बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शनिवार को कहा कि सभी राज्यों में राज्यपाल का पद समाप्त कर दिया जाना चाहिए क्योंकि वर्तमान संघीय लोकतांत्रिक व्यवस्था में उसका जारी रहना जरूरी नहीं है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में यहां आयोजित अंतरराज्यीय परिषद की बैठक में उनकी टिप्पणी तब आयी है जब हाल में उच्चतम न्यायालय ने अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल की राज्य में कांग्रेस सरकार की बर्खास्तगी को लेकर कड़ी आलोचना की थी तथा कुछ विपक्षी पार्टियों के शासन वाले राज्यों ने राजभवनों पर केंद्र के इशारे पर राजनीतिक रूप से कार्य करने का आरोप लगाया है।
जदयू अध्यक्ष कुमार ने कहा कि यदि संवैधानिक पद समाप्त करना संभव नहीं है तो उसके विवेकाधीन अधिकारों में कटौती की जाए। उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी राज्य के मुख्यमंत्री की राज्यपाल की नियुक्ति और उसे हटाने में भूमिका होनी चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘वर्तमान संघीय लोकतांत्रिक व्यवस्था में राज्यपाल का पद जारी रहना जरूरी नहीं है। यदि उसे समाप्त करना संभव नहीं तो हमारे विचार से राज्यपाल की नियुक्ति से जुड़े प्रावधानों की स्पष्ट रूप से व्याख्या होनी चाहिए और उसे पारदर्शी बनाया जाना चाहिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसके अलावा राज्य के मुख्यमंत्री से भी मशविरा किया जाना चाहिए और राज्यपाल की नियुक्ति में सरकारिया आयोग की ओर से निर्धारित मापदंड का पालन किया जाना चाहिए। जब भी कोई नयी सरकार बनती है राज्यपाल को बदलने की प्रवृत्ति पर संवैधानिक प्रावधान करके रोक लगायी जानी चाहिए।’’
एक आधिकारिक बयान के अनुसार कुमार ने कहा कि वर्तमान राज्यपाल को हटाने से पहले राज्य के मुख्यमंत्री से औपचारिक रूप से मशविरा किया जाना चाहिए। यदि जरूरी हो तो ऐसे मशविरे के लिए संविधान के अनुच्छेद 155 में संशोधन किया जा सकता है।
उन्होंने केंद्र-राज्य संबंधों पर पंछी आयोग की रिपोर्ट का उल्लेख किया और कहा कि उसने यह भी सिफारिश की है किसी मुख्यमंत्री को हटाने से पहले राज्यपाल को सदन के नेता को सदन में बहुमत साबित करने का एक मौका देना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘इसका अक्षरश: पालन किया जाना चाहिए।’’ बिहार में मद्यनिषेध लागू करने वाले कुमार ने पूरे देश में शराब की बिक्री और उसके सेवन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की और कहा कि संविधान में भी इसका उल्लेख है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार को पूर्ण मद्यनिषेध लागू करने में पड़ोसी राज्यों झारखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल से वांछित सहयोग मिल रहा है। उन्होंने इन राज्यों से आग्रह किया कि वे बिहार की सीमा से दो किलोमीटर के क्षेत्र में शराब की दुकानें खोलने के लिए लाइसेंस जारी नहीं करें।
कुमार ने कानून एवं व्यवस्था से संबंधित मामलों में एक नयी केंद्रीय इकाई या तंत्र स्थापित करने का विरोध किया और कहा कि यह केंद्र-राज्य संबंधों में एक बाधा बन सकता है।
उन्होंने वित्त मंत्री से राज्य पुलिस को धनशोधन कानून के तहत पांच करोड़ रुपये तक की सम्पत्ति जब्त करने का अधिकार देने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि यह संगठित अपराध को नियंत्रित करने में एक ‘‘गेम चेंजर’’ होगा। उन्होंने बिहार एवं अन्य पिछड़े राज्यों को विशेष दर्जा देने पर फिर से जोर दिया।
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में यहां आयोजित अंतरराज्यीय परिषद की बैठक में उनकी टिप्पणी तब आयी है जब हाल में उच्चतम न्यायालय ने अरुणाचल प्रदेश के राज्यपाल की राज्य में कांग्रेस सरकार की बर्खास्तगी को लेकर कड़ी आलोचना की थी तथा कुछ विपक्षी पार्टियों के शासन वाले राज्यों ने राजभवनों पर केंद्र के इशारे पर राजनीतिक रूप से कार्य करने का आरोप लगाया है।
जदयू अध्यक्ष कुमार ने कहा कि यदि संवैधानिक पद समाप्त करना संभव नहीं है तो उसके विवेकाधीन अधिकारों में कटौती की जाए। उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी राज्य के मुख्यमंत्री की राज्यपाल की नियुक्ति और उसे हटाने में भूमिका होनी चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘वर्तमान संघीय लोकतांत्रिक व्यवस्था में राज्यपाल का पद जारी रहना जरूरी नहीं है। यदि उसे समाप्त करना संभव नहीं तो हमारे विचार से राज्यपाल की नियुक्ति से जुड़े प्रावधानों की स्पष्ट रूप से व्याख्या होनी चाहिए और उसे पारदर्शी बनाया जाना चाहिए।’’ उन्होंने कहा, ‘‘इसके अलावा राज्य के मुख्यमंत्री से भी मशविरा किया जाना चाहिए और राज्यपाल की नियुक्ति में सरकारिया आयोग की ओर से निर्धारित मापदंड का पालन किया जाना चाहिए। जब भी कोई नयी सरकार बनती है राज्यपाल को बदलने की प्रवृत्ति पर संवैधानिक प्रावधान करके रोक लगायी जानी चाहिए।’’
एक आधिकारिक बयान के अनुसार कुमार ने कहा कि वर्तमान राज्यपाल को हटाने से पहले राज्य के मुख्यमंत्री से औपचारिक रूप से मशविरा किया जाना चाहिए। यदि जरूरी हो तो ऐसे मशविरे के लिए संविधान के अनुच्छेद 155 में संशोधन किया जा सकता है।
उन्होंने केंद्र-राज्य संबंधों पर पंछी आयोग की रिपोर्ट का उल्लेख किया और कहा कि उसने यह भी सिफारिश की है किसी मुख्यमंत्री को हटाने से पहले राज्यपाल को सदन के नेता को सदन में बहुमत साबित करने का एक मौका देना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘इसका अक्षरश: पालन किया जाना चाहिए।’’ बिहार में मद्यनिषेध लागू करने वाले कुमार ने पूरे देश में शराब की बिक्री और उसके सेवन पर प्रतिबंध लगाने की मांग की और कहा कि संविधान में भी इसका उल्लेख है। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार को पूर्ण मद्यनिषेध लागू करने में पड़ोसी राज्यों झारखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल से वांछित सहयोग मिल रहा है। उन्होंने इन राज्यों से आग्रह किया कि वे बिहार की सीमा से दो किलोमीटर के क्षेत्र में शराब की दुकानें खोलने के लिए लाइसेंस जारी नहीं करें।
कुमार ने कानून एवं व्यवस्था से संबंधित मामलों में एक नयी केंद्रीय इकाई या तंत्र स्थापित करने का विरोध किया और कहा कि यह केंद्र-राज्य संबंधों में एक बाधा बन सकता है।
उन्होंने वित्त मंत्री से राज्य पुलिस को धनशोधन कानून के तहत पांच करोड़ रुपये तक की सम्पत्ति जब्त करने का अधिकार देने के लिए कहा। उन्होंने कहा कि यह संगठित अपराध को नियंत्रित करने में एक ‘‘गेम चेंजर’’ होगा। उन्होंने बिहार एवं अन्य पिछड़े राज्यों को विशेष दर्जा देने पर फिर से जोर दिया।
(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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