Parkinson Disease Prevention: पर्किंसंस डिजीज या कहे पीडी नर्वस सिस्टम में धीरे-धीरे बढ़ने वाला एक डिसऑर्डर होता है. इससे मानव शरीर की पूरी गतिविधि प्रभावित होती है. इसके लक्षणों के बारे में बात करें तो इनमें कंपकंपी, मांसपेशियों का सख्त होना, स्वाभाविक गतिविधियों पर विराम, बोलने के तरीके में बदलाव, लिखावट में बदलाव ये सब शामिल हैं. अलग-अलग मरीजों में इसके लक्षण अलग-अलग नजर आ सकते हैं. ये इस तरह की बीमारी है जो इंसान को मानसिक और शारीरिक दोनों ही तरह से प्रभावित करती है. इससे बचने के लिए इस विषय में पूरी जानकारी जरूरी है. तो आइये जानते हैं पार्किंसंस रोक के बारे में सबकुछ-
पार्किसंस क्या है? (What Is Parkinson's?)
इस बीमारी की शुरुआत मानव शरीर में धीरे-धीरे होती है. पता भी नहीं लगता कि कब लक्षण शुरू हुए. काफी समय बाद जब लक्षणों की तीव्रता बढ़ जाती है तब समझ आता है कि कुछ ठीक नहीं चल रहा. डॉक्टरी सलाह पर जब मरीज़ व उसके परिजन पीछे मुड़ कर देखते हैं तब पता चलता है कि, हां सचमुय ये लक्षण, कम तीव्रता के साथ पहले से ही थे. कई मरीजों में पर्किंसंस रोग की शुरुआत कंपन से होती है. इस बीमारी में ब्रेन की कुछ ऐसी कोशिकाएं डैमेज होने लगती है जिनका काम कुछ जरूरी कैमिकल्स को उतपंन करना होता है. इसके कारण ब्रेन में कैमिकल इंबैलेंस होने लगता है.
पार्किंसन रोग के प्रमुख लक्षण (Major Symptoms Of Parkinson's Disease)
- कंपकंपी होना यानी शरीर के कुछ खास हिस्सों का अनैच्छिक रूप से हिलना.
- शरीर में अकड़न महसूस करना. जैसे रोजमर्रा के काम करने में मांसपेशियों में कड़ापन महसूस होना.
- शारीरिक गतिविधियां बहुत ही धीमी होने लगती हैं, इसे ब्रैडीकाइनेशिया कहते हैं.
- इसके अलावा अवसाद, दिन में उनींदापन, डिस्फेजिया यानी निगलने में कठिनाई ये सब भी पार्किंसन के लक्षण हैं.
कई शोध में ये बात सामने आई है कि पार्किंसन रोग में एक्सरसाइज या योगासन से राहत मिल सकती है.
पार्किसंस में ये योगासन आएंगे काम (These Yogasanas Will Work In Parkinson's)
कपालभाति: पार्किंसन से निजात पाने के लिए कपालभाति काफी कारगर साबित हो सकता है, इसलिए रोजाना कम से कम 15 मिनट ये करें.
अनुलोम-विलोम: अनुलोम विलोम मस्तिष्क में संतुलन लाता है. इसके दौरान जब हम गहरी सांस भर रहे होते हैं स्वच्छ हवा खून में मौजूद दूषित पदार्थ को बाहर निकाल देती है.
ताड़ासन: सीधे खड़े होकर, पैरों के बीच जगह बना लें, अपने हाथों को बिल्कुल खुला लटकाए रखें. हाथों में तनाव नहीं लाना है न ही मुट्ठी बंद करनी है. अब सांस लेते हुए दोनों हाथों को ऊपर उठाइए, इसके बाद हाथों की उंगलियों को एक दूसरे से इंटरलॉक कर लीजिए. अब अपनी एड़ियों को उठाइए और पैर की उंगलियों के सहारे खड़े हो जाइए. सांस लेते हुए इस पोजिशन में कुछ देर तक बने रहना है. अब सांस को छोड़ते हुए विश्राम की मुद्रा में आ जाना है. इस पूरी प्रक्रिया को दस बार दोहराना है. ये आसान भी पार्किंसंस के रोगी के लिए काफी फायदेमंद माना गया है. इसे हाथ पैरों में कंपन की स्थिति से राहत मिलती है.
ऊर्ध्व हस्तासन: इस आसन को करने के लिए अपने दोनों पैरों के बीच थोड़ी दूरी बनाकर सीधे खड़े हो जाइए. हाथों को इस तरह रखें कि आपकी हथेलियां सामने की ओर खुली रहनी चाहिए. गहरी सांस भरिए और हाथों को सिर के ऊपर छत की ओर लेकर जाइए. अगर आपके कंधों में कसावट है तो हाथों के सिर के ऊपर समानांतर आने पर रुक जाइए. दोनों हथेलियों को जोड़ने का प्रयास करिए. अपनी गर्दन को ऊपर उठाकर अंगूठे की ओर देखिए और सिर को पीछे की ओर आराम से लेकर जाइए. इस अवस्था में कुछ देर गहरी सांस लीजिए. सांस बाहर छोड़िए और हाथों को बाजू से शुरुआती मुद्रा में ले आइए. ये आसन पार्किंसंस के मरीजों के लिए फायदेमंद है.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है
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