यह ख़बर 15 अप्रैल, 2011 को प्रकाशित हुई थी

2जी जांच जारी रखने को लेकर पीएसी में मतभेद

खास बातें

  • 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच जारी रखने को लेकर लोक लेखा समिति में तीखे मतभेद सामने आए हैं।
नई दिल्ली:

2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच जारी रखने को लेकर लोक लेखा समिति में तीखे मतभेद सामने आए। सूत्रों के अनुसार भाजपा के वरिष्ठ नेता मुरली मनोहर जोशी की अध्यक्षता वाली इस संसदीय समिति की बैठक में कांग्रेस और द्रमुक सदस्यों ने सवाल खड़ा किया कि इस मुद्दे की जांच के लिए जब संयुक्त संसदीय समिति का गठन किया जा चुका है तो अब पीएसी को इसकी पड़ताल करने की क्या जरूरत है। कांग्रेस और द्रमुक के कुछ सदस्यों के कहा, चूंकि इस मामले को देखने के लिए एक अन्य संसदीय समिति गठित की जा चुकी है इसलिए पीएसी को इस मुद्दे पर अपने काम को समेट लेना चाहिए। इस पर अधिकारियों को जेपीसी के अधिकार क्षेत्र की प्रतियां लेते देखा गया। एक अन्य सदस्य ने इस बारे में संदेह जताया कि क्या यह समिति 2जी स्पेक्ट्रम आवंटन की रिपोर्ट तैयार करने का काम पूरा कर पाएगी। समिति के समक्ष कैबिनेट सचिव केएम चन्द्रशेखर और प्रधानमंत्री कार्यालय में मुख्य सचिव टीकेए नायर को उपस्थित होना है। इस 22 सदस्यीय समिति में सात कांग्रेस, चार भाजपा, दो-दो अन्नाद्रमुक और द्रमुक और एक-एक शिवसेना, बीजद, जदयू, सपा, बसपा तथा माकपा से हैं। एक स्थान रिक्त है। वर्तमान पीएसी का कार्यकाल 30 अप्रैल को समाप्त हो रहा है और उससे पहले उसके रिपोर्ट तैयार कर लेने की उम्मीद है। नई समिति के अध्यक्ष भी जोशी होंगे। वह अपना नया कार्यकाल एक मई को संभालेंगे। जेपीसी के गठन के बाद उसके अध्यक्ष पीसी चाको और पीएसी अध्यक्ष जोशी के बीच 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की जांच के अधिकार क्षेत्र को लेकर वाकयुद्ध जारी है।


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