यह ख़बर 06 अक्टूबर, 2012 को प्रकाशित हुई थी

कर्नाटक रहा बंद, कृष्णा ने प्रधानमंत्री को लिखा पत्र

खास बातें

  • तमिलनाडु को कावेरी नदी का पानी दिए जाने के खिलाफ कन्नड़ संगठनों के कर्नाटक बंद के आह्वान के कारण शहर और नदी बेसिन जिलों में सामान्य जन जीवन प्रभावित हुआ है।
बेंगलुरु:

तमिलनाडु को कावेरी नदी का पानी दिए जाने के विरोध में शनिवार को आयोजित बंद से कर्नाटक में जनजीवन अस्तव्यस्त हो गया। इस बीच विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने चेतावनी दी कि यदि पानी जारी किया जाना तुरंत नहीं रोका गया तो उनके गृह राज्य में 'आपदा' की स्थिति पैदा हो जाएगी।

कृष्णा इस समय अमेरिका में हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को एक पत्र लिखकर कहा है कि "समूचा राज्य सांस रोककर पानी जारी किया जाना बंद होने की प्रतीक्षा कर रहा है, इसलिए लोगों को तुरंत राहत दी जाए, वरना कावेरी नदी के आसपास रह रही आबादी के सामने आपदा जैसी स्थति उत्पन्न हो जाएगी।" उन्होंने प्रधानमंत्री से अपील की कि वह "कर्नाटक के बांधों से पानी जारी किया जाना बंद करने की संभावनाओं का पता लगाएं।"

कृष्णा का पत्र यहां मीडया के लिए जारी किया गया, जिसमें कहा गया है, "मैं ईमानदारी से महसूस करता हूं कि स्थिति पर आपको तुरंत ध्यान देने की जरूरत है। स्थिति को और बिगड़ने से रोकना होगा, क्योंकि कर्नाटक के लोगों के बीच यह धारणा पहले से बनी हुई है कि अगले कुछ महीनों में उन्हें गंभीर जलसंकट का सामना करना पड़ेगा।"

कृष्णा ने प्रधानमंत्री को यह भी बताया कि कर्नाटक में जून से सितम्बर तक रहने वाला मानसून का मौसम खत्म हो चुका है, जबकि उत्तरी-पूर्वी मानसून तमिलनाडु में इस महीने के बाद आएगा।   

तमिलनाडु को पिछले शनिवार से ही 9,000 क्यूसेक पानी कर्नाटक के बांधों से दिया जा रहा है। इसी के विरोध में इस शनिवार को बंद का आयोजन किया गया।

सुबह छह बजे से 12 घंटे के राज्यव्यापी बंद का आयोजन किसानों व कन्नड़ सामाजिक संगठनों ने किया, जिसका समर्थक सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और विपक्षी कांग्रेस व जनता दल-सेक्युलर (जेडी-एस) ने भी किया।

बेंगलुरू के अलावा मंड्या, मैसूर और चामाराजानगर जिलों में बंद का व्यापक असर देखा गया। कावेरी नदी इन जिलों से होकर बहती है।

बेंगलुरू व अन्य शहरों में सड़कों पर चहल-पहल नहीं दिखी। एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने बताया, "12 घंटे का बंद सुबह छह बजे शुरू हुआ। सड़क मार्ग अवरुद्ध करने, दुकानें जबर्दस्ती बंद कराने व कुछ राज्य संचालित बसों को नुकसान पहुंचाने की कुछ घटनाएं हुईं।"

कर्नाटक राज्य सड़क परिवहन निगम व बेंगलुरू महानगर परिवहन निगम की बसें तोड़-फोड़ की आशंका के चलते सड़कों पर नहीं उतारी गईं।

वैसे ट्रेन व उड़ान सेवाएं अप्रभावित रहीं। यहां ऑटोरिक्शा व टैक्सी न मिलने की वजह से कई यात्री रेलवे स्टेशनों पर फंसे रहे।
राज्य के शिक्षा विभाग ने शुक्रवार रात सलाह दी थी कि बंद के दौरान छात्रों की सुरक्षा की दृष्टि से स्कूलों व कॉलेजों में अवकाश की घोषणा कर दी जाए।

बेंगलुरू, मैसूर, हसन, मैंगलोर, हुबली, बेलगाम व शिमोगा में दुकानें, मॉल, रेस्तरां व पेट्रोल पम्प बंद रहने से जनजीवन प्रभावित रहा। यहां तक कि केबल आपरेटरों ने मनोरंजन वाले चैनलों का प्रसारण बंद कर दिया। केवल समाचार चैनलों पर शाम छह बजे तक प्रसारण जारी रहा।

वैसे दूध, दवाओं व एम्बुलेंस जैसी आवश्यक आपूर्तियों को बंद से बाहर रखा गया।

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राज्यभर में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई। संवेदनशील इलाकों खासतौर पर बेंगलुरू में अतिरिक्त पुलिस बल की तैनाती की गई है।
उल्लेखनीय है कि 19 सितम्बर को जारी सर्वोच्च न्यायालय के आदेश पर कर्नाटक 29 सितम्बर से हर दिन 9,000 क्यूसेक पानी तमिलनाडु को दे रहा है। कावेरी नदी प्राधिकरण के अध्यक्ष प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कर्नाटक को 20 सितम्बर से 15 अक्टूबर तक तमिलनाडु को कावेरी का पानी देने का निर्देश दिया था। कर्नाटक में 40 साल बाद पड़े भयंकर सूखे को देखते हुए सत्तापक्ष और विपक्ष तमिलनाडु को पानी दिए जाने से सहमत नहीं है।