पश्चिम बंगाल के बीजेपी नेता मुकुल रॉय का दावा, TMC के 100 से ज्यादा विधायक संपर्क में

पार्टी के एक नेता ने नाम ना बताने की शर्त पर कहा, ‘‘हम लहर को पहचानने में नाकाम रहे. हम वाकई नहीं जानते कि आगे क्या होगा. पार्टी को एकजुट रखना वास्तव में कठिन होगा.’’

पश्चिम बंगाल के बीजेपी नेता मुकुल रॉय का दावा,  TMC के 100 से ज्यादा विधायक संपर्क में

बीजेपी नेता मुकुल रॉय(फाइल फोटो)

नई दिल्ली:

पश्चिम बंगाल के बीजेपी नेता मुकुल रॉय ने एडीटीवी से बातचीत में कहा कि टीएमसी के 100 से ज्यादा विधायक उनके संपर्क में हैं. वह अगले कुछ दिनों में बीजेपी में शामिल होंगे. वहीं कैलाश विजयवर्गीय ने बातचीत में कहा कि अभी बहुत कुछ होना है, मैं आपको अभी से कुछ नहीं बता सकता. इंतजार कीजिए आपके सामने सब कुछ साफ-साफ आ जाएगा.बता दें कि बीते दो दिनों में टीएमसी के 3 विधायक बीजेपी में शामिल  हो चुके हैं. गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव में प्रदेश में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस का प्रदर्शन घोर निराशाजनक रहा है जहां उसके सांसदों की संख्या साल 2104 के 34 के मुकाबले इस बार घटकर 22 रह गई है. पार्टी के इस खराब प्रदर्शन का अब विश्लेषण शुरू हो गया है.  तृणमूल कांग्रेस को स्तब्ध करने वाले प्रदर्शन के पीछे मोदी लहर और गत वर्ष खून-खराबे के साथ हुए पंचायत चुनावों के बाद टीएमसी द्वारा अल्पसंख्यकों का कथित तौर पर तुष्टीकरण मतदाताओं के ध्रुवीकरण की वजह माना जा रहा है. भगवा पार्टी का जनाधार अचानक बढ़ने से हैरान तृणमूल कांग्रेस खेमा बंट गया है. स्थानीय नेताओं ने शीर्ष पार्टी पदों पर काबिज लोगों की ‘‘दूरदर्शिता की कमी'' और उनके ‘‘अहंकार भरे रवैये'' को खराब चुनावी प्रदर्शन के पीछे की मुख्य वजह बताया. 

कुछ अवसरवादी बीजेपी में जाते हैं तो इससे कोई फर्क नहीं पड़ता: तृणमूल कांग्रेस

हालांकि टीएमसी का वोट प्रतिशत इस बार बढ़ा है. उसे 2014 के 39 प्रतिशत के मुकाबले इस बार 43 प्रतिशत वोट मिले हैं लेकिन वह दक्षिण बंगाल के आदिवासी बहुल जंगलमहल और उत्तर में चाय बागान वाले क्षेत्रों में अपना गढ़ बचाए रखने में नाकाम रही. भाजपा ने राज्य की 42 लोकसभा सीटों में से 18 पर जीत दर्ज की और उसका वोट प्रतिशत 2014 के 17 प्रतिशत के मुकाबले इस बार 40.5 प्रतिशत तक बढ़ गया. यहां तक कि जिन सीटों पर टीएमसी जीती वहां भी भाजपा दूसरे नंबर पर रही जबकि वाम दल के हिस्से तीसरा स्थान आया. बहरहाल, टीमएसी नेतृत्व ने इस पर चुप्पी साध रखी है क्योंकि कुछ लोगों को राज्य में उसकी सरकार की स्थिरता को लेकर चिंता हो रही है. लेकिन पार्टी के महासचिव पार्थ चटर्जी ने राज्य में भाजपा की बढ़त को ‘‘अस्थायी'' बताया. 

विपक्षी विधायकों को 'तोड़ने' के भाजपा के प्रयासों से उसकी असुरक्षा दिखती है : NCP

पार्टी के एक नेता ने नाम ना बताने की शर्त पर कहा, ‘‘हम लहर को पहचानने में नाकाम रहे. हम वाकई नहीं जानते कि आगे क्या होगा. पार्टी को एकजुट रखना वास्तव में कठिन होगा.'' टीएमसी ने जिन 22 सीटों पर जीत दर्ज की उनमें अंतिम चरण की मतगणना तक कांटे का मुकाबला देखा गया क्योंकि मिनटों में उम्मीदवारों की बढ़त बदल रही थी. टीएमसी सूत्रों के अनुसार, प्रारंभिक आकलन में पता चला कि ग्रामीण इलाकों में पार्टी के खिलाफ नाराजगी थी.  इसके पीछे कई वजह थी जिनमें अहम पंचायत चुनावों के दौरान हुई हिंसा रही जिसके कारण कई लोग अपने वोट नहीं डाल पाए. 

2021 तक नहीं चल पाएगी ममता सरकार, राज्य में हो सकते हैं एक साल के भीतर चुनाव: भाजपा नेता

अन्य वजहों में स्थानीय स्तर पर भ्रष्टाचार और ‘‘तुष्टीकरण'' को लेकर आक्रोश के बीच ध्रुवीकरण हुआ. पार्टी के लोगों ने बताया कि दरअसल टीएमसी, भाजपा के राष्ट्रवाद और हिंदुत्व के एजेंडे का जवाब देने में नाकाम रही जिससे राज्य में ध्रुवीकरण हुआ जहां मुस्लिमों की 27 प्रतिशत आबादी है. विश्लेषकों के अनुसार, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के कार से उतरने और ‘‘जय श्री राम'' का नारा लगा रहे कुछ युवकों को धमकाने वाले वायरल वीडियो से ठीक संदेश नहीं गया और भाजपा ने चुनाव के ध्रुवीकरण के लिए इस घटना को भुनाया. उन्होंने बताया कि पार्टी रैंक में कलह भी हार की वजह बनी. टीएमसी के एक वर्ग के कैडर ने अपनी पार्टी के नेताओं को सबक सिखाने के लिए भाजपा के लिए मतदान किया. भाजपा की शानदार जीत से तृणमूल कांग्रेस की भौंहे तन गई है लेकिन भाजपा के चुनावी चिह्ल कमल को खिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले मुकुल रॉय के अनुसार, यह जीत अनुमान के अनुरूप थी. पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव में दो साल का वक्त है जबकि नगर निगम चुनाव अगले साल हैं. ऐसे में उसके सामने सबसे बड़ी चुनौती पार्टी को एकजुट रखना है. 

Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com

टीएमसी के 100 विधायक हमारे संपर्क में - मुकुल रॉय​