प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
दिल्ली में कई माता-पिता ऐसे हैं, जिनके पास बड़ी कारें, शानदार मकान और गर्मियों की छुट्टियां मनाली से लेकर ऑस्ट्रेलिया तक में बितती है, लेकिन उनके बच्चे गरीब के कोटे से मुफ्त शिक्षा ले रहे हैं।
दरअसल दिल्ली में नामी स्कूलों में दाखिले की समस्या डिमांड और सप्लाई के चलते गड्मगड हो गई है। हर साल बच्चे पांच लाख बच्चों का फार्म भरा जाता है, लेकिन सीटें एक लाख होती है। उसमें भी नामी स्कूलों में दाखिला बच्चों के भविष्य से ज्यादा माता-पिता को अपना स्टेटस सिंबल बढ़ाने में ज्यादा मदद करता है। यही वजह है करोड़पति माता-पिता भी अपने बच्चे को गरीब दिखाने की इस होड़ में शामिल हो गए हैं।
पहले क्राइम ब्रांच ने इस तरह के 250 फर्जी दाखिले पकड़े अब पूरी दिल्ली के स्कूलों में आमदनी का सर्टिफीकेट चेक करने की मुहिम चल पड़ी है। साथ ही बिचौलिए के साथ अब उन माता-पिता के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज करवाया जा रहा है। जिन्होंने स्कूलों में इस तरह का सार्टिफीकेट जमा करवाया था। (पढ़ें- दिल्ली के नामी स्कूलों में गरीब तबके से 250 फर्जी एडमिशन, 4 गिरफ्तार)
दो हज़ार रुपये में बनों गरीब
आमदनी का सार्टिफीकेट देने का काम जिला उपायुक्त दफ्तर का होता है। इस पर तहसीलदार के हस्ताक्षर होते हैं। बाकायदा एक वेरीफीकेशन होता है, लेकिन दिल्ली के इस तरह के दफ्तर के बाहर आपको कई दलाल मिलेंगे, जो आपसे बिना दौड़-भाग किए 5 हज़ार में सार्टिफीकेट बनाने का ऑफर देंगे। मोलभाव करके 2 से ढाई हज़ार रुपए में आप खुद गरीब बन सकते हैं। लेकिन साउथ दिल्ली उपायुक्त निहारिका राय ने अभी दो लोगों को पकड़ा, जो हूबहू स्कैन और तहसीलदार के जाली साइन करके प्रमाण पत्र देते थे।
गरीबों ने भी लिए जाली गरीबी के प्रमाण पत्र
सुमन महतो ने भी गरीबी का फर्जी प्रमाण पत्र बनवाकर अपने बच्चे को गरीबी के कोटे से दाखिला करवाया। एनडीटीवी इंडिया ने जब इसकी पड़ताल की तो पाया इसमें जीके-1 के ई ब्लॉक का पता दिया था। आमतौर पर जीके वन-1 दिल्ली का पॉश इलाका माना जाता, लेकिन जब मैं इस पते पर पहुंचा तो पाया कि वो वहां एक कमरे में रहना वाला गार्ड है। उसने कहा कि आमदनी का प्रमाणपत्र बनवाने गया था, लेकिन एक शख्श मिल गया बोला कि कहां तुम दौड़भाग करोगे 2000 रुपए में तीन चार दिन में बनवा दूंगा। उसने सुमन महतो को भी गरीबी का प्रमाणपत्र थमा दिया। अब इनके ऊपर भी मामला दर्ज हुआ है।
दरअसल दिल्ली में नामी स्कूलों में दाखिले की समस्या डिमांड और सप्लाई के चलते गड्मगड हो गई है। हर साल बच्चे पांच लाख बच्चों का फार्म भरा जाता है, लेकिन सीटें एक लाख होती है। उसमें भी नामी स्कूलों में दाखिला बच्चों के भविष्य से ज्यादा माता-पिता को अपना स्टेटस सिंबल बढ़ाने में ज्यादा मदद करता है। यही वजह है करोड़पति माता-पिता भी अपने बच्चे को गरीब दिखाने की इस होड़ में शामिल हो गए हैं।
पहले क्राइम ब्रांच ने इस तरह के 250 फर्जी दाखिले पकड़े अब पूरी दिल्ली के स्कूलों में आमदनी का सर्टिफीकेट चेक करने की मुहिम चल पड़ी है। साथ ही बिचौलिए के साथ अब उन माता-पिता के खिलाफ भी मुकदमा दर्ज करवाया जा रहा है। जिन्होंने स्कूलों में इस तरह का सार्टिफीकेट जमा करवाया था। (पढ़ें- दिल्ली के नामी स्कूलों में गरीब तबके से 250 फर्जी एडमिशन, 4 गिरफ्तार)
दो हज़ार रुपये में बनों गरीब
आमदनी का सार्टिफीकेट देने का काम जिला उपायुक्त दफ्तर का होता है। इस पर तहसीलदार के हस्ताक्षर होते हैं। बाकायदा एक वेरीफीकेशन होता है, लेकिन दिल्ली के इस तरह के दफ्तर के बाहर आपको कई दलाल मिलेंगे, जो आपसे बिना दौड़-भाग किए 5 हज़ार में सार्टिफीकेट बनाने का ऑफर देंगे। मोलभाव करके 2 से ढाई हज़ार रुपए में आप खुद गरीब बन सकते हैं। लेकिन साउथ दिल्ली उपायुक्त निहारिका राय ने अभी दो लोगों को पकड़ा, जो हूबहू स्कैन और तहसीलदार के जाली साइन करके प्रमाण पत्र देते थे।
गरीबों ने भी लिए जाली गरीबी के प्रमाण पत्र
सुमन महतो ने भी गरीबी का फर्जी प्रमाण पत्र बनवाकर अपने बच्चे को गरीबी के कोटे से दाखिला करवाया। एनडीटीवी इंडिया ने जब इसकी पड़ताल की तो पाया इसमें जीके-1 के ई ब्लॉक का पता दिया था। आमतौर पर जीके वन-1 दिल्ली का पॉश इलाका माना जाता, लेकिन जब मैं इस पते पर पहुंचा तो पाया कि वो वहां एक कमरे में रहना वाला गार्ड है। उसने कहा कि आमदनी का प्रमाणपत्र बनवाने गया था, लेकिन एक शख्श मिल गया बोला कि कहां तुम दौड़भाग करोगे 2000 रुपए में तीन चार दिन में बनवा दूंगा। उसने सुमन महतो को भी गरीबी का प्रमाणपत्र थमा दिया। अब इनके ऊपर भी मामला दर्ज हुआ है।
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