बिहार में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार द्वारा सोमवार को विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा पर संविधान के ख़िलाफ काम करने के वक्तव्य के बाद मंगलवार को ना नीतीश कुमार सदन में आए और ना ही विधानसभा अध्यक्ष. दोनों अपने चैंबर में बैठे रहे और सदन में विपक्षी दल नीतीश कुमार से माफ़ी की मांग पर हंगामा करते रहे.
दरअसल, सोमवार को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा के बीच तीखी नोकझोंक हुई. लखीसराय मामले पर विधानसभा में आए दिन हो रहे हंगामे पर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आपत्ति जताई थी और स्पीकर विजय सिन्हा से यहां तक कह दिया कि यह सदन चलाने का तरीका नहीं है. संविधान उठाकर देखिए. जिस तरह से सदन चलाया जा रहा है वह संविधान का उल्लंघन है. जिसके बाद सदन के अंदर विपक्ष नीतीश कुमार के माफ़ी की मांग पर अड़ गया और जमकर हंगामा करना लगा. जिसके चलते सदन को दो बार स्थगित करना पड़ा.
इसके बाद मंगलवार को ना तो अध्यक्ष अपनी कुर्सी पर दिखे ना ही नीतीश कुमार. फ़िलहाल इस मुद्दे पर जारी गतिरोध को ख़त्म करने के लिए भाजपा और जनता दल यूनाइटेड, दोनों के नेता माथापच्ची कर रहे हैं लेकिन इस पूरे विवाद से नीतीश कुमार और विजय सिन्हा के ऊपर सवाल उठ रहे हैं.
इससे पहले सीएम नीतीश के बयान पर विधानसभा अध्यक्ष विजय सिन्हा ने कहा था कि पुलिस के द्वारा लखीसराय की घटना पर खानापूर्ति की जा रही है. जहां तक संविधान की बात है, तो मुख्यमंत्री जी आप हमसे ज्यादा जानते हैं. मैं आपसे सीखता हूं. जिस मामले की बात हो रही है. उसके लिए तीन बार सदन में हंगामा हो चुका है. मैं विधायकों का अभिरक्षक हूं. मैं जब भी क्षेत्र में जाता हूं तो लोग सवाल पूछते हैं कि थाना प्रभारी और डीएसपी की बात नहीं कह पा रहे हैं. आसन को हतोत्साहित करने की बात ना हो. सरकार गंभीरता से इसपर कार्रवाई क्यों नहीं कर रही है. आप लोगों ने ही मुझे विधानसभा अध्यक्ष बनाया है.
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