विपक्षी दलों पर हमला बोलते हुए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को कहा कि वे 'विविधता में एकता' के मंत्र का अनुसरण करने में सभी को साथ लेने में विश्वास करते हैं और यह देखना दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ नेता निहित स्वार्थों के लिए विविधता की अवधारणा का गलत उपयोग कर रहे हैं. एएनआई के साथ एक विशेष बातचीत में पीएम मोदी ने कहा, "मैंने सभी को साथ लेकर चलने का अपना प्रयास किया और मेरा मानना है कि यह राष्ट्र के विकास का एक मात्र मार्ग है. हम विविधता में एकता पर विश्वास करते हैं. लेकिन दुर्भाग्य से कुछ नेता अब निहित स्वार्थों के लिए एक दूसरे के खिलाफ विविधता की अवधारणा का उपयोग कर रहे हैं. हम विविधता के बीच एकता चाहते हैं."
प्रधानमंत्री का बयान राहुल गांधी, चंद्रशेखर राव, एमके स्टालिन, महबूबा मुफ्ती और ममता बनर्जी सहित विपक्षी नेताओं के उस आरोप को लेकर आया है जिसमें कहा गया था कि बीजेपी देश की विविधता का सम्मान नहीं करती है.
यह पूछे जाने पर कि विपक्ष का दावा है कि बीजेपी क्षेत्रीय आकांक्षाओं को नहीं समझती है, उन्होंने कहा, "बीजेपी एक ऐसी पार्टी है जो राष्ट्र के विकास के लिए क्षेत्रीय आकांक्षाओं को पूरा करने में विश्वास करती है. मैं देश का पहला प्रधानमंत्री हूं जो कि लंबे समय एक मुख्यमंत्री रहा है. मैं अच्छी तरह से समझता हूं कि एक राज्य की आकांक्षाएं और आवश्यकताएं क्या हैं."
उन्होंने कहा कि विपक्षी दल देश को बांटने के नापाक मंसूबों में लिप्त हैं लेकिन देश के लोग इतने परिपक्व हैं कि उनके जाल में नहीं फंस सकते.
कांग्रेस पर तीखा हमला करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, "पिछले 50 सालों में उन्होंने देश को केवल अलगाववाद की ओर ले जाने, बांटने का काम किया है. लेकिन यह देश और इसके नागरिकों का चरित्र नहीं है."
वैश्विक स्तर पर भारत की विविधता को बढ़ावा देने के अपने विचार को लेकर उन्होंने कहा कि कई देशों के प्रमुख अब भारत के विभिन्न राज्यों का दौरा करते हैं. यह पहले की प्रथा के विपरीत है, जब उन्हें केवल दिल्ली तक सीमित रखा जाता था.
पीएम मोदी ने कहा कि "पहले विदेशी मेहमानों की यात्रा केवल दिल्ली तक ही सीमित थी. लेकिन मुझे इसमें विश्वास नहीं है. मैं उन्हें विभिन्न स्थानों पर ले जाता हूं. मैं चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग को तमिलनाडु ले गया. मैं फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों को उत्तर प्रदेश ले गया. मैं तत्कालीन जर्मन चांसलर एंजेला मर्केल को कर्नाटक ले गया, तब भी जब उस राज्य में कांग्रेस की सरकार थी. ”
प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी प्राथमिकता देश के हर राज्य को बढ़ावा देना है. उन्होंने कहा, "मैंने संयुक्त राष्ट्र में तमिल उद्धरण पढ़ा. हमें इस बात पर गर्व है कि दुनिया मानती है कि भारत की भाषा सबसे पुरानी है."
इस सवाल कि अगर क्षेत्रीय आकांक्षाओं को बढ़ावा दिया जाता है तो इससे देश की एकता को खतरा होगा और अलगाववाद को बढ़ावा मिलेगा, का जवाब देते हुए पीएम मोदी ने कहा, "भारत जैसा देश जहां सामाजिक व्यवस्था विविधता से भरी है, अगर हम सामाजिक न्याय में हेरफेर करते हैं, तो यह हमारे देश को नुकसान पहुंचाएगा. इस कारण समाज के सबसे हाशिये पर पड़े व्यक्ति को भी विकास का अवसर मिलना चाहिए. समाज में सामाजिक न्याय की तरह, देश का विकास नहीं हो सकता यदि कोई हिस्सा पिछड़ जाता है. विकास समग्र और समावेशी होना चाहिए. सभी का विकास होना चाहिए."
पीएम मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने 110-115 "आकांक्षी जिलों" की पहचान की है जो राज्यों के सहयोग से विकास के मानकों में पिछड़ गए हैं.
उन्होंने कहा कि "ये जिले गर्वनेंस के मुद्दों के कारण औसत से भी नीचे हैं, न कि योजनाओं के कार्यान्वयन के कारण. केवल एक राज्य ने इसका विरोध किया. हमने उन पर विशेष ध्यान दिया. मैंने व्यक्तिगत रूप से जिला प्रमुखों से बात की ताकि कल्याणकारी योजनाएं तेजी से वहां पहुंचें. मैं राज्य सरकारों से उन जिलों में युवा अधिकारियों को तैनात करने का आग्रह करता हूं, न कि सेवानिवृत्त या पदोन्नत आईएएस अधिकारियों को. मैंने राज्यों से भी आग्रह किया कि वे अधिकारियों को बार-बार न बदलें और उन्हें कम से कम तीन साल तक वहां रखें. मैंने देखा है कि सभी राज्य सहमत हैं और उन्होंने इस मामले में सहयोग किया. अब ये आकांक्षी जिले आगे बढ़ रहे हैं और कुछ ने तो कई मानकों में राज्य के औसत को भी पार कर लिया है."
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी सरकार के 'सबका साथ, सबका विकास' के नारे का जिक्र करते हुए कहा कि संघवाद में हर इकाई का विकास करना होगा.
कनेक्टिविटी से क्षेत्रीय आकांक्षाओं को लाभ मिलने का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा, "ऑप्टिकल फाइबर नेटवर्क देश के हर गांव तक पहुंचना चाहिए. हम अपने सभी प्रयास कर रहे हैं. हम पूरे देश का विकास चाहते हैं. यह क्षेत्रीय आकांक्षाओं को संबोधित करने का हमारा तरीका है."
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