कोरोनावायरस से जूझ रहे उत्तर प्रदेश में सियासत थमने का नाम नहीं ले रही. यहां एक के बाद एक मुद्दे पर राजनीति शुरू हो गई है. अब राज्य की योगी आदित्यनाथ सरकार की ओर से शनिवार को जारी किए गए एक फैसले पर विपक्ष की समाजवादी पार्टी ने आपत्ति जताई है. योगी सरकार ने शनिवार को अपने एक आदेश में कहा कि कोरोनावायरस के एल-2 और एल-3 अस्पतालों के आइसोलेशन वॉर्ड में अब मोबाइल ले जाने की अनुमति नहीं होगी. इन वॉर्ड्स में मरीज अपने पास मोबाइल नहीं रख सकते. इसके पीछे की वजह बताई गई है कि मोबाइल से संक्रमण फैलता है.
इस आदेश पर रविवार को समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने इस आदेश के पीछे की मंशा जाननी चाही. उन्होंने कहा कि अगर मोबाइल से संक्रमण फैलता है तो इसे पूरे देश में बैन कर देना चाहिए.
उन्होंने योगी सरकार पर आरोप लगाया कि सरकार अपने अस्पतालों की दुर्दशा लोगों तक नहीं पहुंचने देना चाहती है, इसलिए यह पांबंदी लगाई गई है. उन्होंने कहा कि संक्रमण का डर है तो सैनिटाइजेशन किया जाना चाहिए. मोबाइल बैन नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि अकेले में मरीजों के लिए यह एक मानसिक सहारा है.
अखिलेश ने एक ट्वीट कर कहा, ‘अगर मोबाइल से संक्रमण फैलता है तो आइसोलेशन वार्ड के साथ पूरे देश में इसे बैन कर देना चाहिए. यही तो अकेले में मानसिक सहारा बनता है. वस्तुतः अस्पतालों की दुर्व्यवस्था व दुर्दशा का सच जनता तक न पहुंचे, इसीलिए ये पाबंदी है. ज़रूरत मोबाइल की पाबंदी की नहीं बल्कि सैनेटाइज़ करने की है.'
अगर मोबाइल से संक्रमण फैलता है तो आइसोलेशन वार्ड के साथ पूरे देश में इसे बैन कर देना चाहिए. यही तो अकेले में मानसिक सहारा बनता है. वस्तुतः अस्पतालों की दुर्व्यवस्था व दुर्दशा का सच जनता तक न पहुँचे, इसीलिए ये पाबंदी है. ज़रूरत मोबाइल की पाबंदी की नहीं बल्कि सैनेटाइज़ करने की है.
— Akhilesh Yadav (@yadavakhilesh) May 24, 2020
बता दें कि शनिवार की रात लखनऊ के चिकित्सा शिक्षा महानिदेशक केके गुप्ता की ओर से एक आदेश जारी कर कहा किया कि कोरोनावायरस के मरीजों के लिए बनाए गए एल-2 और एल-3 अस्पतालों के आइसोलेशन वॉर्ड में अब मोबाइल प्रतिबंधित कर दिया गया है. इसमें कहा गया है कि चूंकि से वायरस का संक्रमण फैलता है ऐसे में मरीज अब वॉर्ड में मोबाइल नहीं रख सकेंगे.
UP govt bans use of mobile phones by patients in isolation wards of L-2 & L-3 dedicated #COVID19 hospitals. The mobile phones of such patients needs to be submitted to the ward incharge of the COVID care centre so as to ensure mobile phone infection prevention norms. pic.twitter.com/uMAZWDmsVK
— ANI UP (@ANINewsUP) May 23, 2020
सोशल मीडिया पर भी लोगों ने इस फैसले पर सवाल उठाए हैं. लोगों का कहना है कि मोबाइल को रोज डिस्इन्फेक्ट किया जा सकता है. इस फैसले से पहले ही आइसोलेशन में रह रहे मरीजों पर बुरा असर होगा. संकट के इस वक्त में वो अपने परिवार से कनेक्टेड रहना चाहते हैं लेकिन सरकार के इस फैसले से उनकी यह राहत भी छिन जाएगी.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं