नई दिल्ली:
टीम अन्ना के अनशन स्थल जंतर-मंतर पर गुरुवार देर रात तक उपस्थित समर्थक अन्ना द्वारा मौजूदा व्यवस्था की जगह कोई अन्य राजनीतिक विकल्प उपलब्ध कराए जाने के आह्वान को लेकर विचार-विमर्श करते रहे।
एक ओर जहां लोग छोटे-छोटे समूहों में चर्चा में मशगूल दिखे, वहीं भीड़-भाड़ कम होने के कारण हर ओर कचरा, प्लास्टिक की थैलियां ही नजर आ रही हैं। टीम अन्ना के अनशन की नौवीं रात जंतर-मंतर के माहौल में नाटकीय बदलाव देखने को मिला।
बुधवार रात अन्ना समर्थक लगातार 'जागते रहो' का नारा लगा रहे थे, क्योंकि उन्हें आशंका थी कि कहीं पुलिस टीम अन्ना के सदस्यों- अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसौदिया और गोपाल राय को जबरन अस्पताल न ले जाए। गुरुवार की रात उपस्थित लोग इस बहस में रात गुजार रहे थे कि क्या अन्ना को राजनीतिक विकल्प देना चाहिए।
घेरा बनाकर चर्चा कर रहे छोटे-छोटे समूहों के बीच मिश्रित राय देखने को मिली। आखिरी रात अनशन स्थल पर गंदगी और कूड़े का अंबार लग गया। 'अन्ना की रसोई' के डिब्बों, कागजों और पानी के प्लास्टिक रैपर से चारों ओर गंदगी बिखरी पड़ी है।
एक ओर जहां लोग छोटे-छोटे समूहों में चर्चा में मशगूल दिखे, वहीं भीड़-भाड़ कम होने के कारण हर ओर कचरा, प्लास्टिक की थैलियां ही नजर आ रही हैं। टीम अन्ना के अनशन की नौवीं रात जंतर-मंतर के माहौल में नाटकीय बदलाव देखने को मिला।
बुधवार रात अन्ना समर्थक लगातार 'जागते रहो' का नारा लगा रहे थे, क्योंकि उन्हें आशंका थी कि कहीं पुलिस टीम अन्ना के सदस्यों- अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसौदिया और गोपाल राय को जबरन अस्पताल न ले जाए। गुरुवार की रात उपस्थित लोग इस बहस में रात गुजार रहे थे कि क्या अन्ना को राजनीतिक विकल्प देना चाहिए।
घेरा बनाकर चर्चा कर रहे छोटे-छोटे समूहों के बीच मिश्रित राय देखने को मिली। आखिरी रात अनशन स्थल पर गंदगी और कूड़े का अंबार लग गया। 'अन्ना की रसोई' के डिब्बों, कागजों और पानी के प्लास्टिक रैपर से चारों ओर गंदगी बिखरी पड़ी है।
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