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This Article is From Oct 13, 2018

Annapurna Devi Dies: प्रसिद्ध हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीतकार अन्नपूर्णा देवी का निधन

भारत रत्न से सम्मानित दिवंगत सितारवादक पंडित रविशंकर की पूर्व पत्नी एवं हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत की दिग्गज संगीतकार अन्नपूर्णा देवी का शनिवार तड़के मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में निधन हो गया.

Annapurna Devi Dies: प्रसिद्ध हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीतकार अन्नपूर्णा देवी का निधन
Annapurna Devi Death: हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत की दिग्गज संगीतकार अन्नपूर्णा देवी
मुंबई: भारत रत्न से सम्मानित दिवंगत सितारवादक पंडित रविशंकर की पूर्व पत्नी एवं हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत की दिग्गज संगीतकार अन्नपूर्णा देवी का शनिवार तड़के मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में निधन हो गया. वह 91 वर्ष की थीं. मुंबई स्थित अन्नपूर्णा देवी फाउंडेशन के एक प्रवक्ता ने बताया कि वह पिछले कुछ वर्षों से उम्र संबंधी बीमारियों से जूझ रही थीं. अस्पताल के अधिकारियों ने बताया कि उन्हें तड़के तीन बजकर 51 मिनट पर मृत घोषित किया गया. उन्हें पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था. 

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प्रवक्ता ने बताया कि उनका जन्म मध्य प्रदेश के मैहर शहर में उस्ताद ‘बाबा’ अलाउद्दीन खान और मदीना बेगम के घर में हुआ था. प्यार से लोग उन्हें ‘मां’ बुलाते थे. वह चार भाई-बहनों में वह सबसे छोटी थीं.  प्रवक्ता ने बताया कि महान सरोद वादक उस्ताद अली अकबर खान उनके भाई थे. अन्नपूर्णा देवी अपने पिता की शिष्या थीं. पांच साल की छोटी उम्र से ही उन्होंने संगीत की शिक्षा आरंभ की और और वह सितार से लेकर सुरबहार तक में पारंगत हो गईं. अपने जीवन का ज्यादातर हिस्सा उन्होंने एकांतवास में बिताया. उन्होंने अपना ज्यादातर समय चुनिंदा छात्रों के समूह को प्रशिक्षित करने में व्यतीत किया. 

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने प्रसिद्ध हिंदुस्तानी शास्त्रीय संगीतकार अन्नपूर्णा देवी के निधन पर शोक जताया है. ममता ने अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा है, ‘अन्नपूर्णा देवी के निधन से दुखी हूं...उनके परिवार और प्रशंसकों के प्रति मेरी संवेदनाएं हैं.’    

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उन्होंने सितारवादक पंडित रविशंकर से शादी की थी और उनका एक बेटा शुभेन्द्र ‘शुभो’ शंकर था, जिनका 1992 में निधन हो गया था. उन्होंने 1982 में एक प्रबंधन सलाहकार रूशि कुमार पांड्या से शादी थी. पांड्या का 2013 में निधन हो गया. प्रवक्ता ने बताया कि उनके शिष्यों में आशीष खान (सरोद), अमित भट्टाचार्य (सरोद), बहादुर खान (सरोद), बसंत काबरा (सरोद), हरिप्रसाद चौरसिया (बांसुरी), जतिन भट्टाचार्य (सरोद), निखिल बनर्जी (सितार), नित्यानंद हल्दीपुर (बांसुरी), पीटर क्लाट (सितार), प्रदीप बारोट (सरोद), संध्या फड़के (सितार), सास्वती साहा (सितार), सुधीर फड़के (सितार), सुरेश व्यास (सरोद) शामिल हैं. 

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