आम चुनाव से पहले जाट समुदाय को अन्य पिछड़े वर्ग (ओबीसी) की सूची में शामिल करने का केंद्र सरकार का निर्णय आज न्यायिक समीक्षा के दायरे में आ गया। सुप्रीम कोर्ट ने जाट समुदाय को आरक्षण का लाभ देने के लिए उसे ओबीसी की सूची में शामिल करने के खिलाफ दायर याचिका पर केंद्र सरकार से जवाब तलब किया है।
अदालत ने आरक्षण लाभ से इस समुदाय को अलग रखने के बारे में राष्ट्रीय अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग की सलाह को कथित रूप से दरकिनार किए जाने पर केंद्र सरकार से स्पष्टीकरण मांगा है।
चीफ जस्टिस पी सदाशिवम, जस्टिस रंजन गोगोई और जस्टिस एनवी रमण की खंडपीठ ने कहा कि यह गंभीर मसला है और वे संबंधित फाइल का अवलोकन करके जानना चाहेंगे कि क्या जाट समुदाय को ओबीसी सूची में शामिल करने हेतु चार मार्च की अधिसूचना जारी करने से पहले इस विषय पर गंभीरता से विचार किया गया था।
अदालत ने प्रतिवादी सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय को इस मसले से संबंधित सारी सामग्री, रिकॉर्ड और फाइलें पेश करने का निर्देश दिया है।
न्यायाधीशों ने कहा कि दो याचिकाओं पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी करते हुए कहा, 'हम इस मसले पर विचार करेंगे।' अदालत से इस याचिका को नौ अप्रैल को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया है। कोर्ट ने साथ ही अटॉर्नी जनरल गुलाम वाहनवती से इस मामले में सहयोग करने का अनुरोध किया।
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