समाचार पत्र दैनिक भास्कर पर मारे गए छापे पर अनुराग ठाकुर ने कहा कि हम इस पर संसद में भी जवाब देंगे. उन्होंने कहा कि एजेंसियां अपना काम करती हैं. इस पर हम कोई टिप्पणी नहीं करते, जो जानकारी दी जा रही है वह जरूरी नहीं कि सच हो. टैक्स चोरी के आरोप में मीडिया ग्रुप दैनिक भास्कर और उत्तर प्रदेश के एक न्यूज चैनल पर आज सुबह कई शहरों में इनकम टैक्स की टीमों ने छापेमारी की. जैसे ही महत्वपूर्ण मीडिया आउटलेट्स पर छापेमारी शुरू हुई विपक्षी दलों ने सरकार पर सोशल मीडिया पर हमले और निंदा शुरू कर दी.सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने सरकार की इस कार्रवाई पर जवाब दिया कि वे इस पर संसद में जवाब देंगे.
अनुराग ठाकुर ने कैबिनेट ब्रीफिंग में संवाददाताओं से कहा, "एजेंसियां अपना काम करती हैं, हम उनके कामकाज में हस्तक्षेप नहीं करते हैं. मैं यह भी कहना चाहूंगा कि किसी भी घटना के बारे में रिपोर्ट करने से पहले तथ्यों को जानना होगा. कभी-कभी जानकारी की कमी भ्रम पैदा होती है." .
इनकम टैक्स के करीब 100 लोगों की टीम ने दिल्ली, मध्य प्रदेश, राजस्थान, गुजरात और महाराष्ट्र में दैनिक भास्कर के करीब 30 स्थानों की तलाशी ली. समूह के प्रमोटरों के घरों और कार्यालयों पर भी छापेमारी की गई. दैनिक भास्कर के एक वरिष्ठ संपादक ने एनडीटीवी को बताया कि समूह के जयपुर, अहमदाबाद, भोपाल और इंदौर कार्यालयों में छापेमारी चल रही है.
उत्तर प्रदेश के एक टेलीविजन चैनल 'भारत समाचार' पर भी छापा मारा गया. सूत्रों के अनुसार आयकर की एक टीम ने कर दस्तावेजों की जांच के लिए लखनऊ कार्यालय और संपादक के घर की तलाशी ली.
अधिकारियों ने कहा कि छापे चैनल द्वारा "कर धोखाधड़ी के निर्णायक सबूत" पर आधारित थे. भारत समाचार की हालिया रिपोर्टिंग में यूपी सरकार की आलोचना की गई है. विपक्ष ने आरोप लगाया कि छापे सरकार द्वारा कोविड के “कुप्रबंधन” पर रिपोर्टों से जुड़े थे.
बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे लोकतंत्र का गला घोंटने का क्रूर प्रयास बताया. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्वीट किया, "अपनी रिपोर्टिंग के माध्यम से दैनिक भास्कर ने मोदी सरकार के कोविड-19 महामारी के बड़े पैमाने पर कुप्रबंधन को उजागर किया है. वह अब कीमत चुका रहा है. अघोषित आपातकाल जैसा कि अरुण शौरी ने कहा है - यह एक संशोधित आपातकाल है."
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इसे मीडिया की आवाज को दबाने की खुली कोशिश करार दिया.
देश के सबसे बड़े अखबार समूहों में से एक, दैनिक भास्कर अप्रैल-मई में कोविड की दूसरी लहर में तबाही के पैमाने पर रिपोर्टिंग में सबसे आगे था. दैनिक भास्कर ने उन रिपोर्टों की एक श्रृंखला छापी, जिनमें महामारी के दौरान आधिकारिक दावों की तीखी आलोचना की गई, क्योंकि संक्रमण के दौर में लोगों के लिए ऑक्सीजन, अस्पताल में बिस्तर और वैक्सीन उपलब्ध नहीं थी.
रिपोर्टों में गंगा नदी में तैरते शव, उत्तर प्रदेश और बिहार के कस्बों में नदी के किनारे कोविड से मृत लोगों के शवों के भयावह दृश्य उजागर किए. संभवतः उनका अंतिम संस्कार करने के लिए साधनों की कमी के कारण शवों को इस तरह छोड़ दिया गया था. रिपोर्टों में यूपी में नदी के किनारे उथली कब्रों में दफन शवों का भी खुलासा हुआ.
न्यूयॉर्क टाइम्स ने एक महीने पहले, दैनिक भास्कर के संपादक ओम गौड़ के भारत में कोविड की मौतों पर ऑप-एड प्रकाशित किया था, जिसका शीर्षक था: "द गंगा इज रिटर्निंग द डेड. इट्स नॉट लाइ." सरकार की कोरोनो वायरस के पीक से निपटने के लिए बरती गई लापरवाही पर उनकी राय का का एक हिस्सा अत्यंत महत्वपूर्ण था. उन्होंने लिखा, भारत की सबसे पवित्र नदियां "मोदी प्रशासन की विफलताओं और धोखे का प्रदर्शन करने वाली बन गईं."
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