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क्या पपीता के पत्तों का जूस पीने से बढ़ती हैं प्लेटलेट्स? AIIMS के डॉक्टर पीयूष रंजन ने बताया सच

Papaya Leaves Increase Platelets?: डेंगू के दौरान प्लेटलेट तेजी से घटता है, जिसे लेकर कई बार मरीज चिंतित हो जाते हैं और डॉक्टरों की सलाह के बिना खुद से उपचार करते हैं. क्या वाकई पपीते के पत्तों का रस पीने से प्लेटलेट्स बढ़ती हैं?

क्या पपीता के पत्तों का जूस पीने से बढ़ती हैं प्लेटलेट्स? AIIMS के डॉक्टर पीयूष रंजन ने बताया सच
Papaya Juice For Platelets: डेंगू के दौरान प्लेटलेट तेजी से घटती हैं.

Dengue Home Remedies: एम्स के डॉक्टर डॉ. पीयूष रंजन ने सोशल मीडिया पर चल रहे उन दावों को झूठा बताया, जिसमें दावा किया जाता है कि डेंगू के दौरान प्लेटलेट बढ़ाने के लिए पपीते का या उसके पत्ते का जूस कारगर होता है. डेंगू के दौरान प्लेटलेट तेजी से घटता है, जिसे लेकर कई बार मरीज चिंतित हो जाते हैं और डॉक्टरों की सलाह के बिना खुद से उपचार करते हैं. मरीज अक्सर प्लेटलेट बढ़ाने के लिए पपीते का या उसके पत्ते का जूस और पपीते की छाल का इस्तेमाल करते हैं. इसके अलावा बकरी का दूध, हर्बल और डाइटरी सप्लीमेंट लेते हैं.

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डॉक्टर ने क्या कहा...?

डॉक्टर ने कहा कि 10 हजार से कम प्लेटलेट होने पर इसे बढ़ाने की जरूरत होती है. मंगलवार को बातचीत के दौरान अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) के मेडिसिन विभाग के प्रोफेसर डॉ. पीयूष रंजन ने जलजनित बीमारियों से बचाव के बारे में बताया. उन्होंने कहा कि बरसात के मौसम में संक्रमण से बचाव के लिए जरूरी है कि भोजन और स्वच्छ जल का ही सेवन करें. हमेशा सुनिश्चित करें कि आप जो पानी पी रहे हैं, वह साफ हो. अगर आपको इसकी शुद्धता पर कोई संदेह है, तो इसे उबालकर ठंडा करके पीएं.

उन्होंने कहा कि मॉनसून के दौरान फ्लू होता है. जिसमें बुखार, बदन दर्द की समस्या होती है. इसके अलावा अगर बुखार काफी तेज है और सिर में दर्द लगातार जारी है तो आपको डेंगू की संभावना है. इसके अलावा 4 से 5 घंटे में बुखार दवाई लेने से उतर रहा है तो आपको मलेरिया होने की संभावना बढ़ जाती है.

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डेंगू, डायरिया और मलेरिया से बचने के उपाय

डॉक्टर के अनुसार, जलजनित बीमारियों (जैसे टाइफाइड, डायरिया, डेंगू, मलेरिया) से बचाव के लिए यह उपाय अपनाएं. पीने के लिए हमेशा उबाला हुआ, फिल्टर किया हुआ या बोतलबंद पानी इस्तेमाल करें. पानी को ढंककर साफ बर्तन में रखें, ताकि पानी दूषित न हो. खाना खाने, शौच के बाद और पानी छूने से पहले साबुन से अच्छी तरह हाथ धोएं. बच्चों को भी नियमित हाथ धोने की आदत डालें. खाना अच्छी तरह पकाकर खाएं और कच्चे या अधपके भोजन से बचें. फल-सब्जियों को साफ पानी से धोकर उपयोग करें. बाहर का खुला या बासी खाना न खाएं. कुओं, नदियों या तालाबों के पास शौच न करें. पानी के स्रोतों को नियमित साफ करें और क्लोरीन टैबलेट का उपयोग करें. घर के आसपास पानी जमा न होने दें, क्योंकि यह मच्छरों और बैक्टीरिया के पनपने का कारण बनता है. नालियों को ढंककर रखें और नियमित सफाई करें.

इसके अलावा स्थानीय स्वास्थ्य केंद्रों से जलजनित बीमारियों की जानकारी लें. खुले में शौच न करें, स्वच्छ शौचालय का उपयोग करें। शौचालय को नियमित साफ और कीटाणुरहित करें। इन उपायों को अपनाकर जलजनित बीमारियों से काफी हद तक बचा जा सकता है। यदि लक्षण (जैसे दस्त, उल्टी, बुखार) दिखें, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें.

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(अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है. यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है. अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें. एनडीटीवी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है.)

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