
(प्रतीकात्मक तस्वीर)
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लापरवाही की घटना के केंद्र में सर्जरी विभाग के एक सहायक प्रोफेसर हैं.
डायलीसिस के उपचार के लिए होने वाली एक सर्जरी करके फेस्टुला बना दिया.
बिहार के सहरसा की रहने वाली हैं रेखा देवी.
सूत्र ने बताया कि विभाग की संबद्ध इकाई के प्रमुख ने जांच के आदेश दिए थे, उस जांच में और चिकित्सा अधीक्षक ने भी सहायक प्रोफेसर को दोषी माना है. बिहार के सहरसा की रहने वाली रेखा देवी एम्स में उपचार के लिए आई थीं. उनके गृहनगर के एक अस्पताल में उनके पेट की सर्जरी हुई जिसके बाद हुई जटिलताओं के उपचार के लिए वह यहां आई थीं.
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एम्स में सात फरवरी को उन्हें लोकल ऐनेस्थीसिया देकर पेट की जांच के लिए छोटे ऑपरेशन थियेटर ले जाया गया. नर्सिंग रिपोर्ट के मुताबिक चिकित्सक को बताया गया कि मरीज को पेट दर्द की शिकायत है. लेकिन उन्होंने फिस्टुला बना दिया जिसका इस्तेमाल गुर्दे की बीमारी से पीड़ित मरीज की डायलीसिस प्रक्रिया के लिए होता है. इसके बाद मरीज से बातचीत में पता चला कि उन्हें किडनी संबंधी कोई समस्या नहीं है. शुरूआती जांच रिपोर्ट के मुताबिक, ‘मरीज और उसके परिजनों को इस बारे में बताया गया और अगले दिन सही आपरेशन किया गया.’ इसके मुताबिक, ‘मरीज की गलत शल्यक्रिया की गई लेकिन इसे मरीज के रिकॉर्ड में दर्ज नहीं किया गया.
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हालांकि नर्सिंग रिपोर्ट बुक में इसका जिक्र है.’ घटना के बारे में इकाई के प्रमुख डॉ. सुनील चुम्बर को बताया गया जिन्होंने मामले की जांच कराई. इसमें पाया गया कि चिकित्सक ने गलत सर्जरी की और दस्तावेजों में बदलाव करके इस पर लीपापोती करने की कोशिश की. इस जांच के नतीजे एम्स के निदेशक को सौंप दिये गये हैं. सूत्र के मुताबिक चिकित्सा अधीक्षक डॉ. डीके शर्मा ने भी जांच के आदेश दिए थे, उसमें भी चिकित्सक को दोषी पाया गया और सहायक प्रोफेसर को हर तरह के क्लिनकल संबंधी कामकाज से हटाने का सुझाव दिया गया है.
(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)