उप राज्यपाल नजीब जंग और अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो)।
नई दिल्ली:
दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने दिल्ली के एलजी नजीब जंग से एक कैबिनेट मीटिंग करके साफ शब्दों में कह दिया है कि दिल्ली सरकार ने इस साल 24 हजार करोड़ रुपये वैट कलेक्शन का लक्ष्य रखा है। अगर एलजी को लगता है कि इस लक्ष्य को पूरा कर सकते हैं तो वे अपने मर्जी के अफसर नियुक्त करके जैसे ठीक लगे वैट विभाग चला लें। दिल्ली सरकार को यह विभाग उनको सौंपने में कोई दिक्कत नहीं है।
कर वसूली के समय हटा दिया अफसर
दरअसल दिल्ली सरकार अपने वैट कमिश्नर आईएएस विजय कुमार को हटाए जाने से नाराज है। उसका आरोप है कि दीवाली के समय जब वैट कलेक्शन के लिए सबसे अहम समय होता है, तब उससे बिना सलाह किए इतने अहम पद पर बैठे व्यक्ति को हटाकर दिल्ली से बाहर क्यों किया गया?
केंद्र सरकार रसूखदारों के दबाव में
दिल्ली सरकार का आरोप है कि क्योंकि वैट कमिश्नर विजय कुमार कुछ रसूखदार लोगों पर छापे मारकर वैट चोरी पकड़ रहे थे जिनमें कुछ हवाला कारोबारी भी होने का शक है। ऐसे में उनका हटाया जाना बताता है कि केंद्र सरकार उन रसूखदार लोगों की एक लॉबी के दबाव में काम कर रही है। दिल्ली सरकार ने इस पर एक कैबिनेट रेसोल्यूशन की कॉपी राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को भी भेजी है।
एलजी ने दी सफाई
इसके जवाब में एलजी निवास से एक प्रेस रिलीज जारी की गई है। यह एक तरह की सफाई है जिसमें कहा गया है कि मीडिया में कहा जा रहा है कि वैट कमिश्नर विजय कुमार का ट्रांसफर एलजी सचिवालय के आदेश पर किया गया है। जबकि तथ्य यह है कि 9 अक्टूबर को गृह मंत्रालय से निर्देश आया था कि जिन 5 अधिकारियों का अप्रैल-जुलाई से दिल्ली से बाहर ट्रांसफर हो चुका है उनको तुरंत रिलीव किया जाए। इसलिए 12 अक्टूबर को एलजी सचिवालय से यह आदेश जारी किए गए।
इस रिलीज़ में आगे कहा गया है कि दिल्ली से बाहर ट्रांसफर करना गृह मंत्रालय का अधिकार क्षेत्र है। जब कभी दिल्ली सरकार गृह मंत्रालय के ट्रांसफर आर्डर का पालन नहीं करती तो एलजी सचिवालय को रिलीव आर्डर जारी करने के लिए कहा जाता है।
आप के सामने जनता से किए गए वादे निभाने की चुनौती
खैर दिल्ली और केंद्र की यह लड़ाई पुरानी है बस मुद्दा नया है। लेकिन यह मुद्दा अहम इसलिए है क्योंकि दिल्ली सरकार की कुल कमाई का 70 फीसदी वैट से आता है। आम आदमी पार्टी की सरकार ने जो आम जनता से लंबे चौड़े वादे किए हैं उसको पूरा करने के लिए पैसा वैट वसूली को बढ़ाकर ही हासिल किया जा सकता है। ऐसे में वैट डिपार्टमेंट में जरा भी छेड़छाड़ उसको बर्दाश्त नहीं।
कर वसूली के समय हटा दिया अफसर
दरअसल दिल्ली सरकार अपने वैट कमिश्नर आईएएस विजय कुमार को हटाए जाने से नाराज है। उसका आरोप है कि दीवाली के समय जब वैट कलेक्शन के लिए सबसे अहम समय होता है, तब उससे बिना सलाह किए इतने अहम पद पर बैठे व्यक्ति को हटाकर दिल्ली से बाहर क्यों किया गया?
केंद्र सरकार रसूखदारों के दबाव में
दिल्ली सरकार का आरोप है कि क्योंकि वैट कमिश्नर विजय कुमार कुछ रसूखदार लोगों पर छापे मारकर वैट चोरी पकड़ रहे थे जिनमें कुछ हवाला कारोबारी भी होने का शक है। ऐसे में उनका हटाया जाना बताता है कि केंद्र सरकार उन रसूखदार लोगों की एक लॉबी के दबाव में काम कर रही है। दिल्ली सरकार ने इस पर एक कैबिनेट रेसोल्यूशन की कॉपी राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को भी भेजी है।
एलजी ने दी सफाई
इसके जवाब में एलजी निवास से एक प्रेस रिलीज जारी की गई है। यह एक तरह की सफाई है जिसमें कहा गया है कि मीडिया में कहा जा रहा है कि वैट कमिश्नर विजय कुमार का ट्रांसफर एलजी सचिवालय के आदेश पर किया गया है। जबकि तथ्य यह है कि 9 अक्टूबर को गृह मंत्रालय से निर्देश आया था कि जिन 5 अधिकारियों का अप्रैल-जुलाई से दिल्ली से बाहर ट्रांसफर हो चुका है उनको तुरंत रिलीव किया जाए। इसलिए 12 अक्टूबर को एलजी सचिवालय से यह आदेश जारी किए गए।
इस रिलीज़ में आगे कहा गया है कि दिल्ली से बाहर ट्रांसफर करना गृह मंत्रालय का अधिकार क्षेत्र है। जब कभी दिल्ली सरकार गृह मंत्रालय के ट्रांसफर आर्डर का पालन नहीं करती तो एलजी सचिवालय को रिलीव आर्डर जारी करने के लिए कहा जाता है।
आप के सामने जनता से किए गए वादे निभाने की चुनौती
खैर दिल्ली और केंद्र की यह लड़ाई पुरानी है बस मुद्दा नया है। लेकिन यह मुद्दा अहम इसलिए है क्योंकि दिल्ली सरकार की कुल कमाई का 70 फीसदी वैट से आता है। आम आदमी पार्टी की सरकार ने जो आम जनता से लंबे चौड़े वादे किए हैं उसको पूरा करने के लिए पैसा वैट वसूली को बढ़ाकर ही हासिल किया जा सकता है। ऐसे में वैट डिपार्टमेंट में जरा भी छेड़छाड़ उसको बर्दाश्त नहीं।
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