भारतीय वायु सेना प्रमुख आरकेएस भदौरिया ने बुधवार और गुरुवार को लद्दाख का दो दिन का दौरा किया. साथ ही वायु सेना की तैयारियों का जायजा लिया. गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हिंसक झड़प और 20 जवानों की जान जाने के बाद इस दौरे को अहम माना जा रहा है.
वायु सेना प्रमुख भदौरिया ने लेह एयरबेस का बुधवार को और श्रीनगर एयरबेस का गुरुवार को दौरा किया. बता दें कि वायुसेना जम्मू और कश्मीर में श्रीनगर, अवंतीपोरा और लेह में या तो लड़ाकू स्क्वाड्रन या लड़ाकू टुकड़ियों के साथ कई वायु सेना ठिकानों का संचालन करती है.
एएनआई के मुताबिक वायु सेना प्रमुख दो दिवसीय यात्रा पर थे, जहां उन्होंने पूर्वी लद्दाख में LAC पर चीन के साथ झड़प के मद्देनजर सभी प्लेटफार्मों के परिचालन की जांच की. बता दें कि यहां चीन ने अपने 10,000 से अधिक सैनिकों को तैनात किया हुआ है. इसी के साथ भारतीय वायु सेना के लड़ाकू जेट और अपाचे हेलीकॉप्टरों को भी लेह में देखा गया.
एएनआई ने बताया कि भारतीय वायुसेना ने सुखोई -30 एमकेआई, मिराज 2000 और जगुआर लड़ाकू विमानों को वहां तैनात किया है जहां से वे बहुत ही कम समय में उड़ान भर सकते हैं. हेलीकॉप्टरों को उन क्षेत्रों के करीब तैनात किया गया है जहां जमीन पर सैनिकों द्वारा कार्रवाई की जा रही है.
भारतीय वायुसेना ने अब तक चीनी वायु सेना की गतिविधियों की पुष्टि नहीं की है. हालांकि सैटेलाइट तस्वीरें बताती हैं कि तिब्बत में नगारी वायु सेना के बेस पर बुनियादी ढांचे का तेजी से निर्माण चल रहा है जो कि पैंगोंग झील से बहुत दूर नहीं जहां बड़े पैमाने पर चीनी घुसपैठ हुई है.
चीन तिब्बत में वायु सेना के कई ठिकानों का संचालन करता है जिसका सीधा इस्तेमाल भारत के साथ किसी भी टकराव में किया जा सकता है. पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के स्कार्दू में पाकिस्तान का एयर बेस भी चीनी लड़ाकू विमानों के काम आ सकता है. भारतीय वायु सेना स्कार्दू में स्थिति की बारीकी से निगरानी कर रही है, लेकिन पाकिस्तान बेस पर चीनी लड़ाकू विमानों की मौजूदगी की पुष्टि नहीं की है.
(एएनआई से इनपुट के साथ)
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