मनीष कुमार एनडीडीवी में कार्यकारी संपादक हैं -
लोकसभा में पार्टी को मिली करारी हार के बाद बिहार के तत्कालीन मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस्तीफा देते समय कहा था कि वह हार की जिम्मेदारी लेते हैं। राज्य की 40 लोकसभा सीटों में से नीतीश कुमार की पार्टी जनता दल युनाइटेड को मात्र दो सीटें मिली थीं।
अपने इस्तीफे के साथ ही नीतीश ने अपने उत्तराधिकारी के रूप में 72 वर्षीय जीतन राम मांझी को चुना और अब उसके लिए उन्हें अफसोस करना पड़ रहा होगा। इसके पीछे 10 प्रमुख कारण यह हैं-
1) मांझी ने तमाम मौके पर विवादित बयान दिए हैं और यह बयान बाकायदा कैमरे में कैद भी हुए और समय समय पर चलाए जा सकते हैं। उन्होंने कहा कि वह घूसखोरी और भ्रष्टाचार का समर्थन करते हैं। कालाबाजारी के समर्थन में भी उन्होंने बयान दिया है। इसके साथ ही अपने शादीशुदा बेटे की गर्लफ्रेंड होने पर उन्हें कोई आपत्ति नहीं है। यह गर्लफ्रेंड भी बाद में बिहार सरकार के कर्मचारी की बीवी निकली।
2) मांझी अकसर ऐसी योजनाओं की घोषणा करते रहे हैं जिन्हें उनकी ही कैबिनेट ने पास नहीं किया होता। एक समय तो वह यह भी कह गए कि राज्य के हर कस्बे में पटना हाईकोर्ट की एक छोटी शाखा होनी चाहिए।
3) मांझी एक बार विवाद में इस बात को लेकर आए कि उन्होंने अपने ही दामाद को अपना निजी सचिव नियुक्त कर दिया। इसके अलावा एक अन्य रिश्तेदार को भी सरकारी नौकरी में रखा। इसके अलावा तमाम लोगों को घर और सचिवालय में रखा गया।
4) मांझी ने पार्टी में उन लोगों के प्रति लगाव और झुकाव दिखाया जिन लोगों ने नीतीश कुमार के राज्य में बीजेपी के साथ 18 साल पुराने गठबंधन को खत्म करने के निर्णय की आलोचना की। ऐसे लोग अकसर मुख्यमंत्री के कार्यालय में बैठे देखे जा सकते हैं।
5) नीतीश कुमार ने राज्य में बीजेपी से पार्टी के गठबंधन को समाप्त करने के पीछे का कारण बीजेपी द्वारा नरेंद्र मोदी को चुनाव प्रचार का केंद्र बनाना बताया था। लेकिन जब मांझी, जून के माह में दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने आए, उनके करीबी सूत्रों ने बताया कि उन्होंने खुलकर अपने पूर्ववर्ती मुख्यमंत्री की निंदा की और उन्हें हठी तक बताया।
6) मांझी ने कथित रूप से कहा कि अगर पार्टी में नरेंद्र मोदी के उत्थान के संबंध में नीतीश कुमार के आकलन गलत साबित न होते तब वह कभी मुख्यमंत्री नहीं बन सकते थे।
7) मांझी के दो बेटों में एक बीजेपी का सदस्य है। रिपोर्टों के अनुसार मांझी ने बीजेपी से कहा है कि 11 महीने बाद राज्य में होने वाले चुनाव में उनका बेटा बीजेपी के टिकट लड़ना चाहेगा।
8) मांझी ने अपने घर पर तमाम बीजेपी के विधायकों के साथ एक बैठक की जिसे महादलित समुदायों के लोगों को एक करने के प्रयास के रूप में एक प्रयास बताया गया। इस बैठक से यह बात भी सामने लाई गई कि भविष्य में इस समुदाय से ही मुख्यमंत्री बने। वहीं, नीतीश कुमार अपने को हमेशा महादलित समुदाय के लोगों का हितैषी बताया है।
9) नीतीश कुमार ने एक ऐसे नेता के रूप में अपनी छवि सामने रखी जिसने बतौर मुख्यमंत्री मिलने वाले तमाम फायदों अथवा सुविधाओं का प्रयोग नहीं किया। जैसे, उन्होंने अपने पुस्तैनी घर जाने में हेलीकॉप्टर का प्रयोग बहुत ही कम किया। मांझी अकसर सरकारी हेलीकॉप्टर का प्रयोग करते हैं। यहां तक की जब सरकारी काम नहीं होता तब भी वह चॉपर का प्रयोग करते हैं।
10) एक तरफ नीतीश कुमार की टीम इस बात पर विचार कर फैसला लेती थी कि उन्हें किस कार्यक्रम में जाना चाहिए, वहीं मांझी को यह पता है कि वह ज्यादा समय के लिए मुख्यमंत्री नहीं है, सो वह हर कार्यक्रम में जाने को तैयार रहते हैं।
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