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This Article is From Oct 31, 2020

दिल्ली में कोरोना के मामलों में तेज उछाल, विशेषज्ञों ने रैपिड एंटीजन जांच पर उठाया सवाल

दिल्ली में देश के दूसरे राज्यों से अलग पिछले कुछ दिनों में कोविड-19 के लगातार बड़ी संख्या में केस सामने आए हैं. शुक्रवार को दिल्ली में संक्रमण के 5,891 नए केस सामने आए.

दिल्ली में कोरोना के मामलों में तेज उछाल, विशेषज्ञों ने रैपिड एंटीजन जांच पर उठाया सवाल
विशेषज्ञों ने कहा, रैपिड एंटीजन टेस्ट के सिर्फ 50 फीसदी ही नतीजे रहते हैं सही
नई दिल्ली:

विशेषज्ञों ने दिल्ली (Delhi) में कोरोना के मामलों में तेज उछाल को लेकर रैपिड एंटीजन टेस्ट (Rapid Antigen Test) पर सवाल उठाए हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि दिल्ली में बड़ी संख्या में अप्रामाणिक रैपिड एंटीजन जांच की वजह से कोविड-19 (Covid-19) के मामलों में और इजाफा होने की आशंका है. ऐसे वक्त प्रदूषण बढ़ रहा है और त्योहारों के मौसम में बाजारों में भीड़ है.

विशेषज्ञों ने कहा कि आरटीपीसीआर (RTPCR) जांच बढ़ाने से बड़ी संख्या में संक्रमण के मामलों का पता लगाने में भी मदद मिली है, लेकिन अन्यथा इसका पता ही नहीं चल पाता. दिल्ली में देश के दूसरे राज्यों से अलग पिछले कुछ दिनों में कोविड-19 के लगातार बड़ी संख्या में केस सामने आए हैं. शुक्रवार को दिल्ली में संक्रमण के 5,891 नए केस सामने आए.

फोर्टिस अस्पताल, वसंत कुंज की डॉ रिचा सरीन के मुताबिक, ‘अगर आरटीपीसीआर जांच और बढ़ाई जाए तो यह संख्या और भी भयावह होगी. लोग खासतौर पर युवा घरों में बैठे-बैठे मानसिक रूप से थक गए हैं और लोगों से मिलना-जुलना चाहते हैं, लेकिन अधिक जिम्मेदार नागरिक होने के बजाय उन्होंने सारी सावधानियों और एहतियात को तिलांजलि दे दी है,' फेफड़ा रोग विशेषज्ञ अरविंद कुमार ने कहा कि रैपिड एंटीजन जांच में सिर्फ 50 प्रतिशत जांच की रिपोर्ट ही सही आती है.

उन्होंने कहा कि रैपिड एंटीजन जांच का खतरा यह भी है कि अगर कोई व्यक्ति जिसे संक्रमण के लक्षण नहीं हैं, लेकिन वह संक्रमित है और जांच में उसके संक्रमित नहीं होने की पुष्टि हुई है तो उसे सही जानकारी नहीं मिल पाएगी और वह लोगों के बीच जाकर उन्हें भी संक्रमित कर सकता है. सर गंगाराम अस्पताल के डॉ. अरविंद कुमार के अनुसार, दिल्ली में अचानक से संक्रमण के मामलों में इजाफे के कारणों में प्रदूषण, त्योहारों की वजह से अधिक भीड़ और बाजारों, रेस्तरां और अन्य स्थानों पर लोगों का लापरवाह रवैया प्रमुख है.

दिल्ली सरकार ने अपनी दैनिक औसत जांच क्षमता को काफी बढ़ा दिया है और अगस्त में जहां रोजाना 18,000 जांच होती थीं, वहीं अक्टूबर में अब करीब 56,000 जांच की जा रही हैं. लेकिन इनमें से आरटीपीसीआर जांच केवल करीब 28 प्रतिशत हैं. अपोलो अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक सुरनजीत चटर्जी ने कहा कि प्रदूषण, त्योहारों का मौसम और लोगों, खासकर युवाओं द्वारा दिशानिर्देशों का पालन करने में लापरवाही बरतना बहुत खतरनाक साबित हो सकता है.
 

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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