भारत और पाक के बीच सीजफायर के 12 साल

भारत और पाक के बीच सीजफायर के 12 साल

प्रतीकात्मक तस्वीर

नई दिल्ली:

आज ही के दिन 12 साल पहले भारत और पाकिस्तान के बीच सीजफायर हुआ था । मकसद था  जम्मू कश्मीर की करीब 1200 किलो मीटर लंबी लाइन ऑफ कंट्रोल यानि कि एलओसी और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर दोनों देश की ओर से गोलाबारी ना हो, लेकिन ऐसा हो ना सका।

आतंकवादियों को घुसपैठ कराने के लिए अक्सर फायरिंग
सरहद पर आमने-सामने की गोलाबारी तो ना के बराबर हुई पर सीजफायर का उल्घंनन जारी रहा। भारत का आरोप है कि पाकिस्तान आतंकवादियों को घुसपैठ कराने के लिए अक्सर फायरिंग करता रहता है। पिछले 12 सालों में पाक ने करीब 1000 दफा सीजफायर का उल्लंघन किया और इस फायरिंग में सौ से ज्यादा लोग मारे गए।
 
2002 में भी ऐसा ही सीजफायर एलओसी पर घोषित हुआ
वैसे 2002 में भी ऐसा ही सीजफायर एलओसी पर घोषित हुआ था। मगर वह छह माह तक ही चल पाया क्योंकि पाक सेना ने उसका बार-बार उल्लंघन किया जिससे भारतीय सेना को मजबूर होकर मुहंतोड़ जवाब देने के लिए अपनी बंदूकों और तोपों का सहारा लेना पड़ा।

सीजफायर का समझौता हुआ तो हालात कुछ बदले
लेकिन जब फिर 25-26 नवंबर 2003 की रात को पाक के साथ सीजफायर का समझौता हुआ तो हालात कुछ बदले। दोनों देशों को बांटने वाली सीमा रेखा से सटे खेतों में अब काम करते दोनों मुल्कों के किसान दिखते हैं तो दुनिया के सबसे ऊंचाई वाले लड़ाई के मैदान सियाचिन में तोपों के मुहं ढ़के हुए नजर आते हैं।

12 सालों में सरहद और एलओसी पर तोपों की गूंज नहीं सुनाई दी है
सेना कहती है कि ये सही है कि पिछले 12 सालों में सरहद और एलओसी पर तोपों की गूंज नहीं सुनाई दी है पर ये भी सच है कि पाक सेना आतंकियों को धकेलने की खातिर अक्सर कवरिंग फायर करती रही है।

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सरहद पर रहने वाले लोग उस वक्त डर जाते हैं जब गोलाबारी होती है। इससे वो ना तो घर से बाहर निकल पाते हैं और ना ही खेती कर पाते हैं। वो तो बस यही दुआ करते हैं कि खुदा सरहद पर शांति हमेशा बनाए रखे ताकि दोनों देशों के सरहद पर रहने वाले हजारों गांवों में शांति बने रहे।