भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का जिक्र करने के दौरान कथित रूप से 'आपत्तिजनक' शब्दों का इस्तेमाल करके हरियाणा के शिक्षा मंत्री रामबिलास शर्मा ने खुद को मुसीबत में डाल दिया है। शर्मा ने पंचकुला में संवाददाताओं से कहा, 'मेरा आशय देश के पहले प्रधानमंत्री का निरादर करना नहीं था। मैंने केवल हरियाणवी बोली का इस्तेमाल किया था और जब नेहरू का निधन हुआ था उस दौरान रोहतक से दिल्ली जा रहे यात्रियों के बीच की बातचीत का हवाला दिया था।
यदि इससे किसी की भावना को ठेस पहुंची है तो मैं इसके लिए माफी मांगता हूं।' हरियाणा के रोहतक में महार्षि दयानंद विश्वविद्यालय में आयोजित तीन दिवसीय लोक महोत्सव में कल मुख्य अतिथि के तौर पर शामिल हुए मंत्री तब विवादों में फंस गए जब उन्होंने अपने भाषण में एक किस्सा सुनाया। इसमें दो व्यक्तियों की बातचीत का जिक्र था जिन्होनें नेहरू के बारे बातचीत करते हुए अपशब्द का इस्तेमाल किया था। विपक्षी कांग्रेस ने शर्मा की टिप्पणी की आलोचना करते हुए कहा कि भाजपा सरकार में वरिष्ठ मंत्रियों द्वारा ऐसी भाषा का इस्तेमाल राष्ट्रीय प्रतीकों के खिलाफ है जिसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। पार्टी इस मामले पर राज्यव्यापी प्रदर्शन का आयोजन कर रही है।
हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष अशोक तंवर ने इस टिप्पणी को 'राष्ट्र का अपमान' करार दिया। अशोक तंवर ने कहा, 'यह राष्ट्रीय प्रतीकों को अपमानित करने की संगठित दक्षिणपंथियों की मुहिम का हिस्सा है। बड़ों का खास तौर पर मृतकों का आदर करना हमारी संस्कृति का हिस्सा है। भारतीय नेहरू जी को चाचा पुकारते हैं और उनका अपमान करना देश का अपमान है।
हम उनके इस व्यवहार की निंदा करते हैं।' तंवर ने कहा कि हरियाणा में नवनिर्वाचित विधायकों के लिए आयोजित ओरिएंटेशन क्लास के महज दो दिन बाद ही किसी वरिष्ठ मंत्री द्वारा इस तरह की भाषा का इस्तेमाल किया गया । ओरिएंटेशन में विधायकों को यह बताया गया था कि वे जनता के समक्ष खुद को कैसे प्रस्तुत करें। भाजपा नेता ने इससे पहले भी अपनी टिप्पणी से तब विवाद को जन्म दिया था जब उन्होंने स्कूली पाठ्यक्रम में 'भगवद् गीता' को शामिल करने के फैसले के बाद यह कहा था कि राज्य सरकार शिक्षा का 'भगवाकरण' करना चाहती है।
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