वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को ढांचागत क्षेत्र की जिन 102.5 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाओं की घोषणा की है इनमें एक चौथाई परियोजनायें अकेले ऊर्जा क्षेत्र की हैं. इसके बाद सड़क और रेलवे क्षेत्र की परियोजनायें हैं जिनमें सबसे ज्यादा खर्च किया जायेगा. वित्त मंत्री ने मंगलवार को अगले पांच साल के दौरान अमल में लाई जाने वाली ढांचागत क्षेत्र की परियोजनाओं की घोषणा की. उन्होंने कहा कि इन परियोजनाओं पर होने वाले खर्च से देश को 5,000 अरब डालर की अर्थव्यवस्था बनाने में मदद मिलेगी. वित्त मंत्रालय द्वारा इन परियोजनाओं के बारे में उपलब्ध कराये गये ब्योरे के मुताबिक अकेले ऊर्जा क्षेत्र में ही 24.54 लाख करोड़ रुपये का निवेश होगा. इसमें 11.7 लाख करोड़ रुपये केवल बिजली क्षेत्र में निवेश होगा. सड़क परियोजनाओं में 19.63 लाख करोड़ रुपये जबकि रेलवे परियोजनाओं में 13.68 लाख करोड़ रुपये का निवेश किया जायेगा. बंदरगाह क्षेत्र में एक लाख करोड़ रुपये और हवाईअड्डों में 1.43 लाख करोड़ रुपये निवेश होने का अनुमान है. इसके अलावा 16.29 लाख करोड़ रुपये का खर्च शहरी ढांचागत सुविधाओं में और 3.2 लाख करोड़ रुपये दूरसंचार परियोजनाओं में खर्च होने का अनुमान है. उपलब्ध ब्योरे के मुताबिक सिंचाई और ग्रामीण ढांचागत परियोजनाओं में प्रत्येक में 7.7 लाख करोड़ रुपये, औद्योगिक ढांचागत सुविधाओं में 3.07 लाख करोड़ रुपये का निवेश होगा. शेष राशि कृषि और सामाजिक क्षेत्र की ढांचागत सुविधाओं में किया जायेगा.
वित्त मंत्री ने बताया कि राष्ट्रीय स्तर पर 102 लाख करोड़ रुपये की परियोजनाओं की इस पाइपलाइन में 42.7 लाख करोड़ रुपये की परियोजनायें पहले से ही क्रियान्वयन में हैं जबकि 32.7 लाख करोड़ रुपये की परियोजनायें परिकल्पना के स्तर पर और शेष परियोजनायें विकास के क्रम में हैं. ऐसा माना गया है कि भारत को अपनी आर्थिक वृद्धि दर को बनाये रखने के लिये 2030 तक 4,500 अरब डालर का निवेश करना चाहिये. वित्त मंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय अवसंरचना परियोजना श्रंखला का मकसद इसी लक्ष्य को हासिल करने के प्रयासस्वरूप उठाया गया कदम है. उन्होंने कहा कि इससे रोजगार सृजन होगा, जीवन सुगमता बढ़ेगी और सभी के लिये ढांचागत सुविधाओं तक पहुंच बेहतर होगी. यह आर्थिक वृद्धि को समावेशी बनाने की दिशा में बेहतर पहल होगी.
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