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This Article is From Oct 05, 2016

आरएसएस को तमिलनाडु में जुलूस निकालना है, तो फुलपैंट पहननी ही होगी : हाईकोर्ट

आरएसएस को तमिलनाडु में जुलूस निकालना है, तो फुलपैंट पहननी ही होगी : हाईकोर्ट
चेन्नई: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, यानी आरएसएस विजयदशमी के अवसर पर तमिलनाडु में अक्टूबर में जिन रैलियों को निकालने की तैयारियों में जुटा हुआ है, उनके लिए उन्हें फुल पैंट (पतलून) ही पहननी होंगी, क्योंकि हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि वे उन हाफपैंटों (नेकरों) को पहनकर जुलूस नहीं निकाल सकते, जिन्हें वे पिछले नौ दशक से पहनते आ रहे हैं.

आरएसएस की तमिलनाडु में उतनी प्रभावी उपस्थिति नहीं है, जितनी अन्य दक्षिण भारतीय राज्यों में है, और उन्होंने राज्यभर में 14 जुलूस आयोजित करने का फैसला किया है, जिनमें से प्रत्येक में 200 से 300 कार्यकर्ता शामिल होंगे. कन्याकुमारी तथा कोयम्बटूर में उन्हें लगभग 2,000 सदस्यों के जुट जाने की उम्मीद है. पुलिस ने कानून एवं व्यवस्था की स्थिति बिगड़ने की आशंका जताते हुए इन जुलूसों को अनुमति देने से इंकार कर दिया था, लेकिन कोर्ट ने कहा है कि आरएसएस जुलूस निकाल सकती है, लेकिन उसी स्थिति में, जब वे फुल पैंट पहनें.

अधिकारियों का कहना है कि चेन्नई सिटी पुलिस एक्ट के मुताबिक उन जुलूसों पर प्रतिबंध लगाया जा सकता है, जिनमें शिरकत करने वालों की पोशाक सशस्त्र बलों या पुलिस की वर्दी से मिलती-जुलती हो. कई दशक से आरएसएस के कार्यकर्ता जिस वर्दी - सफेद कमीज़ तथा खाकी हाफपैंट - को पहनते आ रहे हैं, वह राज्य पुलिस की ट्रेनिंग के दौरान पहनी जाने वाली वर्दी से बहुत मिलती-जुलती है.

आरएसएस कार्यकर्ताओं के लिए अच्छी बात यह है कि देशभर में विजयदशमी के अवसर पर लागू होने जा रही नई वर्दी - सफेद कमीज़, गहरे खाकी रंग की पतलून, काली टोपी, कैनवस की बेल्ट, गहरे भूरे रंग की जुराबें, काले जूते तथा छड़ी - उस समय तक अधिकतर कार्यकर्ताओं के पास मौजूद होगी. हालांकि इस साल के जुलूसों में शिरकत के लिए छड़ी को उन्हें घर पर छोड़कर जाना होगा, क्योंकि पुलिस उन्हें हथियार के रूप में देखती है, और उसे ले जाने की अनुमति नहीं मिलेगी.

आरएसएस ने इस मुद्दे पर राज्य में सत्तासीन ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कषगम (एआईएडीएमके) तथा प्रमुख विपक्षी दल द्रविड़ मुनेत्र कषगम (डीएमके) पर राजनीति करने का आरोप लगाया है. कोर्ट में आरएसएस का पक्ष रखने वाले एन. बाबू मनोहर ने आरोप लगाया, "दोनों द्रविड़ पार्टियां नहीं चाहतीं कि तमिलनाडु की जनता आरएसएस को जान पाए... निश्चित रूप से वे डरी हुई हैं..."

मुख्यमंत्री जे. जयललिता की पार्टी एआईएडीएमके ने कहा है कि यह पुलिस का निर्णय है, और पार्टी की इसमें कोई भूमिका नहीं है. उधर, डीएमके ने कहा है कि आरएसएस के वकील का आरोप 'अनर्गल' है.

डीएमके के प्रवक्ता तमिषन प्रसन्ना ने कहा, "यह तर्कवादी नेता पेरियार की धरती है... यहां आरएसएस का कोई समर्थक नहीं है..."

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