लखनऊ:
उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री एवं बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की प्रमुख मायावती ने शुक्रवार को जन लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार करने वाली संयुक्त समिति पर सवाल उठाते हुए कहा कि इसमें कोई दलित नहीं है। उन्होंने मसौदा समिति के पुनर्गठन की मांग करते हुए कहा कि इसमें किसी एक दलित को शामिल किया जाना चाहिए। मुख्यमंत्री ने यहां आयोजित संवाददाता सम्मेलन में कहा कि लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार करने वाली दस सदस्यों की संयुक्त समिति में एक भी दलित नहीं है। सभी ऊंची जाति के हैं। केंद्र सरकार दलित विरोधी है, तभी समिति में किसी दलित को जगह नहीं मिली। उन्होंने सवाल उठाते हुए कहा, "देश में क्या कोई दलित संविधान का जानकार नहीं है? अक्सर अहम मुद्दों पर दलित को दरकिनार कर दिया जाता है।" मायावती ने कहा, "जन लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार करने वाली संयुक्त समिति में सुधार हो और मेरी सलाह है कि कांग्रेस को इसमें अनुसूचित जाति के एक योग्य व्यक्ति को शामिल करके अपनी गलती को सुधारना चाहिए।" बसपा प्रमुख ने कहा कि अन्ना हजारे तो दलितों के मसीहा बाबा साहेब अम्बेडकर की धरती यानी महाराष्ट्र से आते हैं..उन्हें तो यह सोचना चाहिए था। जन लोकपाल विधेयक का मसौदा तैयार करने वाली संयुक्त समिति से शांति भूषण के इस्तीफे की मांग के बीच मायावती ने बिना उनका (शांति भूषण) नाम लिए निशाना साधा। उन्होंने कहा कि अगर समिति के किसी व्यक्ति की निष्ठा पर प्रश्नचिह्न लग जाए तो उससे दूरी बना लेनी चाहिए।
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