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This Article is From Dec 04, 2020

बेअंत हत्‍याकांड: SC का केंद्र से सवाल, 'मौत की सजा उम्रकैद में बदलने के लिए राष्‍ट्रपति के पास प्रस्‍ताव कब भेजोगे'

सितंबर 2019 में गृह मंत्रालय ने पंजाब सरकार को पत्र लिखा था कि गुरु नानक देव जी की 550 वीं जयंती के अवसर पर, कुछ कैदियों की रिहाई प्रस्तावित है. राजोआना ने कोई अपील भी नहीं की है, ऐसे में उसका कोई मामला अदालत में लंबित नहीं है.

बेअंत हत्‍याकांड: SC का केंद्र से सवाल, 'मौत की सजा उम्रकैद में बदलने के लिए राष्‍ट्रपति के पास प्रस्‍ताव कब भेजोगे'
प्रतीकात्‍मक फोटो
नई दिल्ली:

पंजाब के पूर्व मुख्‍मंत्री बेअंत सिंह हत्याकांड (Beant Singh killing) मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केंद्र सरकार (Central Government) से पूछा है कि दोषी बलवंत सिंह राजोआना (Balwant Singh Rajoana) की मौत की सजा को उम्रकैद में बदलने  के लिए वह राष्ट्रपति को प्रस्ताव कब भेजेगी. SC ने दो सप्‍ताह में केंद्र सरकार को यह बताने को कहा है.दरअसल, पंजाब के तत्कालीन सीएम बेअंत सिंह की हत्या के लिए राजोआना को मौत की सजा सुनाई गई थी. राजोआना ने सजा के खिलाफ अपील नहीं की है और वह पिछले 25 सालों से जेल में है, दूसरों ने उसकी ओर से दया याचिका दायर की है. 

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सुप्रीम कोर्ट की बेंच ने केन्द्र की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज से कहा कि वह यह बताएं कि यह प्रस्ताव अभी तक क्यों नहीं भेजा गया है. शीर्ष अदालत राजोआना की मौत की सजा माफ करने के बारे में उसकी याचिका का शीघ्र निस्तारण करने का गृह मंत्रालय को निर्देश देने के लिये दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी. पंजाब पुलिस के पूर्व सिपाही राजोआना को 1995 में पंजाब सचिवालय के बाहर हुए बम विस्फोट में संलिप्त होने के जुर्म का दोषी पाया गया था. इस विस्फोट में मुख्यमंत्री बेअंत सिंह और 16 अन्य व्यक्ति मारे गये थे.मामले में चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया (CJI) ने कहा,अन्य सह अभियुक्तों द्वारा लंबित अपील की केंद्रीय गृहमंत्रालय द्वारा लिए गए फैसले से कोई प्रासंगिकता नहीं है कि गुरु नानक की 550 वीं जयंती के उपलक्ष्य में कुछ दोषियों की मौत की सजा कम करने का फैसला किया जाए.

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सितंबर 2019 में गृह मंत्रालय ने पंजाब सरकार को पत्र लिखा था कि गुरु नानक देव जी की 550 वीं जयंती के अवसर पर, कुछ कैदियों की रिहाई प्रस्तावित है. राजोआना ने कोई अपील भी नहीं की है, ऐसे में उसका कोई मामला अदालत में लंबित नहीं है. एक बार, जब सरकार ने दोषी व्यक्ति की माफी के लिए राष्ट्रपति को सिफारिश करने का फैसला किया है तो उसके सह-अभियुक्तों के सुप्रीम कोर्ट में अपील के लंबित रहना अनुच्छेद 72 के तहत शुरू की गई प्रक्रिया में देरी नहीं कर सकता. 

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