नई दिल्ली:
केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने शुक्रवार को सर्वोच्च न्यायालय से कहा कि वह आरुषि हत्याकांड मामले में डा. नूपुर तलवार को तब तक गिरफ्तार नहीं करेगा जब तक कि गैरजमानती वारंट के खिलाफ उनकी याचिका अदालत के पास विचाराधीन है।
साल 2008 के आरुषि हत्याकांड मामले में आरोपी नूपुर ने सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा उनके खिलाफ जारी गैर-जमानती वारंट पर रोक लगाए जाने की मांग को लेकर गुरुवार को सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। इससे एक दिन पहले ही नूपुर के गायब रहने की खबरें आईं थीं।
न्यायमूर्ति एके पटनायक व न्यायमूर्ति जेएस खेहर की सर्वोच्च न्यायालय की खंडपीठ ने सीबीआई से कहा कि वह वादा करे कि याचिका विचाराधीन रहने तक नूपुर तलवार को गरफ्तार नहीं किया जाएगा।
अतिरिक्त महाधिवक्ता हरीन रावल ने कहा कि अदालत द्वारा जो कुछ कहा गया था, जांच एजेंसी उसे संज्ञान में लेगी। खंडपीठ को सीबीआई पर पूरा भरोसा है।
अदालत ने इस मामले को प्रधान न्यायाधीश एसएच कपाड़िया के समक्ष लाए जाने का निर्देश दिया ताकि इसे उपयुक्त खंडपीठ की कार्यवाही में सूचीबद्ध किया जा सके।
अदालत ने कहा कि गुरुवार को खंडपीठ इस मामले की सुनवाई करने को इसलिए राजी हो गई थी क्योंकि उसके समक्ष एक पहले की याचिका लाई गई थी जिसमें उसके एक फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की गई थी। फैसले में नूपुर तलवार और उनके पति को उनकी बेटी की हत्या सम्बंधी मामले की सुनवाई के समय अदालत में उपस्थित रहने का निर्देश दिया गया था।
नूपुर व राजेश तलवार की 14 वर्षीया बेटी आरूषि 2008 मई में उनके नोएडा स्थित आवास में मृत पाई गई थी। पहले तलवार दम्पति के घरेलू नौकर हेमराज पर हत्या का शक था लेकिन बाद में उनके घर की छत पर उसका शव भी मिला।
न्यायमूर्ति एके पटनायक व न्यायमूर्ति जेएस खेहर द्वारा नूपुर तलवार की याचिका पर सुनवाई किए जाने से ठीक पहले न्यायमूर्ति बीएस चौहान और न्यायमूर्ति खेहर ने राजेश तलवार की उस याचिका पर सुनवाई की जिसमें यह स्पष्ट करने की मांग की गई थी उन्हें दी गई जमानत क्या उनकी पत्नी पर भी लागू होगी।
सीबीआई ने अदालत से कहा कि नूपुर राजेश तलवार की याचिका पर दिए गए फैसले का लाभ लेने का प्रयास कर रही हैं।
नूपुर तलवार ने अपनी याचिका में अदालत से कहा कि शुरुआती जांच के बाद न तो उत्तर प्रदेश पुलिस और न ही सीबीआई ने उन्हें आरोपी माना था। उन्होंने कहा कि निचली अदालत के दंडाधिकारी ने उन्हें आरोपी माना और उनके खिलाफ वारंट जारी कर दिया।
यह आशंका जताते हुए कि यदि वह दंडाधिकारी ई अदालत के समक्ष पेश होंगी तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा, नूपुर तलवार ने कहा कि जांच पूरी की जाने की जरूरत है, जबकि जांच एजेंसी पहले ही मामले की समापन रिपोर्ट पेश कर चुकी है। उन्होंने कहा कि यदि फिर से शुरू करने की बात है ऐसे में लाभ उठाने की कोई वजह नहीं है।
नूपुर ने अदालत से कहा कि उनके पति को 11 जुलाई 2008 को जमानत मिली थी जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने नौ जनवरी को दिए अपने आदेश में बरकरार रखा है।
ज्ञात हो कि मामले में सुनवाई के दौरान नूपुर के पेश न होने पर गाजियाबाद की विशेष अदालत ने बुधवार को उनके खिलाफ वारंट जारी किया था। इसके बाद सीबीआई ने उनकी तलाश की थी लेकिन उसे सफलता नहीं मिली।
उनके दंत चिकित्सक पति राजेश तलवार भी मामले में आरोपी हैं लेकिन वह अदालत में पेश हुए थे।
नूपुर ने अपने वकील के जरिए न्यायालय में दाखिल अर्जी में कहा कि सर्वोच्च न्यायालय 27 अप्रैल को उनकी पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करेगा इसलिए वह बुधवार को सुनवाई के लिए उपस्थित नहीं हो सकतीं।
साल 2008 के आरुषि हत्याकांड मामले में आरोपी नूपुर ने सीबीआई की विशेष अदालत द्वारा उनके खिलाफ जारी गैर-जमानती वारंट पर रोक लगाए जाने की मांग को लेकर गुरुवार को सर्वोच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। इससे एक दिन पहले ही नूपुर के गायब रहने की खबरें आईं थीं।
न्यायमूर्ति एके पटनायक व न्यायमूर्ति जेएस खेहर की सर्वोच्च न्यायालय की खंडपीठ ने सीबीआई से कहा कि वह वादा करे कि याचिका विचाराधीन रहने तक नूपुर तलवार को गरफ्तार नहीं किया जाएगा।
अतिरिक्त महाधिवक्ता हरीन रावल ने कहा कि अदालत द्वारा जो कुछ कहा गया था, जांच एजेंसी उसे संज्ञान में लेगी। खंडपीठ को सीबीआई पर पूरा भरोसा है।
अदालत ने इस मामले को प्रधान न्यायाधीश एसएच कपाड़िया के समक्ष लाए जाने का निर्देश दिया ताकि इसे उपयुक्त खंडपीठ की कार्यवाही में सूचीबद्ध किया जा सके।
अदालत ने कहा कि गुरुवार को खंडपीठ इस मामले की सुनवाई करने को इसलिए राजी हो गई थी क्योंकि उसके समक्ष एक पहले की याचिका लाई गई थी जिसमें उसके एक फैसले पर पुनर्विचार करने की मांग की गई थी। फैसले में नूपुर तलवार और उनके पति को उनकी बेटी की हत्या सम्बंधी मामले की सुनवाई के समय अदालत में उपस्थित रहने का निर्देश दिया गया था।
नूपुर व राजेश तलवार की 14 वर्षीया बेटी आरूषि 2008 मई में उनके नोएडा स्थित आवास में मृत पाई गई थी। पहले तलवार दम्पति के घरेलू नौकर हेमराज पर हत्या का शक था लेकिन बाद में उनके घर की छत पर उसका शव भी मिला।
न्यायमूर्ति एके पटनायक व न्यायमूर्ति जेएस खेहर द्वारा नूपुर तलवार की याचिका पर सुनवाई किए जाने से ठीक पहले न्यायमूर्ति बीएस चौहान और न्यायमूर्ति खेहर ने राजेश तलवार की उस याचिका पर सुनवाई की जिसमें यह स्पष्ट करने की मांग की गई थी उन्हें दी गई जमानत क्या उनकी पत्नी पर भी लागू होगी।
सीबीआई ने अदालत से कहा कि नूपुर राजेश तलवार की याचिका पर दिए गए फैसले का लाभ लेने का प्रयास कर रही हैं।
नूपुर तलवार ने अपनी याचिका में अदालत से कहा कि शुरुआती जांच के बाद न तो उत्तर प्रदेश पुलिस और न ही सीबीआई ने उन्हें आरोपी माना था। उन्होंने कहा कि निचली अदालत के दंडाधिकारी ने उन्हें आरोपी माना और उनके खिलाफ वारंट जारी कर दिया।
यह आशंका जताते हुए कि यदि वह दंडाधिकारी ई अदालत के समक्ष पेश होंगी तो उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा, नूपुर तलवार ने कहा कि जांच पूरी की जाने की जरूरत है, जबकि जांच एजेंसी पहले ही मामले की समापन रिपोर्ट पेश कर चुकी है। उन्होंने कहा कि यदि फिर से शुरू करने की बात है ऐसे में लाभ उठाने की कोई वजह नहीं है।
नूपुर ने अदालत से कहा कि उनके पति को 11 जुलाई 2008 को जमानत मिली थी जिसे सर्वोच्च न्यायालय ने नौ जनवरी को दिए अपने आदेश में बरकरार रखा है।
ज्ञात हो कि मामले में सुनवाई के दौरान नूपुर के पेश न होने पर गाजियाबाद की विशेष अदालत ने बुधवार को उनके खिलाफ वारंट जारी किया था। इसके बाद सीबीआई ने उनकी तलाश की थी लेकिन उसे सफलता नहीं मिली।
उनके दंत चिकित्सक पति राजेश तलवार भी मामले में आरोपी हैं लेकिन वह अदालत में पेश हुए थे।
नूपुर ने अपने वकील के जरिए न्यायालय में दाखिल अर्जी में कहा कि सर्वोच्च न्यायालय 27 अप्रैल को उनकी पुनर्विचार याचिका पर सुनवाई करेगा इसलिए वह बुधवार को सुनवाई के लिए उपस्थित नहीं हो सकतीं।
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