पर्यटन को बढ़ावा देने और काशी के सांस्कृतिक मंच में जान फूंकने के साथ ही गंगा सफ़ाई की जागरुकता के लिए चलाए जा कार्यक्रम 'सुबह-ए-बनारस' ने सफलतापूर्वक अपने 111 पूरे कर लिए हैं। इस मौके पर यहां कलाकारों ने अस्सी घाट पर महफ़िल जमाई। इन कलाकारों को सुनने के लिए देश ही नहीं, विदेशों से भी सैकड़ों पर्यटक आए।
इस क्रायक्रम में सबसे पहले सूर्य देवता धरती पर आंख खोलें, इसके लिए आरती हुई और जैसे ही उनकी आंखें खुलीं और उनकी रश्मियों की लालिमा घाट पर पड़ी, वैसे ही पडिनी कन्या विद्यालय की लड़कियों ने वैदिक मंत्रोचार से उनका स्वागत किया। इसके बाद शहनाई की धुन से यहां आए लोगों का स्वागत किया गया। फिर सुबह के राग के साथ संगीत की धारा बहने लगी, जिसमें सितार और तबले की जुगलबंदी भी थी।
इस मौके पर पंडित छन्नू लाल ने अपनी गीत के जरिये बनारस की होली के मिजाज और शंकर की होली का वर्णन किया। अस्सी घाट पर चल रहे इस कार्यक्रम में हर रोज़ नए कलाकारों को भी मंच दिया जाता है और ऐसे कार्यक्रमों के जरिये वह अपने गुरुजनों से बहुत कुछ सीखते हैं।
पर्यटन को बढ़ावा देने और काशी के सांस्कृतिक मंच में जान फूंकने के साथ ही गंगा सफाई की जागरूकता के लिए चलाए जा रहे इस कार्यक्रम ने बड़ी सफलता से अपने 111 दिन पूरे कर लिए हैं और अब इसे और भव्य बनाने के लिए आने वाले दिनों में घाटों पर बनारस के पारंपरिक खानपान के साथ किताबों और कला प्रदर्शन की योजना भी बनाई जा रही है।
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