केंद्रीय अरुण जेटली ने कहा कि पाकिस्तान के अंदर घुसकर जैश-ए-मोहम्मद के आतंकी शिविरों पर सफलतापूर्वक हवाई हमला कर भारत ने पाकिस्तान के परमाणु धौंस की कलई खोल दी है. शनिवार को एक समाचार चैनल के कार्यक्रम में जेटली ने कहा, "पाकिस्तान ने भारत से कॉन्वेंशनल वार (परंपरागत युद्ध) 1965, 1971 में लड़ा. करगिल युद्ध में वे अपने सैनिकों की लाशें तक लेने नहीं आए और हार गए. तो पाकिस्तानी फौज ने देखा कि हम कॉन्वेंशनल वार में भारत की मजबूत अर्थव्यवस्था और सुपीरियर मिल्रिटी स्ट्रेंथ के सामने टिक नहीं सकते." उन्होंने कहा कि उनके सामने दो विकल्प थे- एक, आतंकवादियों के जरिए प्रॉक्सी वार (छद्म युद्ध) और दूसरा विकल्प जिसे न्यूक्लियर ब्लफ (परमाणु धौंस) कहते हैं, क्योंकि दोनों देशों के पास एटमी हथियार हैं. इस बार उनका न्यूक्लियर ब्लफ भी एक्सपोज हो गया.
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पाकिस्तान के बालाकोट में भारतीय वायुसेना द्वारा हवाई हमले में जैश आतंकियों के मारे जाने के सबूत मांगने पर जेटली ने विपक्षी दलों पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, "राजनीतिक दलों और नेताओं को यह समझना चाहिए कि दुनिया की कोई भी सेना अपना ऑपरेशनल डिटेल्स (कार्रवाई का ब्यौरा) सार्वजनिक नहीं करती. ये देश का दुर्भाग्य है और कुछ नेताओं में इस प्रकार की नासमझी है कि वे आज सार्वजनिक जीवन में हैं. वे जाने-अनजाने में ऐसे बयान देकर पाकिस्तान का गवाह बन रहे हैं. मुझे लगता है कि जनता इनका वो हाल करेगी कि पाकिस्तान के टीवी में इनको टीआरपी मिलेगी और हिंदुस्तान में जनता का आक्रोश बर्दाश्त करना होगा."
पुलवामा हमले के शहीदों की विधवाएं हालांकि कार्रवाई का ब्यौरा नहीं, मारे गए आतंकियों की कोई भी तस्वीर मांग रही हैं. वे कह रही हैं कि कोई तस्वीर ही दिखा दिया जाता तो उनके दिल को ठंडक पहुंचती. उपग्रह की मदद से तस्वीर उपलब्ध करना नामुमकिन भी नहीं है. जेटली ने कहा, "दुनिया में कहीं भी कोई आर्मी या एयर फोर्स अपने ऑपरेशनल डिटेल्स सार्वजनिक नहीं करती. अमेरिका ने एबटाबाद (पाकिस्तान) में हमला किया, अलकायदा के चीफ ओसामा बिन लादेन की हत्या की और उसकी लाश समुद्र में फेंक दिया और कोई ऑपरेशनल डिटेल्स दुनिया से शेयर नहीं किया."
भारतीय वायुसेना के हवाई हमले की सफलता पर सवाल उठानेवाले कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल पर निशाना साधते हुए जेटली ने कहा, "ये दुर्भाग्यपूर्ण है कि ऐसे लोग सार्वजनिक जीवन में हैं. अगर ऑपरेशन डिटेल्स सार्वजनिक किया गया तो कपिल सिब्बल को ही नही पाकिस्तान की फौज को भी पता चल जाएगा कि हमारे कितने मिराज उड़े, कहां से उड़े, कितने बम बरसाए और किस रास्ते से आतंकी कैंम्प को टारगेट किया." उन्होंने कहा कि वह पाकिस्तान की सेना ही थी न कि वहां कि सरकार जिसने सबसे पहले हवाई हमले की जानकारी लोगों को दी. पाकिस्तान ने सबसे पहले दुनिया को स्ट्राइक के बारे में जानकारी दी. .
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उन्होंने कहा कि इसके पीछे दो मुख्य कारण थे. पहला, पाकिस्तान में उनकी फौज ने जनता के बीच अपनी बड़ी छवि बनाई हुई है. वो देश अपने नागरिकों के सामने कैसे जाकर कह सकता था कि हिंदुस्तान के हवाई जहाज ने जैश के कैम्प पर बम बरसाए. जेटली ने कहा कि दूसरा कारण और भी बड़ा है. अगर पाकिस्तान पूरी दुनिया से शिकायत करता कि देखिये भारतीय विमानों ने हमारे एलओसी का उल्लंघन किया तो पहला सवाल उठता-आपका नुकसान क्या हुआ? फिर तो अंतरराष्ट्रीय समुदाय नुकसान को देखने आता.. कौन सा कैम्प वहां पर चल रहा था? कैम्प में कितनी बिल्डिंग थी और सैकड़ों लोग रह रहे थे.. स्विमिंग पुल.. जिम्नेजियम था.. जो वहां पर मरे उनके बारे में पूछते..वो कौन लोग थे.. एक-एक करते उनके बीसीयों कमांडर और पुराने-नए फिदायीन के नाम सामने आते. जेटली ने कहा, "पाकिस्तान के साथ तब तक कोई बातचीत नहीं हो सकती, जब तक वह आतंकी संगठनों के खिलाफ कोई निर्णायक कार्रवाई नहीं करेगा. वो कार्रवाई पूरी दुनिया को दिखनी चाहिए और पाकिस्तान उसका सबूत देगा, तब हम सोचेंगे कि क्या करना है. अभी बातचीत के लिए आवाजें उठाने का कोई औचित्य नहीं है."
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सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश मार्कण्डेय काटजू द्वारा पाकिस्तान के न्यूज चैनल पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की तारीफ पर जेटली ने कहा, "मैं आमतौर पर व्यक्तियों पर कोई टिप्पणी नहीं करता लेकिन काटजू के बयान से स्पष्ट है कि न्यायपालिका ने जजों के नियुक्ति के जो अधिकार ले लिए हैं, यह उसी का नतीजा है. क्योंकि जवाबदेह सरकार को नियुक्ति की प्रणाली से ही बाहर रखा गया है. इस प्रकार के बयान उस व्यक्ति की मानसिकता दर्शाती है." जेटली ने कहा, "अगर हम कार्रवाई न करते तो यह देश के प्रति अपराध होता. प्रधानमंत्री का यह राजनीतिक निर्णय था कि हमारी वायुसेना किसी सिविलियन या पाकिस्तानी सेना को टारगेट नहीं करेगी सिर्फ आतंकी कैम्प पर प्रहार करेगी." (इनपुट एजेंसी IANS से)
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