नई दिल्ली:
दिल्ली में आयोजित राष्ट्रीय एकता (एनआईसी) परिषद की बैठक के दौरान भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के साथ बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की मुलाकात को राजद ने इसे ‘मैच फिक्सिंग’ बताया है जबकि जदयू ने इसे सामान्य शिष्टाचार बताया है।
वहीं, भाजपा की बिहार इकाई ने नीतीश कुमार और लालकृष्ण आडवाणी की इस मुलाकात को राजनीतिक शिष्टाचार की संज्ञा देते हुए नीतीश पर बैठकों के दौरान नरेंद्र मोदी से मिलने से कतराने पर कटाक्ष किया है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता और उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं का शिष्टाचार के तहत एक-दूसरे से मिलना सामान्य परिपाटी है और यह अच्छी बात है कि मुख्यमंत्री आडवाणी के पास गए और उनसे शिष्टाचार के तौर पर मुलाकात की।
सुशील ने बैठकों के दौरान नीतीश के नरेंद्र मोदी से मिलने से कतराने पर इन दोनों को नाम लिए बिना नीतीश पर कटाक्ष करते हुए कहा कि राजनीति विरोध अपनी जगह पर है, पर जो लोग शिष्टाचार का भी पालन नहीं करते उन्हें जवाब देना चाहिए कि क्या राजनीति में इतनी भी दूरी होती है कि हम मुसकराएंगे नहीं, हाथ नहीं मिलाएंगे, अलग कन्नी काटकर चले जाएंगे।
उल्लेखनीय है कि नीतीश और आडवाणी की सोमवार की इस मुलाकात के राजनीतिक कयास लगाए जाने लगे हैं क्योंकि दोनों ने नरेंद्र मोदी को भाजपा द्वारा प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने का विरोध किया था।
दिल्ली में सोमवार को आयोजित एनआईसी की बैठक में नीतीश और आडवाणी के गर्मजोशी भरी मुलाकात पर राजद के प्रधान महासचिव रामकृपाल यादव ने भाजपा और जदयू के बीच अगले लोकसभा चुनाव में धर्मनिरपेक्ष मतों के ‘मैच फिक्सिंग’ का आरोप लगाते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी के नाम पर भाजपा से अलग हुए नीतीश अभी भी आडवाणी के साथ हैं।
उन्होंने कहा कि आडवाणी नीतीश के गुरु रहे हैं ऐसे में वे उनसे संबंध कैसे तोड़ सकते हैं और भाजपा और जदयू का अलग होना धर्मनिरपेक्ष मतों को बांटने का एक ड्रामा मात्र है।
इस बीच, जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि आडवाणी से मुख्यमंत्री की मुलाकात सामान्य शिष्टाचार का हिस्सा है। इस तरह की परिपार्टी से लोकतंत्र मजबूत होता है। उन्होंने विपक्षी दलों पर हर मामले का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाते हुए कहा कि आडवाणी वरिष्ठ और भारतीय राजनीति के कुछ जीवित बचे कद्दावर नेताओं में से एक हैं। कई वर्षों तक साथ काम करने के बाद अलग-अलग दल होने के नाते एक-दूसरे को शुभकामना देने में क्या बुराई है।
सिंह ने कहा कि 1974 के जेपी आंदोलन से जुड़े लोग जो कि आज विभिन्न दलों में शामिल हैं उनसे मिलते हैं और इसमें क्या बुराई है।
उन्होंने कहा कि यह सभी जानते हैं विचारधारा के आधार पर भाजपा के साथ हमारा अंतिम रूप से संबंध विच्छेद हो चुका है इसलिए इस तरह के शिष्टाचार मुलाकात पर राजनीतिक बयानबाजी का कोई महत्व नहीं है।
वहीं, भाजपा की बिहार इकाई ने नीतीश कुमार और लालकृष्ण आडवाणी की इस मुलाकात को राजनीतिक शिष्टाचार की संज्ञा देते हुए नीतीश पर बैठकों के दौरान नरेंद्र मोदी से मिलने से कतराने पर कटाक्ष किया है।
भाजपा के वरिष्ठ नेता और उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने कहा कि विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं का शिष्टाचार के तहत एक-दूसरे से मिलना सामान्य परिपाटी है और यह अच्छी बात है कि मुख्यमंत्री आडवाणी के पास गए और उनसे शिष्टाचार के तौर पर मुलाकात की।
सुशील ने बैठकों के दौरान नीतीश के नरेंद्र मोदी से मिलने से कतराने पर इन दोनों को नाम लिए बिना नीतीश पर कटाक्ष करते हुए कहा कि राजनीति विरोध अपनी जगह पर है, पर जो लोग शिष्टाचार का भी पालन नहीं करते उन्हें जवाब देना चाहिए कि क्या राजनीति में इतनी भी दूरी होती है कि हम मुसकराएंगे नहीं, हाथ नहीं मिलाएंगे, अलग कन्नी काटकर चले जाएंगे।
उल्लेखनीय है कि नीतीश और आडवाणी की सोमवार की इस मुलाकात के राजनीतिक कयास लगाए जाने लगे हैं क्योंकि दोनों ने नरेंद्र मोदी को भाजपा द्वारा प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाए जाने का विरोध किया था।
दिल्ली में सोमवार को आयोजित एनआईसी की बैठक में नीतीश और आडवाणी के गर्मजोशी भरी मुलाकात पर राजद के प्रधान महासचिव रामकृपाल यादव ने भाजपा और जदयू के बीच अगले लोकसभा चुनाव में धर्मनिरपेक्ष मतों के ‘मैच फिक्सिंग’ का आरोप लगाते हुए कहा कि नरेंद्र मोदी के नाम पर भाजपा से अलग हुए नीतीश अभी भी आडवाणी के साथ हैं।
उन्होंने कहा कि आडवाणी नीतीश के गुरु रहे हैं ऐसे में वे उनसे संबंध कैसे तोड़ सकते हैं और भाजपा और जदयू का अलग होना धर्मनिरपेक्ष मतों को बांटने का एक ड्रामा मात्र है।
इस बीच, जदयू के प्रदेश अध्यक्ष वशिष्ठ नारायण सिंह ने कहा कि आडवाणी से मुख्यमंत्री की मुलाकात सामान्य शिष्टाचार का हिस्सा है। इस तरह की परिपार्टी से लोकतंत्र मजबूत होता है। उन्होंने विपक्षी दलों पर हर मामले का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाते हुए कहा कि आडवाणी वरिष्ठ और भारतीय राजनीति के कुछ जीवित बचे कद्दावर नेताओं में से एक हैं। कई वर्षों तक साथ काम करने के बाद अलग-अलग दल होने के नाते एक-दूसरे को शुभकामना देने में क्या बुराई है।
सिंह ने कहा कि 1974 के जेपी आंदोलन से जुड़े लोग जो कि आज विभिन्न दलों में शामिल हैं उनसे मिलते हैं और इसमें क्या बुराई है।
उन्होंने कहा कि यह सभी जानते हैं विचारधारा के आधार पर भाजपा के साथ हमारा अंतिम रूप से संबंध विच्छेद हो चुका है इसलिए इस तरह के शिष्टाचार मुलाकात पर राजनीतिक बयानबाजी का कोई महत्व नहीं है।
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