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This Article is From Oct 12, 2018

सार्वजनिक उपक्रम प्रतिस्पर्धी बने रहें इसके लिये कैग को सोच बदलने की जरूरत: जेटली

अरुण जेटली ने कहा कि सार्वजनिक उपक्रम जिस माहौल में काम करते हैं, 1991 के बाद उसमें काफी बदलाव आया है.

सार्वजनिक उपक्रम प्रतिस्पर्धी बने रहें इसके लिये कैग को सोच बदलने की जरूरत: जेटली
अरुण जेटली ने कैग पर साधा निशाना
नई दिल्ली: वित्त मंत्री अरुण जेटली ने गुरुवार को कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों को प्रतिस्पर्धी बनाये रखने के लिये उनके बही-खातों की ऑडिट करते समय नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) को अपनी सोच बदलने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि सार्वजनिक उपक्रमों से भी अब निजी क्षेत्र में समान कार्य करने वाली कंपनियों के साथ प्रतिस्पर्धा में रहने के लिये तुरंत फैसले लेने की उम्मीद की जाती है. अरुण जेटली ने कहा कि सार्वजनिक उपक्रम जिस माहौल में काम करते हैं, 1991 के बाद उसमें काफी बदलाव आया है. हालांकि, उन्हें आज भी उन्हीं नियमों का पालन करना होता है जो कि तब बनाये गये थे जब इन सार्वजनिक उपक्रमों का अपने क्षेत्र विशेष में एकाधिकार होता था.

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उन्होंने यहां महालेखाकारों के 29वें सम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि हमने अभी भी कानूनी व्यवस्था में सार्वजनिक क्षेत्र के बंधे होने पर पर्याप्त ध्यान नहीं दिया. खासकर उन क्षेत्रों में जहां प्रतिस्पर्धा है. और इसीलिए इससे उनके प्रदर्शन पर असर पड़ता है, यह समयसीमा पर असर डालता है जबकि निजी क्षेत्र इससे मुक्त हैं. अगर हम चाहते हैं कि वे बने रहे और वित्तीय रूप से सुदृढ़ रहे तब हमें उन्हें समान अवसर उपलब्ध कराने की अनुमति देने के बारे में सोचना होगा. वित्त मंत्री ने कहा कि समय आ गया है कि कैग, सरकार और न्यायपालिका उस प्रतिस्पर्धी माहौल की सराहना करे जिसमें सार्वजनिक उपक्रम अब काम कर रहे हैं और यह 1991 की स्थिति से पूरी तरह भिन्न है.

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उन्होंने महालेखाकारों से कहा कि ये सब स्थितियां हैं. हमें अधिक वास्तविक सोच की जरूरत होगी और मुझे भरोसा है कि भविष्य में विचार-विमर्श में यह एक क्षेत्र होगा, जिस पर आप चर्चा करेंगे. वित्त मंत्रालय की 2017 की आर्थिक समीक्षा में सार्वजनिक उपक्रमों के कामकाज को प्रभावित करने वाले मुद्दों को रखा गया है. इसमें कहा गया है कि निर्णय लेने की प्रक्रिया 4सी कोर्ट (अदालत), सीवीसी (केंद्रीय सतर्कता आयोग), सीबीआई (केंद्रीय जरंच ब्यूरो) तथा कैग से प्रभावित होती है. अरुण जेटली ने कहा कि जहां सार्वजनिक उपक्रमों को कैग की आडिट का सामना करना होता है और निविदा व कर्मचारियों को नियुक्त करने को लेकर निर्धारित प्रक्रिया का पालन करना होता है.

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वहीं निजी क्षेत्र की कंपनियों को इस प्रकार की आडिट की चिंता नहीं होती. उन्होंने कहा कि विभिन्न नियमन के कारण सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियां निजी इकाइयों के मुकाबले त्वरित निर्णय नहीं ले पाती. (इनपुट भाषा से) 
 

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