मुंबई:
बॉम्बे हाईकोर्ट ने 8 जून को दिल्ली की एनिमल्स एंड बर्ड चैरिटेबल ट्रस्ट द्वारा फ़ाइल की गई पीआईएल पर फैसला सुनाते हुए विक्टोरिया बग्घियों पर जून, 2016 से प्रतिबंध लगाने के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने राज्य को बग्घी व्यवसाय से जुड़े 700 परिवारों को फिर से बसाए जाने के आदेश दिए हैं, जिसकी रिपोर्ट राज्य को जनवरी 2016 तक देनी है।
यह पीआईएल 2011 में दायर की गई थी, जिसका आधार बग्घियों में जोते जाने वाले घोड़ों पर हो रहा अत्याचार था। संस्था का आरोप था कि बग्घी चालक घोड़ों से उनकी क्षमता से अधिक काम करवाते हैं। घोड़ों को जख्मी और बीमार हालात में भी बग्घी में जोता जाता है और शहर की कंक्रीट की सड़कों पर चलने से घोड़ों को पैरों से जुड़ी बीमारियां हो जाती हैं। यह भी कहा गया कि तबेलों की दशा भी काफी ख़राब है, जहां पर घोड़ों को घंटों गंदगी में रहना पड़ता है।
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि ये बग्घियां जरूरत की नहीं, बल्कि महज मनोरंजन का साधन है। कोर्ट ने मुंबई ट्रैफिक पुलिस द्वारा फ़ाइल की गई रिपोर्ट के आधार पर कहा है कि ये बग्घियां सुरक्षा की नज़र से भी हानिकारक हैं और इनकी वजह से ट्रैफिक जाम जैसी परेशानी भी बढ़ जाती है।
जानकारों का कहना है कि ये बग्घियां घोड़ों पर हो रहे अमानवीय अत्याचार का जीता जागता उदाहरण है और कोर्ट का यह फैसला जानवरों की सुरक्षा में उठाया गया सराहनीय कदम है। उधर, बग्घी चालकों का कहना है कि कोर्ट के इस फैसले के बाद वे बेरोजगार हो जाएंगे। चालकों ने घोड़ों पर हो रहे किसी भी तरह के अमानवीय व्यवहार से इनकार किया।
विक्टोरिया बग्घियां मुंबई की सड़कों पर पहली बार 1882 में आईं थीं। उस वक़्त 1 मील की सवारी का किराया 4 आने था। अब ये बग्घियां मुंबई के नरीमन पॉइंट, गेट वे ऑफ़ इंडिया और मरीन ड्राइव जैसे इलाकों तक ही सीमित है।
यह पीआईएल 2011 में दायर की गई थी, जिसका आधार बग्घियों में जोते जाने वाले घोड़ों पर हो रहा अत्याचार था। संस्था का आरोप था कि बग्घी चालक घोड़ों से उनकी क्षमता से अधिक काम करवाते हैं। घोड़ों को जख्मी और बीमार हालात में भी बग्घी में जोता जाता है और शहर की कंक्रीट की सड़कों पर चलने से घोड़ों को पैरों से जुड़ी बीमारियां हो जाती हैं। यह भी कहा गया कि तबेलों की दशा भी काफी ख़राब है, जहां पर घोड़ों को घंटों गंदगी में रहना पड़ता है।
कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि ये बग्घियां जरूरत की नहीं, बल्कि महज मनोरंजन का साधन है। कोर्ट ने मुंबई ट्रैफिक पुलिस द्वारा फ़ाइल की गई रिपोर्ट के आधार पर कहा है कि ये बग्घियां सुरक्षा की नज़र से भी हानिकारक हैं और इनकी वजह से ट्रैफिक जाम जैसी परेशानी भी बढ़ जाती है।
जानकारों का कहना है कि ये बग्घियां घोड़ों पर हो रहे अमानवीय अत्याचार का जीता जागता उदाहरण है और कोर्ट का यह फैसला जानवरों की सुरक्षा में उठाया गया सराहनीय कदम है। उधर, बग्घी चालकों का कहना है कि कोर्ट के इस फैसले के बाद वे बेरोजगार हो जाएंगे। चालकों ने घोड़ों पर हो रहे किसी भी तरह के अमानवीय व्यवहार से इनकार किया।
विक्टोरिया बग्घियां मुंबई की सड़कों पर पहली बार 1882 में आईं थीं। उस वक़्त 1 मील की सवारी का किराया 4 आने था। अब ये बग्घियां मुंबई के नरीमन पॉइंट, गेट वे ऑफ़ इंडिया और मरीन ड्राइव जैसे इलाकों तक ही सीमित है।
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