विज्ञापन
This Article is From May 21, 2015

आठ साल की तैयबा ने मदद के लिए पीएम को लिखा खत, उम्मीदें हुईं पूरी

आठ साल की तैयबा ने मदद के लिए पीएम को लिखा खत, उम्मीदें हुईं पूरी
जन्म से ही दिल की एक बीमारी से जूझ रही आठ साल की तैयबा हमेशा अपने पिता को इस तकलीफ से जूझते हुए भी देखती रहती थी कि बिटिया का महंगा इलाज कैसे करवा पाएंगे। इन्हीं हालात में एक दिन टीवी के सामने बैठी तैयबा के दिमाग में एक आइडिया आया - क्यों न देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मदद मांगी जाए।

सो, इसके बाद तैयबा ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खत में अपनी बीमारी और अपने दिल की हालत की पूरी जानकारी दी, और मदद की गुहार की। डॉक्टरों का कहना है कि उसके इलाज में लगभग 15 से 20 लाख रुपये का खर्च आएगा। तैयबा ने लिखा कि उसके पिता एक जूता फैक्टरी में दिहाड़ी मजदूर हैं, और इतना भी मुश्किल से कमा पाते हैं, जिससे पांच लोगों के परिवार का पेट पल सके।

इसके कुछ ही दिन बाद आगरा के रहने वाले इस परिवार की हैरानी का ठिकाना नहीं रहा, जब उन्हें प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से खत मिला, जिसमें और जानकारी मांगी गई। यह भी बताया गया कि पीएमओ ने दिल्ली सरकार को निर्देश दे दिए हैं कि खर्च की परवाह किए बिना तैयबा का उचित इलाज करवाया जाए।

सालों से दवा खाकर जी रही तैयबा का कहना है, "मैंने अपनी मां से कहा था कि पिताजी हमेशा तनाव में रहते हैं, और मैंने टीवी पर देखा है कि प्रधानमंत्री सबकी मदद करते हैं... मैं भी तो भारतीय नागरिक हूं, और मुझे भी जीने का हक है, सो, यह आइडिया मेरे दिमाग में आया कि मैं प्रधानमंत्री को मदद के लिए खत लिखूं..."

इसके बाद दिल्ली सरकार ने भी गुरु तेगबहादुर अस्पताल को निर्देश दे दिए हैं कि तैयबा का इलाज शुरू कर दिया जाए।



तैयबा के डॉक्टर एसके कालरा का कहना है कि जिस इलाज की ज़रूरत बच्ची को है, वह आगरा में उपलब्ध नहीं है, इसलिए उसके माता-पिता को सलाह दी गई कि बच्ची को दिल्ली ले जाएं।

डॉक्टर कालरा के मुताबिक, "चार-पांच साल पहले तैयबा पहली बार मेरे पास आई थी, और जांच से पता चला कि उसे जन्म से ही दिल में तकलीफ है, जिसकी वजह से उसके वॉल्व खराब हो चुके हैं, और रक्तवाहिनियां भी अपनी जगह पर नहीं हैं... उसे बार-बार जुकाम और खांसी हो जाया करती है, वह एनीमिया (रक्त अल्पता) की भी शिकार है, उसकी सांस उखड़ने लगती है, और उसका विकास भी सही तरीके से नहीं हो पा रहा है... उसे खास इलाज की ज़रूरत है, जो आगरा में नहीं हो सकता, और काफी महंगा भी है..."

इसके बाद परिवार ने आगरा के कई गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) से भी मदद की गुहार की, लेकिन वे पर्याप्त धन नहीं जुटा सके।

अब तैयबा को कोई चिंता नहीं है, लेकिन वह चाहती है कि इसके बाद उसके परिवार को किसी भी समस्या का सामना नहीं करना पड़े। तीसरी क्लास में  पढ़ने वाली तैयबा बड़ी होकर बैंकर बनना चाहती है, ताकि उसके परिवार की पैसे से जुड़ी सभी समस्याएं दूर हो जाएं।

NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं

फॉलो करे:
डार्क मोड/लाइट मोड पर जाएं
Previous Article
जम्मू कश्मीर चुनाव को लेकर महिलाओं में कैसा उत्‍साह... जानें किस पार्टी के उम्‍मीदवार सबसे ज्‍यादा अमीर?
आठ साल की तैयबा ने मदद के लिए पीएम को लिखा खत, उम्मीदें हुईं पूरी
महाराष्ट्र : एमएसआरटीसी की हड़ताल से यात्री परेशान, 96 बस डिपो पूरी तरह से बंद
Next Article
महाराष्ट्र : एमएसआरटीसी की हड़ताल से यात्री परेशान, 96 बस डिपो पूरी तरह से बंद
Listen to the latest songs, only on JioSaavn.com