कांग्रेस ने लगाया तानाशाही का आरोप
नई दिल्ली:
उत्तराखंड के मसले पर सोमवार को राज्यसभा में कांग्रेस सांसदों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ नारेबाज़ी की। मसले पर चर्चा कराने की मांग को लेकर कांग्रेस के सांसदों ने सभापति के आसन के पास जाकर सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ नारेबाज़ी की, वहीं संसदीय कार्य राज्यमंत्री मुख़्तार अब्बास नकवी ने हंगामे पर कहा कि जनता विपक्ष की इस 'अराजकता' और 'अहंकार' का जवाब देगी।
हंगामे के कारण राज्यसभा में शून्य काल और प्रश्नकाल की कार्यवाही नहीं चल पाई। नारेबाज़ी के कारण पहले सदन को 12 बजे तक और उसके बाद 2 बजे तक स्थगित करना पड़ा।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आज़ाद ने मामले की शुरुआत करते हुए केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह जानबूझ कर कुछ न कुछ ऐसा करती है, जिससे सदन न चल पाए। उन्होंने कहा कि पिछली बार चालू सत्र के दौरान सत्ताधारी दल ने अरुणाचल में तानाशाही दिखाई थी और अब वही उत्तराखंड में किया जा रहा है। आज़ाद ने केंद्र सरकार पर जजों के अपमान का आरोप लगाते हुए कहा कि राष्ट्रपति शासन पहले भी लगा है, लेकिन इतने क्रूर तरीक़े से कभी नहीं लगाया गया।
सरकार की ओर से पहले संसदीय कार्य राज्यमंत्री मुख़्तार अब्बास नकवी ने कहा कि सरकार को राष्ट्रपति शासन पर चर्चा करने में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन जब मामले अदालतों के विचाराधीन होते हैं तो उन पर चर्चा नहीं कराई जा सकती।
मामले में सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी ने कांग्रेस का साथ देते हुए कहा कि जब विश्वविद्यालयों में छात्रों के आंदोलन का विवाद चल रहा था, तब आपने उस पर चर्चा की थी और तब इस नियम का हवाला नहीं दिया था।
इसके बाद मामले में सत्तापक्ष के नेता अरुण जेटली ने नियम 169 का हवाला देते हुए कहा कि जब राष्ट्रपति शासन का मसला आए तब इस पर चर्चा हो सकती है, लेकिन प्री-प्रोक्लेमेशन स्टेज पर नहीं।
इसके बाद कांग्रेस के सांसदों ने सभापति के आसन के पास आकर 'मोदी तेरी तानाशाही नहीं चलेगी-2' और 'लोकतंत्र की हत्या बंद करो-2' के नारे लगाए।
हंगामे के बीच संसदीय कार्य राज्यमंत्री मुख़्तार अब्बास नकवी ने कहा कि उनका उद्देश्य ही हंगामा करना है और जनता इस 'अराजकता' और 'अहंकार' का जवाब देगी।
हंगामे के कारण राज्यसभा में शून्य काल और प्रश्नकाल की कार्यवाही नहीं चल पाई। नारेबाज़ी के कारण पहले सदन को 12 बजे तक और उसके बाद 2 बजे तक स्थगित करना पड़ा।
राज्यसभा में विपक्ष के नेता गुलाम नबी आज़ाद ने मामले की शुरुआत करते हुए केंद्र सरकार पर आरोप लगाया कि वह जानबूझ कर कुछ न कुछ ऐसा करती है, जिससे सदन न चल पाए। उन्होंने कहा कि पिछली बार चालू सत्र के दौरान सत्ताधारी दल ने अरुणाचल में तानाशाही दिखाई थी और अब वही उत्तराखंड में किया जा रहा है। आज़ाद ने केंद्र सरकार पर जजों के अपमान का आरोप लगाते हुए कहा कि राष्ट्रपति शासन पहले भी लगा है, लेकिन इतने क्रूर तरीक़े से कभी नहीं लगाया गया।
सरकार की ओर से पहले संसदीय कार्य राज्यमंत्री मुख़्तार अब्बास नकवी ने कहा कि सरकार को राष्ट्रपति शासन पर चर्चा करने में कोई दिक्कत नहीं है, लेकिन जब मामले अदालतों के विचाराधीन होते हैं तो उन पर चर्चा नहीं कराई जा सकती।
मामले में सीपीएम के महासचिव सीताराम येचुरी ने कांग्रेस का साथ देते हुए कहा कि जब विश्वविद्यालयों में छात्रों के आंदोलन का विवाद चल रहा था, तब आपने उस पर चर्चा की थी और तब इस नियम का हवाला नहीं दिया था।
इसके बाद मामले में सत्तापक्ष के नेता अरुण जेटली ने नियम 169 का हवाला देते हुए कहा कि जब राष्ट्रपति शासन का मसला आए तब इस पर चर्चा हो सकती है, लेकिन प्री-प्रोक्लेमेशन स्टेज पर नहीं।
इसके बाद कांग्रेस के सांसदों ने सभापति के आसन के पास आकर 'मोदी तेरी तानाशाही नहीं चलेगी-2' और 'लोकतंत्र की हत्या बंद करो-2' के नारे लगाए।
हंगामे के बीच संसदीय कार्य राज्यमंत्री मुख़्तार अब्बास नकवी ने कहा कि उनका उद्देश्य ही हंगामा करना है और जनता इस 'अराजकता' और 'अहंकार' का जवाब देगी।
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