नई दिल्ली:
गुरुवार यानी कल से काठमांडू के लिये वायुसेना के ट्रांसपोर्ट विमानों के ऑपरेशन पर रोक लग सकती है। एनडीटीवी इंडिया को सूत्रों के हवाले से पता चला है कि नई दिल्ली और दूसरे जगहों से काठमांडू जाने वाले ट्रांसपोर्ट विमानों की आवाजाही पर अब रोक लग जाएगी।
बहुत जरूरी होने पर ही ट्रांसपोर्ट विमानों को राहत अभियान में काठमांडू भेजा जाएगा। इसकी एक नहीं कई वजह हैं। सबसे बड़ी वजह तो यह बतायी जा रही है कि नेपाल सरकार और खास तौर पर नेपाली सेना इस बात से भी खुश नहीं है कि भारतीय मीडिया में राहत अभियानों में केवल भारत की बात ही दिखाई जा रही है और सारा क्रेडिट भारतीय सेनाओं को दिया जा रहा है।
नेपाली सेना को इससे अपनी तथा भारत के अलावा उन अन्य मित्र देशों की छवि की चिंता सता रही है जो रहत अभियान में मदद दे रहे हैं। शायद यही वजह है कि नेपाल की सेना ने मंगलवार को एक भी भारतीय पत्रकार को हेलीकॉप्टर से राहत अभियान के साथ उड़ान भरने नहीं दी।
बताया जा रहा है कि अब राहत सामग्री लेकर वायुसेना का जो भी विमान नेपाल जाएगा तो उसे पहले सारे डिटेल्स देने होंगे, मसलन क्या सामान लेकर आ रहा है और उसमें क्या-क्या शामिल है? इससे पहले ऐसा नही था। पालम एयरबेस से विमान सीधे काठमांडू के त्रिभूवन एयरपोर्ट के लिए उड़ान भरते थे और उन्हें कोई खास डिटेल्स देने की जरूरत नहीं पड़ती थी।
27 अप्रैल को वायुसेना के दो ट्रांसपोर्ट विमान काठमांडू गए थे लेकिन उन्हें उतरने नही दिया गया। उस समय इसकी वजह ये बताई गई कि काठमांडू में एयर ट्रैफिक बहुत ज्यादा है। फिर इस मसले को सुलझाने के लिये वायुसेना का एक अधिकारी मंगलवार को काठमांडू पहुंचा था और मामला सुलझ जाने का दावा किया जा रहा है।
पर ये सब इतना आसान नहीं लग रहा। बुधवार को भी दोपहर तक हिंडन से केवल एक सी-130 काठमांडू के लिए उड़ान भर सका वो भी बेबी फूड लेकर। इसके पहले मंगलवार को भी केवल दो ही विमान जा पाए। इनमें एक दिल्ली से और एक बठिंडा से राहत सामग्री लेकर काठमांडू पहुंचा था। वैसे अब भारत और नेपाल के बीच सड़क मार्ग भी खुल गया है और हो सकता है जो भी राहत सामग्री अब भारत से नेपाल जाए वह सड़क मार्ग के जरिये भेजी जा सकती है।
बहुत जरूरी होने पर ही ट्रांसपोर्ट विमानों को राहत अभियान में काठमांडू भेजा जाएगा। इसकी एक नहीं कई वजह हैं। सबसे बड़ी वजह तो यह बतायी जा रही है कि नेपाल सरकार और खास तौर पर नेपाली सेना इस बात से भी खुश नहीं है कि भारतीय मीडिया में राहत अभियानों में केवल भारत की बात ही दिखाई जा रही है और सारा क्रेडिट भारतीय सेनाओं को दिया जा रहा है।
नेपाली सेना को इससे अपनी तथा भारत के अलावा उन अन्य मित्र देशों की छवि की चिंता सता रही है जो रहत अभियान में मदद दे रहे हैं। शायद यही वजह है कि नेपाल की सेना ने मंगलवार को एक भी भारतीय पत्रकार को हेलीकॉप्टर से राहत अभियान के साथ उड़ान भरने नहीं दी।
बताया जा रहा है कि अब राहत सामग्री लेकर वायुसेना का जो भी विमान नेपाल जाएगा तो उसे पहले सारे डिटेल्स देने होंगे, मसलन क्या सामान लेकर आ रहा है और उसमें क्या-क्या शामिल है? इससे पहले ऐसा नही था। पालम एयरबेस से विमान सीधे काठमांडू के त्रिभूवन एयरपोर्ट के लिए उड़ान भरते थे और उन्हें कोई खास डिटेल्स देने की जरूरत नहीं पड़ती थी।
27 अप्रैल को वायुसेना के दो ट्रांसपोर्ट विमान काठमांडू गए थे लेकिन उन्हें उतरने नही दिया गया। उस समय इसकी वजह ये बताई गई कि काठमांडू में एयर ट्रैफिक बहुत ज्यादा है। फिर इस मसले को सुलझाने के लिये वायुसेना का एक अधिकारी मंगलवार को काठमांडू पहुंचा था और मामला सुलझ जाने का दावा किया जा रहा है।
पर ये सब इतना आसान नहीं लग रहा। बुधवार को भी दोपहर तक हिंडन से केवल एक सी-130 काठमांडू के लिए उड़ान भर सका वो भी बेबी फूड लेकर। इसके पहले मंगलवार को भी केवल दो ही विमान जा पाए। इनमें एक दिल्ली से और एक बठिंडा से राहत सामग्री लेकर काठमांडू पहुंचा था। वैसे अब भारत और नेपाल के बीच सड़क मार्ग भी खुल गया है और हो सकता है जो भी राहत सामग्री अब भारत से नेपाल जाए वह सड़क मार्ग के जरिये भेजी जा सकती है।
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