता तो बेहतर होता, लेकिन ऐसा लगता है कि भाजपा अपनी संकीर्ण व विद्वेष की राजनीति से ऊपर उठकर काम करने वाली नहीं है.
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उन्होंने कहा कि 'वैसे गरीबी, महंगाई तथा बेरोजगारी आदि की भयंकर समस्या के साथ-साथ वर्तमान की असली चिन्ता एवं समस्या खासकर विश्व की बहुत ही तेज़ी से बदलती हुई राजनीतिक परिस्थिति व व्यापार के जारी संकट के हालात हैं, जिससे पेट्रोल व डीजल के साथ-साथ भारतीय मुद्रा व विदेशों में बसे भारतीय बहुत ही ज्यादा प्रभावित हो रहे हैं.'
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बसपा सुप्रीमो ने कहा कि लेकिन प्रधानमंत्री ने आज इस पर एक शब्द भी नहीं बोला, जबकि पूरी दुनिया में इसकी गूंज है. यूरोप के सम्पन्न देशों सहित विश्व का लगभग हर स्वाभिमानी देश इस बारे में परेशान हैं. इस मसले पर प्रधानमंत्री देश को विश्वास में लेना भूल गए.
(इनपुट: भाषा)
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