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This Article is From Oct 29, 2020

Sharad Purnima 2020: हर रोग का नाश करती है शरद पूर्णिमा की चंद्र छाया! जानें शुभ मुहूर्त और महत्व

Sharad Purnima 2020: क्या आपने कभी सोचा है कि साल भर में शरद पूर्णिमा को ही क्यों विशेष माना जाता है? पूर्णिमा एक साल में कई बार आती है, लेकिन शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व माना जाता है. जैसे-जैसे यह पर्व नजदीक आ रहा है लोगों को मन में यह सवाल भी आ रहा होगा कि शरद पूर्णिमा कब है? (Sharad Purnima Kab Hai). या शरद पूर्णिमा की तिथि (Sharad Purnima Date) क्या है?

Sharad Purnima 2020: हर रोग का नाश करती है शरद पूर्णिमा की चंद्र छाया! जानें शुभ मुहूर्त और महत्व
Sharad Purnima 2020 Image: आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा 30 अक्टूबर को शुरू होकर 31 अक्टूबर तक रहेगी.

Sharad Purnima 2020: क्या आपने कभी सोचा है कि साल भर में शरद पूर्णिमा (Sharad Purnima) को ही क्यों विशेष माना जाता है? साल की सभी पूर्णिमा में आश्विन पूर्णिमा (Ashwin Purnima) विशेष चमत्कारी मानी गई है. पूर्णिमा एक साल में कई बार आती है, लेकिन शरद पूर्णिमा का विशेष महत्व माना जाता है. जैसे-जैसे यह पर्व नजदीक आ रहा है लोगों को मन में यह सवाल भी आ रहा होगा कि शरद पूर्णिमा कब है? (Sharad Purnima Kab Hai). या शरद पूर्णिमा की तिथि (Sharad Purnima Date) क्या है? शरद पूर्णिमा अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को मनाई जाती है. इसे कौमुदी पूर्णिमा भी कहा जाता है. इस वर्ष शरद पूर्णिमा या आश्विन पूर्णिमा 30 अक्टूबर (Sharad Purnima 30 October) दिन शुक्रवार को है. माना जाता है कि शरद पूर्णिमा का चंद्रमा सोलह कलाओं से युक्त होता है.

शास्त्रों की मानें तो इस दिन यानि शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा से निकलने वाली किरणों में सभी प्रकार के रोगों को हरने की क्षमता होती है. इसी कारण कहा जाता है कि शरद पूर्णिमा की रात अमृत वर्षा होती है. शरद पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त (Sharad Purnima Shubh Muhurat) भी कई मान्यताओं के लिहाज से खास है.

मान्यता है शरद पूर्णिमा कई बीमारियों को करती है दूर | Sharad Purnima Relieves Many Diseases

माना जाता है कि शरद पूर्णिमा पर चंद्रमा पृथ्वी के सबसे निकट होता है. अंतरिक्ष के समस्त ग्रहों से निकलने वाली सकारात्मक ऊर्जा चंद्रकिरणों के माध्यम से पृथ्वी पर पड़ती हैं. शरद पूर्णिमा पर खीर बनाई जाती है और उसे पूरी रात खुले आसमान के नीचे रखा जाता है. पूर्णिमा की चांदनी में खीर बनाकर खुले आसमान के नीचे रखने के पीछे वैज्ञानिक तर्क यह है कि चंद्रमा के औषधीय गुणों से युक्त किरणें पड़ने से खीर भी अमृत के समान हो जाती हैं. उसका सेवन करना स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद माना जाता है.

खीर को शरद पूर्णिमा के दिन खुले में रखने के पीछे एक तर्क ये भी है कि दूध में लैक्टिक नामक अम्ल पाया जाता है, जो चंद्रमा की किरणों से अधिक मात्रा में शक्ति का शोषण करता है. इसके साथ ही चावल में स्टार्च पाया जाता है जिस वजह से ये प्रक्रिया और भी आसान हो जाती है. वैज्ञानिक मान्यताओं के अनुसार भी इस खीर का सेवन करना काफी फायदेमंद होता है.

शरद पूर्णिमा तिथि (Sharad Purnima Date 2020)

इस पर्व को लेकर लोग काफी सवाल करते हैं कि शरद पूर्णिमा कब है. आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा 30 अक्टूबर को शुरू होकर 31 अक्टूबर तक रहेगी. यानि शरद पूर्णिमा 30 अक्टूबर को मनाई जाएगी.

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Sharad Purnima 2020 Image: शरद पूर्णिमा पर खीर बनाई जाती है और उसे पूरी रात खुले आसमान के नीचे रखा जाता है

शरद पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त | Sharad Purnima Shubh Muhurat

शरद पूर्णिमा का शुभ मुहूर्त 30 अक्टूबर को शाम 05 बजकर 45 मिनट से हो रहा है, जो अगले दिन 31 अक्टूबर को रात 08 बजकर 18 मिनट तक रहेगा. 

शरद पूर्णिमा का महत्व | Sharad Purnima Significance

ऐसी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा के दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत की बूंदें बरसती हैं, जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होती हैं. शरद पूर्णिमा के दिन महालक्ष्मी की विधिवत पूजा की जाती है. मान्यता है कि मां लक्ष्मी भक्तों की सभी परेशानियां दूर करती हैं. ज्योतिष के अनुसार साल में एक बार शरद पूर्णिमा के दिन ही चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है. पूर्णिमा की चांदनी में खीर बनाकर खुले आसमान में रखते हैं, ताकि चंद्रमा की अमृत युक्त किरणें इसमें आएंगी और खीर औषधीय गुणों से युक्त होकर अमृत के समान हो जाएगा. उसका सेवन करना स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद माना गया है.

शरद पूर्णिमा की पूजा विधि | Sharad Purnima Pooja Vidhi

देश के अलग-अलग हिस्सों में इसे कौमुदी उत्सव, कुमार उत्सव, शरदोत्सव, रास पूर्णिमा, कोजागरी पूर्णिमा और कमला पूर्णिमा भी कहते हैं. शरद पूर्णिमा पर भगवती लक्ष्मी के पूजन का विधान है, जिन स्थानों पर देवी दुर्गा की प्रतिमा स्थापित होती है, वहां लक्ष्मी पूजन का विशेष आयोजन होता है. शरद पूर्णिमा से कार्तिक पूर्णिता तक नित्य आकाशदीप जलाने और दीपदान करने से दुख दारिद्र्य का नाश होता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार शरद पूर्णिमा की निशा में ही भगवान श्रीकृष्ण ने यमुना तट पर गोपियों के साथ महारास रचाया था.

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.

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