रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शुक्रवार को कहा कि बालाकोट हवाई हमलों से भारत की ओर से यह स्पष्ट संदेश गया कि सीमा पार के बुनियादी ढांचों (इंफ्रास्ट्रक्चर) का इस्तेमाल आतंकवादियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह के रूप में नहीं किया जा सकेगा. सिंह ने ‘एयर पॉवर इन नो वॉर, नो पीस सिनेरियो' विषय पर आयोजित संगोष्ठी में पुलवामा आतंकी हमले में शहीद हुए सीआरपीएफ के 40 जवानों को याद किया और बालाकोट हवाई हमला करने वाले जवानों को सलाम किया.
‘सेंटर फॉर एयर पॉवर स्टडीज' में उन्होंने कहा, "हमें जो काम मिला है यदि उसके लिए हमें तैयार रहना है तो यह आवश्यक है कि हम जमीन, आसमान और समुद्र में हर वक्त विश्वास योग्य प्रतिरोधक क्षमता कायम रखें." कार्यक्रम को प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत और वायुसेना प्रमुख आर.के. भदौरिया ने भी संबोधित किया.
रावत ने कहा कि बालाकोट हमलों से यह संदेश स्पष्ट रूप से गया है कि भारत के खिलाफ जो छद्म युद्ध छेड़ा जा रहा है उसे ‘बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. वायुसेना प्रमुख भदौरिया ने युद्ध के लिहाज से नयी स्वदेशी प्रौद्योगिकी की आवश्यकता पर जोर दिया और डीआरडीओ से ऐसे हथियार विकसित करने का आग्रह किया. रक्षा मंत्री ने कहा कि बालाकोट हवाई हमलों ने भारत की ओर से यह स्पष्ट संदेश भेजा है कि सीमा पार के बुनियादी ढांचे अब आतंकवादियों की सुरक्षित पनाहगाह नहीं होंगे.
सिंह ने कहा, ‘‘पाकिस्तान के लिए भारत के खिलाफ आतंकवाद का इस्तेमाल करना एक आसान विकल्प है. इस बारे में हमने पाकिस्तान को सबक सिखा दिया है. बालाकोट के जरिए हमने संकेत दे दिया है कि नियंत्रण रेखा के पार आतंकी शिविर अब आतंकियों के लिए सुरक्षित पनाहगाह नहीं रह गए हैं.''
पिछले वर्ष 26 फरवरी को भारतीय वायुसेना के विमानों ने सीमा पार पाकिस्तान के बालाकोट में जैश ए मोहम्मद के आतंकवादी प्रशिक्षण शिविरों पर हमला किया था. यह 12 दिन पहले, 14 फरवरी को पुलवामा में हुए आतंकी हमले का जवाब था जिसमें सीआरपीएफ के 40 जवान शहीद हो गए थे.
सिंह ने कहा कि बीते कुछ वर्षों में सुरक्षा परिदृश्य बदल गया है और सीमापार आतंकवाद नए किस्म के युद्ध का उदाहरण है जिसने सीमापार सिद्धांतों को पुन: लिखे जाने को मजबूर किया है. उन्होंने कहा, ‘‘करगिल और सीमापार आतंकवाद की घटनाएं नए किस्म के युद्ध का उदाहरण है. हाइब्रिड युद्ध आज के वक्त की सच्चाई है. संघर्ष के बदलते परिदृश्य में न तो स्पष्ट शुरुआत है और न ही कोई अंत.''
रावत ने युद्ध में विश्वसनीय प्रतिरोधक क्षमता के महत्व को रेखांकित किया. रावत ने कहा, ‘‘हर जवान को प्रशिक्षित और प्रोत्साहित रखने से ही प्रतिरोधक क्षमता आती है.'' रावत ने रेखांकित किया कि प्रतिरोधक क्षमता सैन्य नेतृत्व की इच्छाशक्ति और सख्त फैसले लेते वक्त सियासी नेतृत्व के इरादों से आती है. उन्होंने कहा, ‘‘करगिल, उरी हमलों और पुलवामा हमले के बाद यह देखा जा सकता था.''
वायुसेना प्रमुख ने कहा, ‘‘करगिल के वक्त बियॉन्ड विजुअल रेंज मिसाइल क्षमता के कारण पाकिस्तान वायुसेना पर हम भारी थी. लेकिन इसके बाद बेहतर क्षमता हासिल करने में हमें डेढ़ दशक का समय लग गया. लेकिन राफेल के शामिल होने के साथ यह अमल में आ जाएगा.'' उन्होंने कहा, ‘‘हवाई क्षेत्र में खासकर जहां मुकाबला कड़ा है, वहां यह जरूरी है कि हमारे पास बेहतर हथियार हों. एक बार यह बढ़त हासिल करने के बाद यह जरूरी है कि हम इसे कायम रखें।''
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बालाकोट हमलों को मंजूरी देने के सरकार के फैसले की प्रशंसा करते हुए भदौरिया ने कहा, ‘‘नियंत्रण रेखा के पार पाकिस्तान में घुसकर आतंकी प्रशिक्षण शिविरों के बीचोंबीच हमला करने का फैसला बहुत ही मुश्किल और बड़ा था.'' उन्होंने कहा, ‘‘भारतीय वायुसेना ने सफलतापूर्वक अपने लक्ष्यों पर हमला किया. पाकिस्तान की वायुसेना ने 30 घंटे बाद इसका जवाब दिया. उन्होंने ऑपरेशन स्विफ्ट रिटोर्ट के तहत बड़ी संख्या में विमान भेजे लेकिन हमारी वायुसेना ने यह सुनिश्चित किया कि वे लक्ष्यों पर हमला नहीं कर पाएं.''
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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)
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