नई दिल्ली:
सुप्रीम कोर्ट दिल्ली में वायु प्रदूषण की चिंताजनक स्थिति को लेकर दाखिल याचिका पर सुनवाई करेगा. याचिका में कहा गया है कि उसने पहले कई निर्देश दिए थे, लेकिन उन्हें प्रभावी तरीके से लागू नहीं किया गया है, जिसकी वजह से पब्लिक एमरजेंसी जैसे हालात हो गए हैं.
विज्ञान और पर्यावरण केंद्र की सुनीता नारायण के अदालत को बताया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा पिछले साल जारी किए गए निर्देशों को प्रभावी तरीके से लागू नहीं किया गया. पर्यावरण प्रदूषण प्राधिकरण ने सुप्रीम कोर्ट को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण की स्थिति पर रिपोर्ट भी सौंपी. हालात बिगड़ने के बाद सरकार जागी है, लेकिन अगर पहले ही कदम उठाए गए होते तो हालात शायद इतने खराब नहीं होते.
इससे पहले केंद्रीय पर्यावरण मंत्री अनिल दवे नें एनडीटीवी इंडिया से खास बातचीत में कहा कि 80 फीसदी प्रदूषण डीजल, पेट्रोल, कोयला और लकड़ी जलाने की वजह से हुआ है.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने कई महीने तक प्रदूषण पर सुनवाई की थी और कई निर्देश जारी किए थे. डीजल कारों पर बैन से लेकर ट्रकों को लेकर भी निर्देश दिए गए थे. कमर्शियल वाहनों पर ग्रीन सेस लगाया गया था.
विज्ञान और पर्यावरण केंद्र की सुनीता नारायण के अदालत को बताया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा पिछले साल जारी किए गए निर्देशों को प्रभावी तरीके से लागू नहीं किया गया. पर्यावरण प्रदूषण प्राधिकरण ने सुप्रीम कोर्ट को राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु प्रदूषण की स्थिति पर रिपोर्ट भी सौंपी. हालात बिगड़ने के बाद सरकार जागी है, लेकिन अगर पहले ही कदम उठाए गए होते तो हालात शायद इतने खराब नहीं होते.
इससे पहले केंद्रीय पर्यावरण मंत्री अनिल दवे नें एनडीटीवी इंडिया से खास बातचीत में कहा कि 80 फीसदी प्रदूषण डीजल, पेट्रोल, कोयला और लकड़ी जलाने की वजह से हुआ है.
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने कई महीने तक प्रदूषण पर सुनवाई की थी और कई निर्देश जारी किए थे. डीजल कारों पर बैन से लेकर ट्रकों को लेकर भी निर्देश दिए गए थे. कमर्शियल वाहनों पर ग्रीन सेस लगाया गया था.
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