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This Article is From Dec 25, 2015

भारत चीन सीमा पर दबदबा तय करता है जमीन पर दावा : भारतीय सेना

भारत चीन सीमा पर दबदबा तय करता है जमीन पर दावा : भारतीय सेना
सेना की टुकड़ी को निर्देश देता एक अधिकारी
अरुणाचल में भारत-चीन सीमा से: अगले पांच दिनों के लिए आप बाहर रहेंगे। यह बात सेना के एक मेजर ने अपने अधिनस्थ सैनिकों से कही। 12 सैनिकों की एक टुकड़ी छोटे से टीले पर बैठी थी और सुबह से बर्फबारी हो रही थी। भूरे रंग की जमीन धीमे-धीमे सफेद रंग अख्तियार करती जा रही थी। ऐसे में अधिकारी ने अपने सैनिकों से कहा कि आपका काम लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल की पवित्रता को बनाए रखना है, चीनी टुकड़ियों की हरकत को देखना है और उनकी स्थिति का जायजा लेकर रिपोर्ट करना है।

कैसा भी मौसम हो, भारत और चीन के बीच 900 किलोमीटर लंबी मैकमोहन लाइन पर रोज पैदल सैनिक चलकर सीमा की रक्षा करते हैं। यह लाइन ब्रिटिश फॉरेन सेक्रेटरी हैनरी मैकमोहन ने 1914 में तय की थी जिससे भारत और चीन के बीच की सीमा का निर्धारण हुआ था। सीमा पर तमाम ऐसी जगहें हैं जिस पर दोनों ओर से दावा किया जाता है और इसके कारण कई बार दोनों ओर के सैनिक आमने-सामने आ जाते हैं।

पहाड़ पर 14000 फीट की ऊंचाई पर लगभग रोज चूहे-बिल्ली का खेल होता है। एनडीटीवी से एक वरिष्ठ कमांडर ने कहा कि चीनियों को यह पता होना चाहिए कि हम वहां मौजूद हैं और इतना ही नहीं उन्हें इस बात का ऐहसास भी होना चाहिए कि हम उनपर नजर भी बनाए हुए हैं।

पूर्व में चीन ने केवल तवांग ही नहीं पूरे अरुणाचल प्रदेश पर अपना दावा किया है। यही वजह है कि सीमा पर भारत हर रिज और पहाड़ी पर भारत को अपनी पुख्ता मौजूदगी दिखानी पड़ती है। भारतीय सेना के अधिकारियों का दावा है कि चीन की सेना की मौजूदगी अपनी सीमा में काफी भीतर तक ही है।

भारतीय सेना के कमांडर का कहना है कि हमारा मकसद साफ है कि जब भी चीनी सैनिक पैट्रोल पर आएं उन्हें हमारी मौजूदगी मिले ताकि वह यह समझ जाएं कि हम अपने दावे को लेकर गंभीर हैं।

आम तौर पर हर पैट्रोल पार्टी को करीब  25 किलोमीटर का एरिया देखना होता है। इस दौरान उन्हें कई पहाड़ियों की ऊंचाई को नापना पड़ता है। कमांडर का कहना है कि पिछले कुछ सालों में भारतीय सैनिकों को चीनी भाषा बोलने का प्रशिक्षण दिया गया है। इससे चीनी सैनिकों को यह बताने में आसानी रहती है कि वे अपनी सीमा पार कर भारतीय सीमा में घुस आए हैं।

उल्लेखनीय है कि भारत और चीन ने 2013 में बीडीसीए यानी बॉर्डर डिफेंस कोऑपरेशन एग्रीमेंट पर दस्तखत किए थे। यह समझौता इसलिए हुआ था ताकि दोनों देशों के बीच गलतफहमियों को समाप्त किया जा सके और सीमा से जुड़े मुद्दों पर एक-दूसरे की चिंताओं से अवगत कराया जा सके। अब दोनों तरफ के अधिकारीगण लगातार एक अंतराल पर मुलाकात करते रहते हैं। सेना के एक कमांडर ने बताया कि इस समझौते की वजह से तमाम स्थानीय मुद्दों को सुलझाने में काफी मदद मिली।

तेजपुर, जहां पर 4 कॉर्प्स का हेडक्वार्टर है, इसी पर तवांग और अरुणाचल प्रदेश की सुरक्षा का जिम्मा है का मानना है कि जितना ही भारत सीमा पर अपनी स्थिति मजबूत कर रहा है उतना ही चीन आक्रामक होता जा रहा है।

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