नेता जी सुभाष चंद्र बोस (फाइल फोटो)
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुक्रवार को ऐलान किया कि राज्य के गृह विभाग के पास रखी नेताजी सुभाष चंद्र बोस से जुड़ी फाइलें अगले शुक्रवार से सार्वजनिक की जाएंगी।
ममता ने कहा कि नेताजी से जुड़ी फाइलें सार्वजनिक करने की मांग काफी लंबे समय से की जा रही थी। उन्होंने कहा कि सरकार के पास एक या दो और फाइलें हो सकती हैं। मुख्यमंत्री ने कहा, 'हमारे पास कुल 64 फाइलें हैं। एक या दो और फाइलें हो सकती हैं। सभी फाइलों की उचित समीक्षा करने के बाद हमने उन्हें अगले शुक्रवार से सार्वजनिक करने का फैसला किया।'
ममता ने कहा, 'हमने फाइलें जारी करने का फैसला किया ताकि हर कोई उन्हें देख सके। हमें ऐसा नहीं लगता कि फाइलों में आंतरिक सुरक्षा से जुड़ी कोई चीज है। हर कोई जानना चाहता है कि नेताजी के साथ क्या हुआ। वह हमारी माटी के बहादुर सपूत थे और वह बंगाल से थे।'
यह पूछे जाने पर कि क्या वह केंद्र से अपील करेंगी कि वह अपने पास रखी नेताजी की फाइलें सार्वजनिक करे, इस पर ममता ने कहा, 'यह फैसला करना केंद्र का काम है, लेकिन हम चाहते हैं कि नेताजी के बारे में सच्चाई सामने आए। यह पता लगाना आप लोगों (पत्रकारों) का काम है कि नेताजी के साथ क्या हुआ।'
मुख्यमंत्री ने यह ऐलान भी किया कि इतिहास के संरक्षण के लिए 1937 से 1947 तक के स्वतंत्रता संघर्ष के अभिलेखों को डिजिटल रूप दिया जाएगा। यह पूछे जाने पर कि क्या फाइलें सार्वजनिक किए जाने से 1948 से 1968 तक तत्कालीन केंद्र सरकार की ओर से नेताजी के भतीजे की कथित जासूसी कराए जाने को लेकर कोई सुराग मिल सकेगा, इस पर ममता ने कहा, 'आपके पास विकल्प हैं। बेहतर होगा कि जवाब पाने के लिए आप फाइलों का अध्ययन करें।'
हाल ही में केंद्र सरकार की ओर से सार्वजनिक की गई नेताजी से जुड़ी फाइलों से खुलासा हुआ था कि गृह मंत्रालय ने उनके कम से कम दो भतीजों की जासूसी कराई थी। फाइलों से खुलासा हुआ था कि खुफिया ब्यूरो (आईबी) ने 1948 से 1968 के बीच नेताजी के रिश्तेदारों पर नजर रखने का काम किया था। इस अवधि में ज्यादातर समय जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री थे।
इसके बाद नेताजी के परिजन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर उनसे जुड़ी हर फाइल सार्वजनिक करने का अनुरोध किया था।
गौरतलब है कि 1945 में 18 अगस्त को वह विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसमें सुभाषचंद्र बोस सवार बताए जाते थे, हालांकि नेताजी को लेकर कई विरोधाभासी बातें सामने आती रही हैं और उनसे जुड़ी गोपनीय जानकारी को सार्वजनिक करने की मांग उठती रही है।
ममता ने कहा कि नेताजी से जुड़ी फाइलें सार्वजनिक करने की मांग काफी लंबे समय से की जा रही थी। उन्होंने कहा कि सरकार के पास एक या दो और फाइलें हो सकती हैं। मुख्यमंत्री ने कहा, 'हमारे पास कुल 64 फाइलें हैं। एक या दो और फाइलें हो सकती हैं। सभी फाइलों की उचित समीक्षा करने के बाद हमने उन्हें अगले शुक्रवार से सार्वजनिक करने का फैसला किया।'
ममता ने कहा, 'हमने फाइलें जारी करने का फैसला किया ताकि हर कोई उन्हें देख सके। हमें ऐसा नहीं लगता कि फाइलों में आंतरिक सुरक्षा से जुड़ी कोई चीज है। हर कोई जानना चाहता है कि नेताजी के साथ क्या हुआ। वह हमारी माटी के बहादुर सपूत थे और वह बंगाल से थे।'
यह पूछे जाने पर कि क्या वह केंद्र से अपील करेंगी कि वह अपने पास रखी नेताजी की फाइलें सार्वजनिक करे, इस पर ममता ने कहा, 'यह फैसला करना केंद्र का काम है, लेकिन हम चाहते हैं कि नेताजी के बारे में सच्चाई सामने आए। यह पता लगाना आप लोगों (पत्रकारों) का काम है कि नेताजी के साथ क्या हुआ।'
मुख्यमंत्री ने यह ऐलान भी किया कि इतिहास के संरक्षण के लिए 1937 से 1947 तक के स्वतंत्रता संघर्ष के अभिलेखों को डिजिटल रूप दिया जाएगा। यह पूछे जाने पर कि क्या फाइलें सार्वजनिक किए जाने से 1948 से 1968 तक तत्कालीन केंद्र सरकार की ओर से नेताजी के भतीजे की कथित जासूसी कराए जाने को लेकर कोई सुराग मिल सकेगा, इस पर ममता ने कहा, 'आपके पास विकल्प हैं। बेहतर होगा कि जवाब पाने के लिए आप फाइलों का अध्ययन करें।'
हाल ही में केंद्र सरकार की ओर से सार्वजनिक की गई नेताजी से जुड़ी फाइलों से खुलासा हुआ था कि गृह मंत्रालय ने उनके कम से कम दो भतीजों की जासूसी कराई थी। फाइलों से खुलासा हुआ था कि खुफिया ब्यूरो (आईबी) ने 1948 से 1968 के बीच नेताजी के रिश्तेदारों पर नजर रखने का काम किया था। इस अवधि में ज्यादातर समय जवाहरलाल नेहरू प्रधानमंत्री थे।
इसके बाद नेताजी के परिजन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर उनसे जुड़ी हर फाइल सार्वजनिक करने का अनुरोध किया था।
गौरतलब है कि 1945 में 18 अगस्त को वह विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया था, जिसमें सुभाषचंद्र बोस सवार बताए जाते थे, हालांकि नेताजी को लेकर कई विरोधाभासी बातें सामने आती रही हैं और उनसे जुड़ी गोपनीय जानकारी को सार्वजनिक करने की मांग उठती रही है।
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