देहरादून:
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालने के घंटो बाद ही हरीश रावत ने एक कैबिनेट बैठक बुलाई जिसमें '11 फैसले' लिए गए हैं। रावत ने कहा है कि इन फैसलों को तेज़ी से अमल में लाया जाएगा और इस वक्त उनके प्रशासन की प्राथमिकता राज्य को पानी संकट से बाहर निकलाने की है।
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पढ़े नैनीताल हाईकोर्ट की टिप्पणियां
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कोर्ट की टिप्पणी
गौरतलब है कि उत्तराखंड हाईकोर्ट ने गुरुवार को यह साफ कर दिया था कि रावत को उनकी कुर्सी से केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रपति शासन के बेजा इस्तेमाल के द्वारा हटाया गया है। कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार यह बताना चाह रही है कि इस राज्य को गर्वनर के के पॉल के साथ मिलकर वह संभाल सकते हैं। उत्तराखंड कोर्ट के जजों की टिप्पणी और इस फैसले ने केंद्र को काफी संकट की स्थिति में डाल दिया। हालांकि इस फैसले के खिलाफ केंद्र ने यह कहते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपील की है कि राज्य में राष्ट्रपति शासन जरूरी है क्योंकि रावत ने विधानसभा में बहुमत गंवा दिया है और अब उनकी सरकार अल्पमत में हैं।
केंद्र सरकार का आरोप है कि पिछले महीने मुख्यमंत्री ने जो बजट पेश किया था उसके खिलाफ 9 कांग्रेस विधायकों ने वोट किया था। बीजेपी का कहना है कि इसके बावजूद बजट को पास कर दिया गया जबकि ज्यादातर विधायकों का वोट बजट के विरोध में था। हालांकि इस तर्क से रावत और कांग्रेस सहमत नहीं हैं। अब 29 अप्रैल को उन्हें विश्वास मत हासिल करना होगा। रावत के लिए यह मत हासिल करना तब आसान हो जाएगा अगर कांग्रेस के उन नौ बाग़ी विधायकों को कोर्ट अयोग्य करार कर देती है। अगर उन्होंने हिस्सा नहीं लिया तो रावत के लिए कम वोट में भी काम बन सकता है।
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कोर्ट की टिप्पणी
गौरतलब है कि उत्तराखंड हाईकोर्ट ने गुरुवार को यह साफ कर दिया था कि रावत को उनकी कुर्सी से केंद्र सरकार द्वारा राष्ट्रपति शासन के बेजा इस्तेमाल के द्वारा हटाया गया है। कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार यह बताना चाह रही है कि इस राज्य को गर्वनर के के पॉल के साथ मिलकर वह संभाल सकते हैं। उत्तराखंड कोर्ट के जजों की टिप्पणी और इस फैसले ने केंद्र को काफी संकट की स्थिति में डाल दिया। हालांकि इस फैसले के खिलाफ केंद्र ने यह कहते हुए सुप्रीम कोर्ट में अपील की है कि राज्य में राष्ट्रपति शासन जरूरी है क्योंकि रावत ने विधानसभा में बहुमत गंवा दिया है और अब उनकी सरकार अल्पमत में हैं।
केंद्र सरकार का आरोप है कि पिछले महीने मुख्यमंत्री ने जो बजट पेश किया था उसके खिलाफ 9 कांग्रेस विधायकों ने वोट किया था। बीजेपी का कहना है कि इसके बावजूद बजट को पास कर दिया गया जबकि ज्यादातर विधायकों का वोट बजट के विरोध में था। हालांकि इस तर्क से रावत और कांग्रेस सहमत नहीं हैं। अब 29 अप्रैल को उन्हें विश्वास मत हासिल करना होगा। रावत के लिए यह मत हासिल करना तब आसान हो जाएगा अगर कांग्रेस के उन नौ बाग़ी विधायकों को कोर्ट अयोग्य करार कर देती है। अगर उन्होंने हिस्सा नहीं लिया तो रावत के लिए कम वोट में भी काम बन सकता है।
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