प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
हम लोगों के लिए यह माना खासा मुश्किल है कि भारत में ही कुछ ऐसी जगहें हैं, जहां भारतीयों को प्रवेश की इजाजत नहीं। यहां हम आपको बता रहे हैं ऐसी ही पांच जगहों के बारे में जहां विदेशी तो जा सकते हैं, मगर हम भारतीय नहीं...
यूनो-इन होटल, बेंगलुरु :
बेंगलुरु में स्थित यह होटल साल 2012 में खास तौर से जापानी लोगों के लिए बनाया गया था। हालांकि जल्द ही यह विवादों में घिर गया, जब कई ऐसे मामले सामने आए, जहां होटल स्टाफ ने कथित रूप से भारतीयों को रूफ टॉप रेस्त्रां में जाने से रोक दिया। ऐसे में इसे लेकर वहां खासा विवाद हुआ और साल 2014 आते-आते ग्रेटर बैंगलोर सिटी कॉर्पोरेशन ने जातीय भेदभाव के आरोप में इस होटल को बंद करवा दिया।
फ्री कसोल कैफे, कसोल :
हिमाचल प्रदेश के कसोल में स्थित यह कैफे साल 2015 में उस वक्त सुर्खियों में आया, जब खबर आई कि इसके मालिक ने एक भारतीय महिला को सर्व करने से मना कर दिया, जबकि इस्राइलियों का यहां स्वागत है। इसे लेकर काफी विवाद हुआ था, हालांकि कैफे मालिक का कहना है कि 'यहां आने वाले ज्यादातर भारतीय पर्यटक पुरुष होते हैं, जो कि यहां दूसरे पर्यटकों से दुर्व्यवहार करते हैं।'
ब्रॉडलैंड लॉज, चेन्नई :
चेन्नई में 'फिरंग' के तौर पर नाम बना चुका यह लॉज शख्त तौर पर 'नो इंडियन पॉलिसी' पर चलता है। लॉज में वही लोग ठहर सकते हैं, जिनके पास विदेशी पासपोर्ट है। अपनी भेदभाव वाली नीतियों की वजह से यह लॉज पिछले कुछ वर्षों के दौरान सुर्खियों में भी रहा।
'फॉर्नर्स ओन्ली' बीच, गोवा :
प्रतीकात्मक
गोवा में कई ऐसे निजी बीच हैं, जहां भारतीयों को जाने से रोका जाता है। यहां के बीच मालिकों का तर्क है कि ऐसे वे 'बीकीनी पहने विदेशी पर्यटकों' को छेड़खानी से बचाने के लिए करते हैं, (मानों बस भारतीय ही ऐसी हरकतें हैं)। हालांकि उनका तर्क जो भी हो, मतलब साफ है- भारतीय यहां ना आए।
पुदुच्चेरी के 'फॉर्नर्स ओन्ली' बीच :
प्रतीकात्मक
गोवा की ही तरह यहां भी कई बीच पर केवल विदेशियों को ही जाने की इजाजत है, भारतीयों को नहीं और वजह भी वहीं बताते हैं 'नजरों का फेर'...
यूनो-इन होटल, बेंगलुरु :
सौजन्य - Uno-in.in
बेंगलुरु में स्थित यह होटल साल 2012 में खास तौर से जापानी लोगों के लिए बनाया गया था। हालांकि जल्द ही यह विवादों में घिर गया, जब कई ऐसे मामले सामने आए, जहां होटल स्टाफ ने कथित रूप से भारतीयों को रूफ टॉप रेस्त्रां में जाने से रोक दिया। ऐसे में इसे लेकर वहां खासा विवाद हुआ और साल 2014 आते-आते ग्रेटर बैंगलोर सिटी कॉर्पोरेशन ने जातीय भेदभाव के आरोप में इस होटल को बंद करवा दिया।
फ्री कसोल कैफे, कसोल :
सौजन्य - फेसबुक
हिमाचल प्रदेश के कसोल में स्थित यह कैफे साल 2015 में उस वक्त सुर्खियों में आया, जब खबर आई कि इसके मालिक ने एक भारतीय महिला को सर्व करने से मना कर दिया, जबकि इस्राइलियों का यहां स्वागत है। इसे लेकर काफी विवाद हुआ था, हालांकि कैफे मालिक का कहना है कि 'यहां आने वाले ज्यादातर भारतीय पर्यटक पुरुष होते हैं, जो कि यहां दूसरे पर्यटकों से दुर्व्यवहार करते हैं।'
ब्रॉडलैंड लॉज, चेन्नई :
सौजन्य- फेसबुक
चेन्नई में 'फिरंग' के तौर पर नाम बना चुका यह लॉज शख्त तौर पर 'नो इंडियन पॉलिसी' पर चलता है। लॉज में वही लोग ठहर सकते हैं, जिनके पास विदेशी पासपोर्ट है। अपनी भेदभाव वाली नीतियों की वजह से यह लॉज पिछले कुछ वर्षों के दौरान सुर्खियों में भी रहा।
'फॉर्नर्स ओन्ली' बीच, गोवा :
प्रतीकात्मक
गोवा में कई ऐसे निजी बीच हैं, जहां भारतीयों को जाने से रोका जाता है। यहां के बीच मालिकों का तर्क है कि ऐसे वे 'बीकीनी पहने विदेशी पर्यटकों' को छेड़खानी से बचाने के लिए करते हैं, (मानों बस भारतीय ही ऐसी हरकतें हैं)। हालांकि उनका तर्क जो भी हो, मतलब साफ है- भारतीय यहां ना आए।
पुदुच्चेरी के 'फॉर्नर्स ओन्ली' बीच :
प्रतीकात्मक
गोवा की ही तरह यहां भी कई बीच पर केवल विदेशियों को ही जाने की इजाजत है, भारतीयों को नहीं और वजह भी वहीं बताते हैं 'नजरों का फेर'...
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