मुंबई:
आदर्श सोसाइटी घोटाले में धन शोधन के आरोपी सोसाइटी सदस्यों के खिलाफ जांच शुरू कर पाने में नाकाम रहने और ‘गंभीर खामी’ के लिए मुंबई उच्च न्यायालय मंगलवार को प्रवर्तन निदेशालय पर जमकर बरसा और जांच एजेंसी के निदेशक को 12 मार्च को पेश होने का समन जारी किया।
न्यायमूर्ति पी बी मजूमदार और न्यायमूर्ति आर डी धनुका की खंडपीठ ने कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ईडी मूक दर्शक बनी रही। धनशोधन अपराध की जांच नहीं करने कर एजेंसी ने गंभीर खामी की। ईडी एक इंच भी आगे नहीं बढ़ी है। यह बहुत दुखद स्थिति है।’ अदालत सामाजिक कार्यकर्ता सिमप्रीत सिंह और प्रवीण वातगांवकर की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
याचिका में ईडी को धनशोधन अपराधों की जांच शुरू करने और अदालत से जांच की निगरानी करने की मांग की गई।
ईडी के वकील ने सूचित किया कि मामले की जांच सीबीआई द्वारा किए जाने के कारण वह जांच शुरू नहीं कर पाई है जिसपर अदालत ने गुस्से में कहा, ‘आप सीबीआई पर क्यों निर्भर कर रहे हैं? आप एक अलग एजेंसी हैं और स्वतंत्र जांच कर सकते हैं?’
न्यायमूर्ति पी बी मजूमदार और न्यायमूर्ति आर डी धनुका की खंडपीठ ने कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ईडी मूक दर्शक बनी रही। धनशोधन अपराध की जांच नहीं करने कर एजेंसी ने गंभीर खामी की। ईडी एक इंच भी आगे नहीं बढ़ी है। यह बहुत दुखद स्थिति है।’ अदालत सामाजिक कार्यकर्ता सिमप्रीत सिंह और प्रवीण वातगांवकर की याचिका पर सुनवाई कर रही थी।
याचिका में ईडी को धनशोधन अपराधों की जांच शुरू करने और अदालत से जांच की निगरानी करने की मांग की गई।
ईडी के वकील ने सूचित किया कि मामले की जांच सीबीआई द्वारा किए जाने के कारण वह जांच शुरू नहीं कर पाई है जिसपर अदालत ने गुस्से में कहा, ‘आप सीबीआई पर क्यों निर्भर कर रहे हैं? आप एक अलग एजेंसी हैं और स्वतंत्र जांच कर सकते हैं?’
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