नई दिल्ली:
क्या पपीते के पत्ते डेंगू से निजात दिला सकते हैं? इस सवाल का कोई वैज्ञानिक उत्तर तो फिलहाल नहीं आया है, लेकिन मच्छर के काटने से होने वाली बीमारी के पांव पसारते ही राष्ट्रीय राजधानी में पपीते के पत्ते का इस्तेमाल पिछले कुछ सप्ताह के दौरान बढ़ गया है। राजधानी में इस साल डेंगू से अब तक कम से कम पांच लोगों की मौत हो चुकी है और 900 से ज्यादा मामले सामने आ चुके हैं।
पपीता के पत्तों के बारे में आम धारणा है कि यह रक्त में कम होते प्लेटलेट काउंट को बढ़ाता है। इन दिनों दिल्ली की पौधशालाओं में इसकी मांग बेतहाशा बढ़ी है। कई लोगों ने बताया कि उनके आसपास से पपीता के पत्ते गायब हो रहे हैं।
दक्षिणी दिल्ली के पंडारा रोड इलाके में स्थित मस्जिद नर्सरी के निदेशक विक्रम सैनी ने कहा कि पपीते का पौधा खरीदने के लिए कई लोग आ रहे हैं।
लाडो सराय स्थित ग्रीनवे नर्सरी के वाईसी सिंह ने कहा कि पपीते का पौधा खरीदने के लिए हर सप्ताह कम से कम 20 से 25 लोग आते रहते हैं। उन्होंने कहा, "पौधा खरीदने आने वालों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। हम पपीते का अंकुर 20 रुपये में और पौधा 25 रुपये में बेचते हैं।"
चिकित्सकों ने हालांकि कहा कि ऐसा कोई वैज्ञानिक अध्ययन नहीं है जिससे साबित होता हो कि पपीते का पत्ता डेंगू से निजात दिला सकता है या रक्त में प्लेटलेट काउंट बढ़ा सकता है।
इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के चिकित्सक सुरोनजीत चटर्जी ने बताया, "मैं पिछले 10 वर्ष से यह धारणा देख रहा हूं। बड़ी संख्या में रोगियों ने मुझे बताया कि उन्हें इससे लाभ हुआ, लेकिन अभी तक वैज्ञानिक रूप से यह साबित नहीं हो पाया है।" लेकिन इस बीमारी से गुजर चुके लोगों का कुछ और ही कहना है।
सॉफ्टवेयर का काम करने वाली अनुराधा गुप्ता ने कहा, "जब मेरे बेटे को पिछले महीने डेंगू हुआ था तब पड़ोसियों ने प्लेटलेट काउंट बढ़ाने के लिए पपीते के पत्ते खिलाने की सलाह दी थी। इसका सेवन चमत्कारिक रहा।"
पपीते के पत्ते का लाभ ले चुकी वसंत कुंज निवासी कृष्णा सतपती ने बताया कि पहले पत्तों को उबाला जाता है, फिर इसे कुचलकर उसका रस निकाला जाता है। रोगी को उसी रस का सेवन कराया जाता है।
पपीता के पत्तों के बारे में आम धारणा है कि यह रक्त में कम होते प्लेटलेट काउंट को बढ़ाता है। इन दिनों दिल्ली की पौधशालाओं में इसकी मांग बेतहाशा बढ़ी है। कई लोगों ने बताया कि उनके आसपास से पपीता के पत्ते गायब हो रहे हैं।
दक्षिणी दिल्ली के पंडारा रोड इलाके में स्थित मस्जिद नर्सरी के निदेशक विक्रम सैनी ने कहा कि पपीते का पौधा खरीदने के लिए कई लोग आ रहे हैं।
लाडो सराय स्थित ग्रीनवे नर्सरी के वाईसी सिंह ने कहा कि पपीते का पौधा खरीदने के लिए हर सप्ताह कम से कम 20 से 25 लोग आते रहते हैं। उन्होंने कहा, "पौधा खरीदने आने वालों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। हम पपीते का अंकुर 20 रुपये में और पौधा 25 रुपये में बेचते हैं।"
चिकित्सकों ने हालांकि कहा कि ऐसा कोई वैज्ञानिक अध्ययन नहीं है जिससे साबित होता हो कि पपीते का पत्ता डेंगू से निजात दिला सकता है या रक्त में प्लेटलेट काउंट बढ़ा सकता है।
इंद्रप्रस्थ अपोलो अस्पताल के चिकित्सक सुरोनजीत चटर्जी ने बताया, "मैं पिछले 10 वर्ष से यह धारणा देख रहा हूं। बड़ी संख्या में रोगियों ने मुझे बताया कि उन्हें इससे लाभ हुआ, लेकिन अभी तक वैज्ञानिक रूप से यह साबित नहीं हो पाया है।" लेकिन इस बीमारी से गुजर चुके लोगों का कुछ और ही कहना है।
सॉफ्टवेयर का काम करने वाली अनुराधा गुप्ता ने कहा, "जब मेरे बेटे को पिछले महीने डेंगू हुआ था तब पड़ोसियों ने प्लेटलेट काउंट बढ़ाने के लिए पपीते के पत्ते खिलाने की सलाह दी थी। इसका सेवन चमत्कारिक रहा।"
पपीते के पत्ते का लाभ ले चुकी वसंत कुंज निवासी कृष्णा सतपती ने बताया कि पहले पत्तों को उबाला जाता है, फिर इसे कुचलकर उसका रस निकाला जाता है। रोगी को उसी रस का सेवन कराया जाता है।