हुनर और कला के बलबूते शुरू किया 250 रुपये में स्टार्टअप, मिली कामयाबी

हुनर और कला के बलबूते शुरू किया 250 रुपये में स्टार्टअप, मिली कामयाबी

प्रतीकात्‍मक तस्‍वीर

खास बातें

  • दिल्‍ली में कला के छात्रों ने शुरू किया काम
  • हाथ से पेंटिंग बनाई हुई टी-शर्ट से जुड़ा काम
  • वीकलआर्ट डॉट कॉम के माध्‍यम से ऑनलाइन कारोबार
नई दिल्ली:

अक्सर जीवन की कई छोटी घटनाएं भी आपको कुछ बड़ा करने को प्रेरित कर देती हैं. दिल्ली में भी कला के छात्रों के एक समूह के साथ ऐसा ही कुछ हुआ और मात्र 250 रुपये की लागत से उन्होंने एक स्टार्टअप शुरू किया. यहां चल रहे 19वें भारत रंग महोत्सव के 'थिएटर बाजार' में एक स्टॉल पर हाथ से पेटिंग बनाई हुई टी-शर्ट मिल रही हैं. इसी के साथ ही यहां बेल्ट, गुलदान, बैग और तकिए के कवर इत्यादि पर भी पेटिंग बनाकर उन्होंने इसे बाजार में उतारा है. यह समूह 'वीकलआर्ट डॉट कॉम' के माध्यम से ऑनलाइन कारोबार भी करता है.

इस कंपनी को वरूण बकोलिया, मयंक बकोलिया, सैफ, कनिष्क और अजय ने करीब डेढ़ साल पहले शुरू किया था. मयंक बकोलिया ने कहा, ''यह स्टार्टअप वरूण के दिमाग की उपज है. पहले हम चित्रकला प्रदर्शनी में पेटिंग का प्रदर्शन किया करते थे. लेकिन काफी समय तक ऐसा करने के बाद भी पेटिंग सही कीमत पर बिक नहीं पाती थीं.''

मयंक ने कहा, ''उसके बाद हमने सोचा कि इस हुनर का रोजमर्रा की वस्तुओं पर इस्तेमाल करना चाहिए. हमने 250 रुपये की एक टी-शर्ट ली और उस पर चिलम पीते हुए एक बाबा की पेटिंग बनाई. इस टी-शर्ट की फोटो हमने फेसबुक पर साझा की और हमें काफी अच्छी प्रतिक्रिया मिली. इस प्रकार मात्र 250 रुपये की लागत में हमारा कारोबार चलने लगा.''

रोजमर्रा की वस्तुओं पर पेंटिंग करने के लिए वे एक्रिलिक रंगों का प्रयोग करते हैं क्योंकि यह कभी उतरते नहीं और ना ही फीके पड़ते हैं. कपड़ों पर लगाने के बाद इन्हें धोने में भी कोई परेशानी नहीं होती है. मयंक ने बताया कि उनके यहां सबसे कम कीमत पर 250 रुपये में उत्पाद मिल जाते हैं. यहां रंग महोत्सव में अपने स्टॉल पर वह एक टी-शर्ट की कीमत 400 रुपये ले रहे हैं. इसके अलावा वह लोगों की पसंद के हिसाब से भी उनके लिए उत्पाद बनाते हैं.

वीकल आर्ट जल्द ही घड़ी के डायल, पर्स, जींस इत्यादि श्रेणियों में भी अपने रंग-बिरंगे उत्पाद पेश करेगा. रंग महोत्सव के अलावा कॉमिक कॉन एवं अन्य इस प्रकार की प्रदर्शनियों में भी वह अपना स्टॉल लगाते हैं. मयंक के ही सहयोगी सैफ ने बताया कि पिछले साल रंग महोत्सव में उन्हें अच्छी प्रतिक्रिया मिली थी लेकिन इस बार बाजार थोड़ा फीका है. हो सकता है कि नकदी की कमी की वजह से बिक्री में यह कमी आई हो.


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